पीयूष मिश्रा और खुशबू सुंदर के सेक्सुअल एब्यूज की कहानी बताती है कि तकलीफ किसी भी जेंडर को हो सकती है

हाल ही में पीयूष मिश्रा और खुशबू सुंदर दोनों ने ही बचपन में हुए एब्यूज के बारे में बताया है। पर ऐसे खुलासे करने वाले वो अकेले नहीं हैं। बचपन में हुआ एब्यूज जिंदगी भर का दर्द दे सकता है।

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ट्रॉमा और एब्यूज भले ही जिंदगी के किसी भी पड़ाव में हुआ हो उसका असर जिंदगी भर रहता है। भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में चाइल्ड एब्यूज के केस लगभग रोजाना ही सामने आते हैं। बहुत कम लोगों में ये हिम्मत होती है कि वो खुलकर इस बारे में बोल पाएं। एक्टर, सिंगर और म्यूजिक कंपोजर पीयूष मिश्रा और पॉलिटीशियन खुशबू सुंदर ने अपने साथ हुए सेक्सुअल एब्यूज के बारे में बताया है। इन दोनों के खुलासे ये बता रहे हैं कि चाइल्ड एब्यूज की समस्या कितनी बड़ी है।

अधिकतर एब्यूज करने वाले लोग जान-पहचान के होते हैं। रिश्तेदार, दोस्त, स्कूल-कॉलेज के कलीग्स या टीचर किसी की शक्ल के पीछे एब्यूजर छिपा हो सकता है। ऐसी धारणा है कि एब्यूज सिर्फ लड़कियों के साथ होता है। ये सही नहीं है। एब्यूज और उसका ट्रामा दोनों ही किसी एक जेंडर के लिए नहीं होता है।

7वीं कक्षा में पीयूष मिश्रा के साथ हुआ था एब्यूज

पीयूष मिश्रा ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' में इस किस्से के बारे में बताया है। ये किस्सा करीब 50 साल पहले का है जब पीयूष स्कूल में पढ़ते थे। एक इंटरव्यू में जब इस घटना के बारे में पूछा गया तो पीयूष मिश्रा ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस घटना का बदला लेने की कोशिश नहीं की, लेकिन इससे उनके जीवन पर बहुत असर पड़ा।

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पीयूष जी ने इससे जुड़े कई खुलासे किए। उनका कहना है कि इस घटना से उबरने में उन्हें कई साल लगे और उन्होंने कई पार्टनर भी बनाए। पीयूष ने बताया कि उनकी एक रिश्तेदार ने ही उनके साथ एब्यूज किया था। पीयूष जी का कहना है कि किसी भी तरह का बदला उनके घाव को भर नहीं सकता था।

8 साल की उम्र में खुशबू सुंदर के साथ हुआ था एब्यूज

एक्टर से पॉलिटिशियन बनी खुशबू सुंदर को हाल ही में नेशनल कमीशन फॉर वुमन (NCW) की मेंबर के तौर पर नॉमिनेट किया गया है। खुशबू ने एक इंटरव्यू में बताया कि 8 साल की उम्र में उनके पिता ने ही एब्यूज किया था। उनका शोषण चलता रहा, जब तक वो 15 साल की नहीं हुईं इसके बारे में किसी को बता भी नहीं पाईं।

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खुशबू ने अपने इंटरव्यू में कहा, "मुझे लगता है कि चाइल्ड एब्यूज सिर्फ लड़के या लड़की के लिए नहीं है। मेरी मां एक एब्यूजिव शादी में थीं जिसमें उनके पति को लगता था कि पत्नी को पीटना उसका अधिकार है। जब मेरे साथ एब्यूज शुरू हुआ तो इसके बारे में बात करने से भी मैं डरती थी और 15 साल की उम्र तक कुछ कह नहीं पाई थी।"

सेलेब्स जिन्होंने बचपन में झेला है एब्यूज

चाइल्ड एब्यूज की समस्या इतनी बड़ी है कि उससे बच पाना आसान नहीं है। किसी ना किसी मोड़ पर इसका दंश याद आ ही जाता है। ऐसा ही हुआ इन सेलेब्स के साथ।

कंगना रनौत- अपने रिएलिटी शो "लॉक अप" में कंगना रनौत ने कहा था कि उनके घर के पास रहने वाला एक लड़का छोटे बच्चों को बुलाता था और उन्हें कपड़े उतारने के लिए कहता था। उनके साथ भी ऐसा हुआ था, लेकिन 4-5 साल की उम्र में उन्हें पता नहीं था कि ये क्या है।

सोनम कपूर- सोनम के साथ 13-14 साल की उम्र में ये हुआ था। सोनम अपने दोस्तों के साथ गैलेक्सी थिएटर में फिल्म देखने गई थीं और एक आदमी ने पीछे से आकर उनके ब्रेस्ट को दबाया था। एक टीनएजर के लिए ये बहुत खराब एक्सपीरियंस हो सकता है।

नीना गुप्ता- नीना ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'सच कहूं तो' में इसके बारे में बताया था। नीना गुप्ता को बचपन में एक टेलर और एक डॉक्टर ने एब्यूज किया था। नीना इस बारे में अपने माता-पिता से बात नहीं कर पाईं और उनके साथ काफी समय तक एब्यूज चलता रहा।

तापसी पन्नू- तापसी जब टीनएज में डीटीसी बस से ट्रैवल करती थीं तो उनके साथ कई बार एब्यूज हुआ है। तापसी को शरीर के कई हिस्सों में छुआ जाता था और उन्होंने 19 साल की उम्र में अपने लिए कार खरीद ली।

मुनव्वर फारुकी- रिएलिटी शो 'लॉक अप' में कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी ने भी इसके बारे में बताया था कि किस तरह से बचपन में उन्हें एब्यूज का सामना करना पड़ा था।

ऐसे ना जाने कितने सेलेब्स हैं जिन्होंने अपने साथ हुए एब्यूज की जानकारी जगजाहिर की है।

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बच्चों के साथ एब्यूज क्या इतना आसान है?

इन तमाम मामलों को देखने के बाद आप समझ गई होंगी कि सेक्सुअल एब्यूज किसी के साथ भी हो सकता है और ये किसी एक जेंडर के लिए नहीं है। ये किसी के साथ भी हो सकता है और किसी भी उम्र में हो सकता है। ऐसा सोचना कि लड़के इससे बच जाएंगे ये गलत होगा। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सेक्सुअल एब्यूज इतना आसान कैसे है? इन सारे किस्सों में एक बात कॉमन है और वो ये कि सभी अपने साथ हुई घटनाओं के बारे में बताने से डरते हैं।

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हमारे देश में विक्टिम ब्लेमिंग की समस्या भी बहुत ज्यादा है। बच्चों को भी ये सिखाया जाता है कि घर में कोई चीज टूटने से लेकर माता-पिता का मूड खराब होने तक सारी गलती उनकी ही है। इसे कल्चर कह लीजिए या सामाजिक नाकामी, लेकिन हमारे देश में विक्टिम को ये नहीं समझाया जा सकता है कि उसकी गलती नहीं है। उल्टा उसे किसी ना किसी तरह से ब्लेम करने की आदत बनी रहती है। घर-परिवार में अगर ऐसा होता है तो बच्चों को बदनामी के डर से चुप करवा दिया जाता है या फिर उन्हें इतना डरा दिया जाता है कि वो अपने साथ हुई घटना के बारे में किसी से कुछ कह ही ना पाएं।

ये जरूरी है कि हमारे समाज में कुछ ऐसे बदलाव आएं कि बच्चे अपने साथ हुई घटनाओं के बारे में अपने माता-पिता को बताने से डरें नहीं। आपकी इस मामले में क्या राय है? ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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