पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह हर महीने आता है, पर आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, दिन बुधवार को है। यह दिन चंद्र देव की पूजा और उपासना के लिए बेहद अहम माना जाता है। इसके अलावा,शरद पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने का भी विधान है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी किया जाता है। कहते हैं शरद पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से चंद्र देव और श्री हरि की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके पुण्य प्रताप से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। ऐसे में, अगर आप भी इस दिन मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो भगवान विष्णु की पूजा के दौरान इस दिन व्रत कथा जरूर पढ़ें।
शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima Vrat Katha In Hindi)
धर्मग्रंथों के मुताबिक, प्राचीन समय में एक व्यापारी की दो बेटियां थीं और दोनों ही धार्म को मानने वाली थीं। उन्हें धर्म-कर्म में विशेष रुचि थी। धर्म-कर्म में विशेष रुचि रखती थीं। नित प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करती थीं। साथ ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से दोनों का विवाह अच्छे कुल-खानदान में हुआ। मगर दोनों ने तब भी पूर्णिमा का व्रत रखना नहीं छोड़ा। वे लगातार पूर्णिमा व्रत का पालन करती रहीं।
हालांकि, छोटी बेटी व्रत का पालन पूरा नहीं रख पाती थी। वह संध्या के समय ही भोजन कर लेती थी। इसके कारण उन्हें व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता था। वहीं, बड़ी बेटी पूर्णिमा व्रत का अच्छी तरह पालन करती थी, जिसके पुण्य प्रताप से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह देखने के बाद, छोटी वाली भी लगातार व्रत रखने लगी। इससे छोटी बेटी को भी संतान की प्राप्ति हुई। हालांकि, उनके संतान की आयु कम ही होती थी। एक बार जब छोटी बेटी संतान के शोक में बैठी थी। तभी वहां पर उसकी बड़ी बहन आई। उसी समय बड़ी बहन के वस्त्र छूने से छोटी बहन का पुत्र जीवित होकर उठ गया।
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यह दृश्य देख कर छोटी बहन बेहद प्रसन्न हुई और खुशी से रोने लगी। इसके बाद, बड़ी बहन ने उसे पूर्णिमा व्रत की महिमा बताई। उस समय से छोटी बहन भी बताई गई विधि अनुसार, पूर्णिमा व्रत करने लगी। यही नहीं, वह फिर अन्य लोगों को भी व्रत करने की सलाह देने लगी। कहते हैं, तभी से पूर्णिमा व्रत की तिथि के महत्व के बारे में पता चला और सभी इस दिन व्रत रखने लगे।
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शरद पूर्णिमा व्रत रखने के महत्व
शरद पूर्णिमा एक पावन पर्व है। इस दिन व्रत रखने से कुंडली में चंद्र मजबूत होता है और इससे जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही, व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी होती हैं। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलवा, व्रत के पुण्य प्रभाव से घर में सुख-समृद्धि आती है। व्यापार में वृद्धि होने के साथ-साथ रोग-दोषों से भी छुटकारा मिलता है।
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Image credit- Herzindagi
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