यूं तो एक महिला भीतर से काफी मजबूत होती है और खासतौर से, जब वह अपने बच्चे के सामने होती है तो और भी ज्यादा मजबूत बन जाती है। आमतौर पर माता-पिता को बच्चों का रोल मॉडल माना जाता है और इसलिए वह अपने बच्चों के सामने इमोशनली अटूट रहना चाहते हैं। एक सुपरवुमन की तरह वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें और उनके सामने एक अच्छी छवि बनाए रखें। वैसे हम आपको बता दें कि बच्चों के सामने यह महान छवि बनाना पूरी तरह से अच्छा नहीं है। आपको शायद पता न हो, लेकिन अगर आप खुद को इमोशनली कमजोर महसूस कर रही हैं या फिर किसी बात को लेकर परेशान हैं तो उनके सामने रोने में कोई बुराई नहीं है।
आमतौर पर मम्मी बच्चों के सामने अपनी परेशानी जाहिर नहीं करना चाहतीं क्योंकि उन्हें लगता है कि अपनी परेशानी बच्चे को बताना ठीक नहीं है या फिर वह अभी छोटा है, इसलिए वह आपकी बातों को समझ नहीं पाएगा। लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों के सामने कभी-कभी रोना कुछ मायनों में काफी अच्छा होता है। यहां तक कि, मैं खुद भी जब बहुत अधिक परेशान होती हूं या मन ही मन टूट जाती हूं तो बच्चों के सामने रो लेती हूं। जब मुझे रोता देखकर मेरी बेटी मुझे गले लगाती हैं तो मुझे काफी अच्छा लगता है। खैर, इसके अलावा भी बच्चों के सामने रोने के कई फायदे होते हैं। आज मैं आपको ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में बता रही हूं-
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बेहतर बॉन्डिंग
जब आप बहुत अधिक परेशान होती हैं और बच्चों के सामने रो पड़ती हैं तो यकीनन आपका बच्चा आपके आंसू पोछेंगा और आपको गले लगाएगा। इससे आपके भीतर एक असीम उर्जा का संचार होता है और आप फिर से अपनी समस्या से सामना करने के लिए तैयार हो जाती हैं। वहीं दूसरी ओर, इससे आपके बीच का आपसी बॉन्ड भी मजबूत होता है। जब आप उन्हें अपनी परेशानी बताते हैं तो वह किसी भी स्थिति व आपकी परेशानी को बेहतर तरीके से समझते हैं। वैसे भी मां और बच्चे के बीच का रिश्ता ऐसा होता है, जो सबसे ज्यादा सच्चा होता है। हो सकता है कि जब आप परेशान हो या रो रही हों तो आपको देखकर वह परेशान हो जाए। इसलिए आप उससे यह जरूर कहें कि आप कुछ देर में ठीक हो जाएंगी।
सुपरवुमेन नहीं
आमतौर पर बच्चे अपनी मम्मी को सुपर वुमेन मानते हैं, क्योंकि वह घर से लेकर बाहर तक की दुनिया को आसानी से मैनेज कर लेती हैं। अपनी इस छवि को बरकरार रखने के लिए महिला काफी कष्ट उठाती है। हो सकता है कि आपकी उनकी सबसे फेवरिट हों, लेकिन उनके सामने कभी-कभी रोने से उन्हें अहसास होता है कि आप सुपर वुमेन नहीं है, बल्कि एक इंसान हैं। वहीं दूसरी ओर उन्हें इस बात का भी अहसास होता है कि रोना या उदास होना कमजोरी की निशानी नहीं है। अगर वह आपको रोते हुए देखते है तो उन्हें लगता है कि यह भी अन्य मानवीय भावनाओं की तरह एक भावना है।
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रखें इसका ध्यान
अगर आप बच्चे के सामने रो रही हैं तो उन्हें कारण जरूर बताएं। हो सकता है कि आप उन्हें पूरी बात ना बता पाएं, लेकिन उन्हें समझ में आए, उतना बता सकती हैं। मसलन, अगर आपको ऑफिस में किसी तरह की दिक्कत है तो उन्हें पूरी परेशानी बताने के स्थान पर कहें कि आप काम पूरा नहीं हुआ है और जिस तरह बच्चे का काम पूरा ना होने पर मैडम उन्हें डांटती हैं, उसी तरह आपका काम ना पूरा होने पर ऑफिस में आपके बॉस भी नाराज होंगे।
बच्चे के सामने कुछ हद तक रोना ठीक है, लेकिन उनके सामने पूरी तरह टूटने से बचें। इससे वह बहुत अधिक घबरा सकते हैं।जब आप खुद को बेहतर महसूस करें तो बच्चों के साथ हैप्पीनेस भी जरूर शेयर करें।
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