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Lin Laishram from Where is Randeep Hooda from,

मणिपुर की मैतेई रीति-रिवाज में रणदीप हुड्डा ने गर्लफ्रेंड लिन लैशराम से रचाई शादी, जानें क्या है इस समुदाय से जुड़ा इतिहास

अभिनेता रणदीप हुड्डा ने अभिनेत्री लिन लैशराम के साथ शादी के बंधन में बंध गए हैं। दोनों ने मणिपुर के पारंपरिक रीति-रिवाजों से शादी की, आइए, जानते हैं मैतेई समुदाय का इतिहास और संस्कृति।
Editorial
Updated:- 2023-12-04, 19:25 IST

मशहूर अभिनेता रणदीप हुड्डा ने 29 नवंबर, 2023 को मणिपुर की रहने वाली खूबसूरत मॉडल और अभिनेत्री लिन लैशराम के साथ शादी के बंधन में बंध गए हैं। दोनों ने मणिपुर के पारंपरिक रीति-रिवाजों से शादी की, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। रणदीप और लिन की शादी की खबर ने उनके चाहने वालो को खुश होने पर मजबूर कर दिया और उन्हें सोशल मीडिया पर ढेर सारी शुभकामनाएं मिल रही हैं।

रणदीप और लिन की जोड़ी बेहद खूबसूरत लग रही है। रणदीप और लिन की शादी इस लिए सुर्खियों में बनी हुई है, क्योंकि दोनों ने ही अपनी शादी मणिपुर में रहने वाली मैतेई समाज के रीति-रिवाज में हुई है। रणदीप और लिन ने पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की राजधानी इंफाल में हुई है। शादी में पहनावे से लेकर रस्म व रिवाज सब कुछ मैतेई समाज की संस्कृति के मुताबिक पूरा हुआ है। 

मैतेई समुदाय के समृद्ध रीति-रिवाज और इतिहास की एक झलक

मणिपुर की धरती पर बसा मेइती समुदाय अपने अनूठे सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। उनके जीवन में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रहे रीति-रिवाज का गहरा महत्व है। ये रीति-रिवाज जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को पहचान करते हैं और उन्हें अपने पूर्वजों और देवी-देवताओं से जोड़ते हैं। आइए, मेइती समुदाय के कुछ सबसे प्रिय अनुष्ठानों की झलक देखें:

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हाल ही में मणिपुर में 3 मई 2023 को दो समुदायों मैतेई और कुकी के बीच टकराव के बाद हिंसक झड़प और आगजनी की घटनाएं हुईं थी। इसके बाद मणिपुर के इंफाल समेत कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। इस हिंसा में हजारों लोगों ने अपनी जान भी गवाईं थी। इस हिंसा में दिल दहला देने वाली एक घटना भी सामने आई थी, जहां दो महिलाओं को नि:वस्त्र करके स्थानीय लोगों द्वारा परेड कराया गया था। इस घटना की वायरल वीडियो ने दुनिया भर के लोगों की नजर अपनी ओर ध्यान देने पर मजबूर किया था। 

यह विडियो भी देखें

 

 

 

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मैतेई विवाह:

मेइती विवाह प्यार और नई शुरुआत के समारोह प्रतीकात्मकता में समृद्ध है, जिसमें हर पहलू का गहरा अर्थ है। दुल्हन पारंपरिक "पोटलोई" पहनती है, जो एक बेलनाकार स्कर्ट है जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जबकि दूल्हा सफेद रंग पहनता है, जो पवित्रता का प्रतीक है। फूलों का आदान-प्रदान होता है, बड़ों का आशीर्वाद और पवित्र गांठ बांधने से आशाओं और सपनों से भरे एक नए जीवंन की शुरुआत होती है।

मैतई समुदाय का इतिहास

मैतई समुदाय का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह समुदाय भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का मूल निवासी है। मैतई समुदाय के लोगों का मानना है कि वे "मेइतेइ" नामक एक पौराणिक राजा के वंशज हैं।

मैतई समुदाय के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। 17वीं और 18वीं शताब्दी में, मैतई राजाओं का शासन म्यांमार में चिंदविन नदी से लेकर मौजूदा बांग्लादेश की सूरमा नदी के इलाकों तक फैला हुआ था। इस अवधि के दौरान, मैतई समुदाय ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को विकसित किया।

19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश साम्राज्य ने मणिपुर पर कब्जा कर लिया। इस अवधि के दौरान, मैतई समुदाय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई विद्रोह किए। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, मणिपुर भारत का एक राज्य बन गया। इस अवधि के दौरान, मैतई समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए।

 

 

 

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मैतई समुदाय की आबादी

मणिपुर की कुल आबादी में मैतई समुदाय की आबादी 64.6 फीसदी है। यह मणिपुर का सबसे बड़ा जनजाति समूह है। मैतई समुदाय के 90 फीसदी लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। मैतई समुदाय के ज्यादातर लोग इंफाल घाटी में बसते हैं। मैतई समुदाय की आबादी में पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या से अधिक है। मैतई समुदाय के लोगों की औसत आयु 28 वर्ष है।

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मैतई समुदाय की संस्कृति

मैतई समुदाय की संस्कृति समृद्ध और विविध है। इस समुदाय के लोगों की अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि, संगीत, नृत्य, साहित्य और कला है।मैतई समुदाय के लोग हिंदू धर्म को मानते हैं। इस समुदाय के लोगों में देवी-देवताओं, आत्माओं और पूर्वजों में विश्वास बहुत मजबूत है। मैतई समुदाय के लोग अपने त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इन त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार हैं:

  • लाई हराओबा: यह एक कृषि त्योहार है जो समृद्धि और फसलों की अच्छी पैदावार के लिए मनाया जाता है।
  • निंगोल चाकौबा: यह एक महिलाओं का त्योहार है जो विवाहित महिलाओं और उनके परिवारों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है।
  • सनामाही लई हराओबा: यह एक धार्मिक त्योहार है जो समुदाय के सर्वोच्च देवता सनामाही की पूजा के लिए मनाया जाता है।

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Image credit: Freepik

 

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