शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व हिन्दू धर्म में बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं। परंपरा के अनुसार कई लोग शरद पूर्णिमा में घर की छत पर खीर भी रखते हैं क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पूजा विशेष तरह से की जाती है और इसकी रोशनी में खीर रखने का खास महत्व होता है।
आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा को कई सारे नामों से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं लेकिन ऐसा क्यों कहते हैं इसके बारे में इस लेख में हम आपको बताएंगे।
क्यों कहते हैं शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा?
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, लोक्खी पूजा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। बात करें अगर 'कोजागरी' शब्द 'जो जाग रहा है' होता है। इसके पीछे भी एक लोक कथा है।
एक हिंदू धर्म के राजा पर आर्थिक संकट आ जाता है जिसकी वजह से राजा की संपत्ति में कमी होने लगी थी। राजा की चिंता और परेशानी को देखकर रानी एक उपवास रखती हैं। जिसके बाद वह पूरी रात जग कर माता लक्ष्मी की पूजा करती हैं। फिर रानी की पूजा और उसके व्रत से माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हो जाती हैं और उसके पति यानी राजा को आशीर्वाद देती हैं तो कि उनके राज्य में कभी भी धन या समृद्धि की कमी नहीं होगी। इस वजह से भी कई लोग शरद पूर्णिमा की रात को जागरण भी करते हैं।
आपको बता दें कि कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र से उत्पन्न हुई थी। इस वजह से भी इस पूजा का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें कि कोजागरी पूर्णिमा के लिए कई ऋषियों का यह भी मानना है कि इस रात की चांदनी में अद्भुत उपचार करने वाली शक्तियां होती हैं और यह मन और आत्मा के लिए फायदेमंद होती है।
आपको बता दें कि इस पूजा पर कुछ क्षेत्रों में नव विवाहित महिलाएं और कुवांरी कन्याएं भी व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने पर घर पर सुख-समृद्धि के साथ अच्छे आचरण वाला पति भी मिलता है।
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कोजागरी पूर्णिमा का महत्व क्या होता है?
आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा पर लोग स्नान करके नए वस्त्र धारण करके भगवान इंद्र के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। आपको बता दें कि पूरे दिन जो शरद पूर्णिमा पर जो उपवास रखा जाता है इसे ''कोजागरा व्रत' भी कहा जाता है। कुछ लोग पूजा के लिए कई सारे दीपक भी जलाते हैं।
इस रात पर चांदनी को अमृत वर्षा भी कहा जाता है इसलिए लोग शाम के समय दूध और चावल की खीर बनाते हैं। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों में खीर रखने की बहुत पुरानी परंपरा होती है।
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कई लोग चंद्रमा देवता की पूजा भी करते हैं। माना जाता है कि चंद्र देवता की पूजा से घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती है।
तो यह थी जानकारी शरद पूर्णिमा से जुड़ी हुई।
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