Paush Amavasya 2022: इस तिथि पर पड़ने जा रही है साल की आखिरी अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

आज हम आपको पौष माह की अमावस्या तिथि, मुहूर्त और महत्व के बार में बताने जा रहे हैं।   

Paush Amavasya Ka Mahatva
Paush Amavasya Ka Mahatva

Paush Amavasya 2022: हिन्दूधर्म में अमावस्या का अत्यंत महत्व है। अमावस्या के दिन शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं लेकिन इस दिन पूजा, पाठ, अनुष्ठान आदि करने को शुभ फलदायी माना गया है।

पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। पौष अमावस्या के दिन स्नान-दान और पितृ तर्पण का सर्वाधिक पुण्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही, पितृ दोष और काल सर्प दोष के निवारण हेतु इस अमावस्या को सिद्ध माना जाता है।

ऐसे में हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आइये जानते हैं पौष अमावस्या की तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।

पौष अमावस्या 2022 तिथि (Paush Amavasya 2022 Date)

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इस साल पौष अमावस्या दिसंबर के महीने में पड़ रही है। जहां एक ओर पौष अमावस्या तिथि का आरंभ 22 दिसंबर, दिन गुरुवार (गुरुवार के उपाय) को शाम 7 बजकर 13 मिनट से होगा तो वहीं 23 दिसंबर, दिन शुक्रवार को दोपहर के 3 बजकर 46 मिनट पर इसका समापन होगा।

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पौष अमावस्या 2022 महत्व (Paush Amavasya 2022 Significance)

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पौष अमावस्या का धार्मिक दृष्टि के बहुत महत्व है। पौष अमावस्या को सर्व सुखदायिनी तिथि माना जाता है। जो भी व्यक्ति पौष अमावस्या के दिन स्नान-दान कर पितृ तर्पण करता है उसके परिवार पर पितरों कला आशीर्वाद हमेशा बना रहता है और वह पितृ दोष से भी मुक्त हो जाता है।

इसके अलावा, मान्यता है कि इस दिन जितना हो सके उतना पूजा-पाठ और यज्ञ आदि करने चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि का वास बन अरेहता है और भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) की असीम कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।

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पौष अमावस्या 2022 पूजा विधि (Paush Amavasya 2022 Puja Vidhi)

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  • पौष अमावस्या के दिन प्रातः काल उठकर नदी में स्नान करना चाहिए।
  • अगर नदी में संभव न हो तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए।
  • एक तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल मिश्रित करने चाहिए।
  • इसके बाद सूर्य मंत्रों का जाप कर सूर्य देव को उसी ताम्बे के लोटे से अर्घ्य देना चाहिए।
  • सूर्य अर्घ्य के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।
  • तर्पण के बाद किसी जरूरतमंद को दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
  • अंत में शाम के समय पीअल के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए।

तो ये थी पौष अमावस्या की तिथि, महत्व और पूजा विधि से जुड़ी समस्त जानकारी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pexels, Shutterstock

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