बच्चे बेहद इमोशनल होते हैं और एक छोटी-सी बात भी उनके मन पर गहरा असर डालती है। इतना ही नहीं, बच्चे अपने आसपास के माहौल से भी बेहद प्रभावित होते हैं। अक्सर हम ध्यान नहीं देते और बच्चों के सामने ही कई तरह की बातें करने लगते हैं। बच्चे उन बातों को बड़े ही गौर से सुनते हैं और उसे अपने मन में बिठा लेते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपने काम या पर्सनल लाइफ को लेकर डिस्टर्ब होते हैं। उस समय बच्चे की छोटी-छोटी प्यार भरी शरारतें भी हमें अच्छी नहीं लगतीं और कहीं ना कहीं हमारा गुस्सा बच्चों पर निकल जाता है। यह हम सभी के साथ कभी ना कभी हुआ ही है। जब हम बहुत परेशान होते हैं तो बच्चों पर बिना वजह चिल्लाने लगते हैं। यहां तक कि हम उनके लिए किन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उसका भी हमें ध्यान नहीं होता। भले ही कुछ देर बाद दिमाग शांत होने पर हमें अपनी गलती का अहसास हो और मन की मन खुद को कोसते भी हैं। पर उस समय इस पछतावे का कोई फायदा नहीं होता क्योंकि आपके शब्दों से उनके मन पर नकारात्मक असर हो चुका होता है।
इस परिस्थिति से बचने का सिर्फ एक ही उपाय होता है कि आप अपने शब्दों के चयन पर अतिरिक्त ध्यान दें। यह ना सिर्फ बच्चों के साथ बल्कि उनके सामने अगर आप किसी दूसरे के साथ भी बात करते हैं तो भी अपने शब्दों पर ध्यान दें। क्योंकि आप उनके साथ जिस तरह से बात करते हैं, उसी के आधार पर बच्चे खुद को और दुनिया को देखते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आप उनसे कहती हैं कि तुम कभी कोई काम ठीक से नहीं कर सकते तो उनके मन में यह बात बैठ जाती है और फिर उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। कई बार तो आत्मविश्वास की यह कमी उनके बड़े होने तक बरकरार रहती है। इसलिए बतौर पैरेंट्स यह आपका फर्ज है कि आप बच्चों के साथ जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उनमें अतिरिक्त सतर्कता बरतें। तो चलिए जानते हैं उन बातों के बारे में, जो आपको बच्चों से कभी नहीं कहनी चाहिए-
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बिल्कुल बेवफूक हो तुम
कोई भी इंसान कभी भी परफेक्ट नहीं होता और बच्चे तो थोड़ा ज्यादा ही गलती करते हैं। ऐसे में अक्सर कुछ गड़बड़ करने पर आप भी उन्हें dumb कह देती होंगी। आप भले ही इन शब्दों को कहकर भूल जाएं, लेकिन इससे बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर होता है। अगर आप अपने बच्चे के लिए लगातार इस शब्द का प्रयोग करते हैं तो वह इसे सच मानने लगता है और इस तरह वह एक तरह की हीन भावना से पीड़ित हो सकता है।
जरा अपनी क्लासमेट आरती को तो देखो
हम सभी अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान के रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए उसकी तुलना दूसरों से करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। आदतन हम सभी ऐसा करते हैं। अगर हमारे आसपास कोई बच्चा पढ़ाई या व्यवहार में अच्छा है तो हम हमेशा अपने बच्चे को उसकी तरह बनने के लिए कहते हैं। आप अपने बच्चे को कभी भी यह न कहें कि उसे किसी और की तरह होना चाहिए। इसके बजाय अपने बच्चों को बताएं कि आप उन्हें वैसे ही प्यार करते हैं जैसे वे हैं।
शर्माना बंद करो
हर बच्चे का स्वभाव कभी भी एक जैसा नहीं होता। हो सकता है कि आपका बच्चा स्वभाव से थोड़ा शर्मीला हो या फिर वह दूसरों के सामने बात करने में हिचकिचाता हो, लेकिन इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर बच्चा बहुत अधिक सोशलाइज नहीं होता तो उसके लिए उसे डांटने या गुस्सा करने के स्थान पर धैर्य रखें और अपने बच्चे को डर को दूर करने के लिए उसे प्रोत्साहित करें।
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रोना बंद करो, तुम ठीक हो जाओगे
बच्चे थोड़ा ज्यादा इमोशनल होते हैं और इसलिए वह थोड़ा जल्दी रो पड़ते हैं। लेकिन अगर आप उनके रोते समय उनसे इस तरह कहते हैं कि रोना बंद करो, कुछ नहीं हुआ है या तुम तो जरा-जरा सी बात पर रोते हो तो इससे वह अपनी भावनाओं को सही तरह से एक्सप्रेस नहीं कर पाते। साथ ही इससे उन्हें लगता है कि आपको उनकी फीलिंग्स की कोई कद्र नहीं है।
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