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पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं ...वाली टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनाया कड़ा रूख, सीजेआई सूर्यकांत बोले अगर अदालतें रखेंगी ऐसा नजरिया तो पीड़िया न्याय की उम्मीद कैसे करेंगी?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले ने कुछ वक्त पहले सुर्खियां बटोरी थीं। 11 साल की बच्ची से जुड़े एक केस में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि महिला के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा बलात्कार के प्रयास के अंदर नहीं आता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
Editorial
Updated:- 2025-12-09, 13:24 IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च में एक अहम फैसले में कुछ ऐसा कहा था जो सवालों के घेरे में आ गया था। यह फैसला कासगंज के पटियाली थाना क्षेत्र से जुड़े एक केस का था। यहां एक 11 साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर सेक्शुअल अब्यूज से जुड़ा था। दो युवकों ने बच्ची के पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया था और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया था। इस मामले में कोर्ट के फैसला सुनाते हुए कहा था कि महिला के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा बलात्कार के प्रयास के अंदर नहीं आता है। हालांकि, कोर्ट ने इसे सीरियस सेक्शुअल अटैक बताया है। अब इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी नाराजगी जाहिर की है। तकनीकी आधार पर सेक्शुअल एसॉल्ट की गंभीरता को नजरएअंदाज करने वाली इन टिप्पणियों को सुप्रीट कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले को गंभीर बताया है और कहा कि अगर अदालतें ही इस तरह का नजरिया रखेंगी, तो पीड़िता किस से न्याय की उम्मीद रखेंगी। क्या नाड़ा तोड़ना और स्तनों को छूना रेप की कोशिश नहीं है, यह कहना पीड़िता को मेंटल हैरेसमेंट देने जैसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि आरोपी के इरादे और पीड़िता पर उसका क्या असर हुआ, इसे समझना जरूरी है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर किस मामले में हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की थी और क्यों यह फैसला तब सवालों के घेरे में आया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की यह टिप्पणी आई थी सवालों के घेरे में 

Allahabad High Court News Hindi Latest
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि नाबालिग लड़की के स्तन को पकड़ने...उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ने या उसे पुलिया के नीचे खींचने को रेप या रेप का प्रयास नहीं माना जा सकता है। बता दें कि एक 11 साल की बच्ची से हुई घटना की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था और आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया। दरअसल, आरोपियों ने अर्जी दायर की थी कि उन्हें रेप की कोशिश और पॉक्सो एक्ट के तहत समन जारी किया गया है, जो गलत है और इस पर रिवीजन होना चाहिए। इस मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश देते हुए कहा था कि वह इस समन में बदलाव करे और छेड़खानी और पॉक्सो एक्ट की दूसरी धारा के तहत इसे जारी किया जाए।

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क्या था पूरा मामला?

Allahabad High Court ruling on attempted rape definition
यह मामला यूपी के कासगंज जिले का है। यह घटना पटियाली क्षेत्र में 19 नवंबर को हुई थी और एक महिला के अपनी बेटी के साथ हुई घटना की शिकायत दर्ज करवाई थी और बताया था कि किस तरह कुछ युवकों ने उसकी बेटी के स्तन पकड़े...उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ा और उसे पुलिया के नीचे खींचा। बाद में जब वे दोनों चिल्लाए, तो मदद के लिए कुछ आस-पास के लोग आए और वे लोग भाग गए। इस मामले को कोर्ट ने सीरियस सेक्शुअल अटैक माना है। लेकिन, इसे रेप की कोशिश मानने से इंकार किया है। इस फैसले को अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।

 

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