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एक और बच्चे ने ले ली अपनी जान, क्या स्कूल के दबाव से आपका बच्चा भी है मानसिक तनाव में? एक्सपर्ट से जानें संकेत और सुझाव

आजकल बच्चों का मानसिक तनाव बढ़ना आम होता जा रहा है और कई बार इसके लिए स्कूल का माहौल भी जिम्मेदार होता है। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें बच्चों के तनाव का कारण ही स्कूल है। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे आप भी समझ सकती हैं कि कहीं आपका बच्चा तनाव में तो नहीं है।
Editorial
Updated:- 2025-11-25, 18:54 IST

हाल ही में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्होंने हमें सोचने पर मजबूर कर किया कि 9-10 साल की छोटी सी उम्र में भी बच्चा आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है? वास्तव में इस बात पर पेरेंट्स और टीचर्स पर भी कई सवाल उठे कि आखिर बच्चों के आत्महत्या करने की वजह क्या है। खेलने-कूदने की छोटी सी उम्र में बच्चे को इतना किस बात ने परेशान कर दिया कि उसने अपने जान देना ही बेहतर समझा। जी हां हम बात कर रहे हैं हाल ही में जयपुर में घटी उस घटना की जिसमें 9 साल की बच्ची ने स्कूल की बिल्डिंग से कूदकर अपनी जान दे दी थी। अभी हम इसे भूल भी नहीं पाए थे कि हाल ही में दसवीं के एक 16 साल के छात्र ने दिल्ली के मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो के सामने कूदकर अपनी जान दे दी। स्कूल में पढ़ाई का दबाव, टीचर्स का बच्चों को बार-बार कमजोर दिखाना या फिर पेरेंट्स की बच्चों को लेकर नासमझी, वजह कुछ भी हो लेकिन इतनी कम उम्र में डिप्रेशन या तनाव से बच्चों का गुजरना वास्तव में टीचर्स के गलत व्यवहार को तो दिखाता ही है और यह भी दिखाता है कि पेरेंट्स को बच्चों की ख़ामोशी को भी समझने की जरूरत है। आइए Fortis Hospital की Clinical Psychologist Mimansa Singh Tanwar से जानें कि कैसे पहचानें कि स्कूल के दबाव की वजह से आपका बच्चा तनाव में और बच्चों को इससे बाहर कैसे निकाल सकते हैं।

स्कूल के तनाव से बच्चे पर क्या असर पड़ता है?

स्कूल का बढ़ता सिलेबस, लगातार होने वाली परीक्षाएं, अच्छे नंबर लाने का दबाव और साथ ही, स्कूल में होने वाली प्रतियोगिताएं में आगे रहने की होड़। ये सभी चीजें मिलकर बच्चे के मन में एक अदृश्य तनाव पैदा कर सकते हैं। कई बार बच्चे पेरेंट्स के सामने खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन उनके व्यवहार में आने वाले बदलाव ही कुछ चीजों का संकेत बन जाते हैं, जिसे हमें समझने की जरूरत होती है। कई पेरेंट्स यह मान लेते हैं कि बच्चे के व्यवहार में आने वाला बदलाव नॉर्मल ग्रोथ फेज है, लेकिन अगर ये लक्षण आपको लगातार दिखें, तो सतर्क होने की जरूरत है। ऐसा भी हो सकता है कि आपका बच्चा स्कूल में किसी व्यक्ति विशेष के व्यवहार से परेशान हो और तनाव में आ गया हो।

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कैसे समझें कि बच्चों को किसी बात का तनाव है?

कई बार ऐसा होता है कि बच्चे के व्यवहार में अचानक से बदलाव हो रहा हो, बच्चा बार-बार स्कूल जाने से मना कर रहा हो, बच्चा मां या पिता से स्कूल के किसी टीचर से बचने की बात कर रहा हो, तो ये बच्चे के मानसिक तनाव के लक्षण हो सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों के मानसिक तनाव का पता कैसे लगाएं-

बच्चों के व्यवहार में अचानक बदलाव

हमेशा शांत रहने वाला बच्चा अचानक से चिड़चिड़ा हो जाए या छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा दिखाए तो ये बच्चे के मानसिक तनाव की वजह से हो सकता है। अगर आपको भी बच्चे में ऐसी कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो ये बच्चे के साथ होने वाले किसी गलत व्यवहार की वजह से हो सकते हैं। काफी हद तक संभव है कि बच्चे के साथ स्कूल में कुछ गलत हो रहा हो। पेरेंट्स के लिए यह इस बात का संकेत होता है कि इस बात पर ध्यान जरूर दें कि बच्चे के साथ असल में क्या हो रहा है।

परिवार और दोस्तों से दूरी बनाना

अगर आपका बच्चा अचानक से परिवार और दोस्तों से दूरी बना ले, तो आपको इस बारे में समझना चाहिए कि बच्चे के साथ स्कूल या अन्य किसी जगह पर गलत व्यवहार हो रहा है। अगर बार-बार बच्चा अकेले रहना या कमरे में बंद रहना चाहे तो ये भी आपके लिए एक संकेत है कि बच्चे से खुलकर बात करें।

स्कूली काम में मन न लगना

अगर आपके बच्चे की रूचि अचानक से ही पढाई या स्कूल से जुड़े अन्य किसी काम से हटने लगे तो काफी हद तक यह इस बात का संकेत हो सकता है कि स्कूल में बच्चे के साथ कुछ गलत व्यव्हार हो रहा है। कई बार टीचर का बार-बार बच्चे की बिना वजह शिकायत करना भी इस बात का संकेत हो सकता है कि बच्चे के साथ कुछ गलत व्यवहार हो रहा हो जिसकी वजह से बच्चा मानसिक तनाव में हो।

बच्चे को मानसिक तनाव से निकालने के लिए क्या करें

आपके लिए यह जानना जितना जरूरी है कि बच्चा तनाव में है, उतना ही जरूरी है यह जानना कि उसकी मदद कैसे करें। आइए आपको बताते हैं एक्सपर्ट के कुछ ऐसे टिप्स जो बच्चों को मानसिक तनाव से दूर करने में मदद कर सकते हैं।

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बच्चे की भावनाओं को स्वीकारें, डांटें नहीं

बच्चे अक्सर डरते हैं कि उन्हें गलत समझा जाएगा या उन्हें किसी बात पर डांट पड़ सकती है। आपको चाहिए कि आप बच्चे को डांटने के बजाय किसी भी बात पर प्यार से समझाने की कोशिश करें। उन्हें यह भरोसा दिलाएं कि आप उनकी बात बिना जजमेंट के सुनेंगे। बच्चे से रोज बात करना भी किसी बड़ी समस्या का समाधान है। भले ही आप किनी बीजी क्यों न हों बच्चे से उसकी दिनभर की गतिविधियों के बारे में बात जरूर करें।

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स्कूल प्रेशर को बैलेंस करने की कोशिश करें

हर एक बच्चा दूसरे से अलग होता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा भी पढ़ाई में दूसरों की तरह तेज हो। ऐसे में बच्चे की दूसरों से तुलना करने के बजाय बच्चे की सोच को समझने की कोशिश करें। उसकी आगे बढ़ने में मदद करें न कि दूसरों से उसकी तुलना करें। बच्चे पर अनावश्यक ट्यूशन या कोचिंग का बोझ न डालें और यदि उसके साथ स्कूल में कोई गलत व्यवहार हो रहा है तो तुरंत स्कूल के टीचर से मिलें। जरूरत पड़ने पर आप स्कूल बदल लें। बच्चे के आगे बढ़ने के लिए स्कूल का माहौल भी उसके अनुकूल होना चाहिए।

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बच्चे के स्क्रीन टाइम को सीमित करें

कई बार बच्चा तनाव से भागकर स्क्रीन में डूब जाता है। आपको बच्चे के स्क्रीन टाइम को कम करना चाहिए, जिससे वो आपके साथ अपनी बातें शेयर कर सके। बच्चे की आउटडोर गतिविधियों को बढ़ाएं और ऑनलाइन चीजों से दूर रखने की कोशिश करें।

अगर आपको भी लगता है कि आपका बच्चा मानसिक तनाव में है तो उससे खुलकर बातें करें और उसकी समस्या को समझने को कोशिश करें।

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