हिंदू धर्म में किसी भी पूर्णिमा तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और हर महीने एक पूर्णिमा तिथि होती है जो कि शुक्ल पक्ष के समाप्त होने पर पड़ती है। हर पूर्णिमा तिथि का अपना विशेष महत्व होता है और उसका पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा की पूजा करता है उसके जीवन में समृद्धि के द्वार खुलते हैं। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है, लेकिन आश्विन महीने में पड़ने वाली शरद पूर्णिमा अन्य तिथियों से खास मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और चंद्रमा को रोशनी में खीर रखी जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और इसकी रोशनी से अमृत बरसता है। यही नहीं इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से भी इसकी ऊर्जा प्राप्त होती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इस साल कब पड़ेगी शरद पूर्णिमा, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व विस्तार से।
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि इस साल 06 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी।
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 06 अक्टूबर, सोमवार, दोपहर 12:23 बजे से
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि समापन- 07 अक्टूबर, मंगलवार, प्रात: 09:16 बजे तक
इस पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है जिसका शुभ मुहूर्त 06 अक्टूबर रात्रि 11:45 बजे से 07 अक्टूबर 2025 मध्यरात्रि 12:34 बजे तक है।
इस दिन चंद्रोदय- 06 अक्टूबर, शाम को 05:27 बजे होगा और रात्रि 11:45 बजे से 07 अक्टूबर 2025 मध्यरात्रि 12:34 तक का समय चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने के लिए शुभ है।
आमतौर पर प्रत्येक व्रत त्योहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है, लेकिन पूर्णिमा तिथि में चंद्रोदय का समय महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि 06 अक्टूबर को की मिल रहा है, इसी वजह से शरद पूर्णिमा 06 अक्टूबर को ही मानना फलदायी होगा।
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शरद पूर्णिमा का ब्रह्म मुहूर्त : प्रात:काल 04:39 से 05:28 बजे तक
शरद पूर्णिमा का अमृत काल: प्रातः 06:03 से प्रातः 07:32 बजे तक
शरद पूर्णिमा का राहुकाल : प्रातः 07:32 से 09:00 बजे तक
शरद पूर्णिमा अभिजित मुहूर्त- दोपहर 11:34 से 12:21 तक
शरद पूर्णिमा का विजय मुहूर्त : दोपहर 02:06 से 02:53 बजे तक
शरद पूर्णिमा का निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:45 से लेकर अगले दिन 07 अक्टूबर, मध्यरात्रि12:34 बजे तक
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ज्योतिष के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है और इसे बहुत ज्यादा शक्तिमान माना जाता है। इस दौरान चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है और चंद्रमा की रोशनी ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से स्वास्थ्य लाभ होता है और आयु वृद्धि होती है वहीं इसकी रोशनी में खीर रखने से और उसी खीर को अगले दिन ग्रहण करने से अच्छी सेहत का आशीर्वाद मिलता है। चंद्रमा की रोशनी में रातभर खीर रखने के बाद यह खीर अमृत के समान पवित्र हो जाती है और इसमें सेहत से जुड़े कई गन आ जाते हैं और चंद्रमा की ऊर्जा का प्रवेश भी हो जाता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व होता है। अगर आप चंद्रमा को अर्घ्य देते समय उसमें कच्चे दूध की कुछ बूंदें डालती हैं तो यह बहुत शुभ माना जाता है और पूजा का पूर्ण फल भी मिलता है।
अगर आप भी शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं तो आपको इसके शुभ फल मिल सकते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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