‘गलत क्या इसे जानने से फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता है गलत को सही करने से…’
फिल्म सिंघम का यह डायलॉग तो आपको याद होगा। मगर आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने इस डायलॉग पर असल जिंदगी में अमल किया। जी हां, हम बात कर रहे हैं लेडी सिंघम चंचल मिश्रा की। चंचल वो महिला पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने नाबालिग के बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू को सलाखों के पीछे पहुंचाया था।
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आपको बता दें कि जब आसाराम बापू के खिलाफ दुष्कर्म का मामला सामने आया तो वह मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में डेरा डाले हुए थे। चूंकि मामला राजस्थान में दर्ज हुआ था इसलिए दूसरे राज्य में जाकर आसाराम को गिरफ्तार करना आसान नहीं था मगर राजस्थान पुलिस सेवा में शामिल होने वाली पुलिस अधिकारी चंचल मिश्रा की कड़ी महनत और नाबालिग को न्याय दिलाने की जिद ने उन्हें इस कठिन काम को करने का हौसला दिया और उन्हें सफलता भी मिली। उस वक्त चंचल जोधपुर में एसीपी के पद पर थीं और अब वह भीलवाड़ा में डिप्टी एसपी के पद पर हैं।
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आपको बता दें कि बेते बुधवार को आसाराम बापू को अपारधी करार देते हुए कानून ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। आसाराम बापू को यह सजा शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की के साथ रेप करने के मामले में दी गई है। 77 साल के आसाराम बापू को यह सजा आईपीसी की धारा 376, बाल यौन अपराध निषेध अधिनियम (पॉक्सो) और जूवेनाइल जस्टिस ऐक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत सुनाई गई है। आसाराम को सजा सुनाए जाने के बाद एक मीडिया इंटरव्यू में महिला पुलिस अधिकारी चंचल मिश्रा ने कहा, ‘दबाव चाहे कितना भी जीत हमेशा सच की होती है, बस इसके लिए महनत करनी होती है, जो हमने भी की थी। ’
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आसाराम बापू पर जब बलात्कार का मामला दर्ज हुआ, पुलिस को जांच करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ था। इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि केस कई जगह से बिखरा हुआ था। केस की एफआईआर दिल्ली में दर्ज कराई गई थी, जबकि पीडि़ता उत्तरप्रदेश की रहने वाली थी और बलात्कार की घटना उसके साथ राजस्थान में घटी थी। ऐसे में पुलिस अधिकारियों के लिए अलग अलग राज्य में जाकर मामले की जांच करना मुश्किल था। इससे भी ज्यादा मुश्किल था आसाराम बापू को एक दूसरे राज्य में जाकर गिरफ्तार करना। चंचल ने मीडिया से बातचीत में बताया, " इस मामले की जांच में सबसे बड़ी मुश्किल केस का फैला होना थी। मगर इससे भी बड़ी दिक्कत थी कि एक संत को जिसके इतने सारे भक्त हों उसे पकड़ा कैसे जाए। मगर मध्यप्रदेश पुलिस की मदद से हमने इस चुनौती का भी सामना किया और हमें सफलता भी मिली।"
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इतने बड़े और फेमस संत होने के कारण आसाराम के कई भक्त थे और जब भक्तों को बाबा की गिरफ्तारी के बारे में पता चला तो, उसे रोकने के लिए उनहोंने काफी कोशिशें की। एक मीडिया हाउस से बातचीत के दौरान चंचल ने बताया, आसाराम बापू को जब हम गिरफ्तार करने पहुंचे तो आपने पेशे के अनुसार वह हमें प्रवचन देने लगे और फिर खुद को एक कमरे में बंद कर दिया। हमें बाबा को बाला या तो आप दरवाजा खोल दीजिए या हम दरवाजा तोड़ कर अंदर आ जाएंगे। हम आश्रम के अंदर रात 8 बजे घुसे थे और बाहर सुबह 3 बजे निकल पाए थे।
जोधपुर सेंट्रल जेल में स्पेशल जज ने आसाराम बापू को उम्रकैद की सजा सुनाने से पहले डेढ़ घंटे का वक्त लिया। पहले उन्होंने सजा को लिखा और फिर उसकी प्रूफ रीडिंग की ताकि कोई भी गलती न रह जाए इसके बाद उन्होंने अपना फैसला सबको सुनाया। आपको बता दें कि कोर्ट में आसाराम के बचाव में 14 वकील थे, जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से केवल 2 वकील ही पेश हुए थे। आसाराम पर फैसला सुनाने के लिए बुधवार को जोधपुर की सेंट्रल जेल में ही अदालत लगाई गई थी और कोई अनहोनी न हो इसके लिए ड्रोन कैमरे से पूरी जेल की निगरानी की जा रही थी।
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