herzindagi
adultery law update main

महिलाओं को संरक्षण देने वाले एडल्टरी कानून पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा, 'आखिर इसे क्यों माना जाए अपराध'

एडल्टरी कानून पर संवैधानिक पीठ, जो आईपीसी के सेक्शन 497 के विरुद्ध जनहित याचिका की सुनवाई कर रही है, ने हैरानी जताई कि एडल्ट्री को अपराध की श्रेणी में क्यों गिना जाए। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-08-02, 17:16 IST

विवाहित महिलाओं को संरक्षण देने वाले और एडल्टरी कानून पर सुनवाई जारी है। इस पर कॉस्टीट्यूशनल बेंच ने कहा, 'एडल्टरी के लिए सिविल लायबिलिटीज हैं और सामाजिक स्तर पर इसके गंभीर नतीजे होते हैं। लेकिन इसे सिर्फ पुरुषों के लिए अपराध घोषित किए जाने पर यह आर्टिकल 14 (स्वतंत्रता का अधिकार) के विरुद्ध जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि एडल्टरी को अपराध माना ही क्यों जाना चाहिए।' इस कॉस्टीट्यूशनल बेंच में जस्टिस आर एफ नरिमन, ए एम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड और इंदु मल्होत्रा शामिल हैं। 

Read more : तलाक के बाद भी महिला करा सकती है घरेलू हिंसा के तहत पूर्व पति पर केस दर्ज

adultery law update inside

याचिकाकर्ता ने सेक्शन 497 को बताया था अन्यापूर्ण

आईपीसी का सेक्शन 497 कहता है कि अगर पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ संबंध बनाता है, तो वह एडल्टरी का दोषी होगा, इस मामले में दोषी पाए जाने पर पांच साल की जेल और जुर्माना या दोनों लगाए जा सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया कि इसमें शामिल महिलाओं को दंडित नहीं किया जाए। 

इस धारा को एक एनआरआई जोसेफ शाइन ने चैंलेज किया था, उन्होंने इसे अन्यायपूर्ण, अवैध, मनमाना और नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन करने वाला बताया। जोसेफ ने इसे लिंगभेद करने वाला प्रोविजन करार दिया। इसे 1860 में लॉर्ड मैकॉले ने ड्राफ्ट किया था। जोसेफ ने सीआरपीसी के सेक्शन 198(2) को चुनौती दी, जिसमें पति उस आदमी के विरुद्ध केज दर्ज करा सकता है, जिसने उसकी पत्नी के साथ संबंध बनाए। 

 

adultery law update inside

सवाल सिर्फ जेंडर न्यूट्रल कानून बनाने का नहीं

कॉस्टीट्यूशनल बेंच ने कहा कि अब सवाल एलल्टरी को सिर्फ जेंडर न्यूट्रल क्राइम बनाने का नहीं रह गया है। जोसेफ की तरफ से वरिष्ठ वकील कलीश्वरम राज ने कहा, 'एक आसान सा सवाल यह है कि एक पुरुष को इस बिना पर जेल भेजा जा सकता है कि उसने किसी महिला के साथ उसकी सहमति से संबंध बनाए। बेंच का कहना है कि अब यह मामला 7 जजों वाली बेंच देखेगी, क्योंकि पांच जजों की बेंच ने पहले ही सेक्शन 497 को जारी रखने का फैसला लिया है। लेकिन सीनियर काउंसिल मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा, 'पहले अदालत के सामने सवाल यह था कि महिलाओं को दंडित किया जाए अथवा नहीं। इस प्रोविजन की वैधता को अब तक चैलेंज नहीं किया गया था और अब उनकी तरफ से अदालत में  इस मामले पर प्रकाश डाला गया और अब अदालत इस मामले पर आगे की कार्रवाई करेगी। 

यह विडियो भी देखें

 

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।