कहते हैं कि इंसान का सबसे बड़ा शिक्षक वक्त होता है। आप किताबों से भले ही कितना ज्ञान बटोर लें, लेकिन सच्ची सीख आपको बदलते वक्त के जरिए ही मिलती है। ऐसा ही कुछ पिछले साल देखने को मिला। जब कोरोना संक्रमण ने कई देशों पर ताला लगा दिया और भारत में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे तो इस महामारी पर लगाम लगाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों के लिए पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी।
हालांकि, इस निर्णय से पहले 22 मार्च को 14 घंटों के जनता कर्फ्यू भी किया गया थां। आज देश में लगे लॉकडाउन के पहले चरण को एक साल पूरा हो गया है। इस लॉकडाउन ने ना सिर्फ लोगों को काफी हद तक कोरोना से सुरक्षित रखा, बल्कि लोगों की सोच व उनके जीने के तरीकों में भी काफी बदलाव किया। लॉकडाउन के एक साल पूरा हो जाने के बाद अब लोग आज उन चीजों की अहमियत को समझने लगे हैं, जिनके बारे में वह सिर्फ कहा ही करते थे। तो चलिए आज जब देश में लगे लॉकडाउन को एक साल पूरा हो गया है तो हम आपको बता रहे हैं कि इस लॉकडाउन ने लोगों की सोच को किस तरह गहराई से ना सिर्फ प्रभावित किया, बल्कि उसे बदलकर भी रख दिया-
बचत है बुरे वक्त की कमाई
देश में लॉकडाउन लगने के बाद काम-धंधे पूरी तरह से ठप्प हो गए। ऑफिस से लेकर फैक्ट्री पर ताला लग गया। इस बुरे दौर में जब लोगों की आमदनी का जरिया बंद हो गया तो लोगों के लिए घर चलाना बेहद मुश्किल हो गया। जिन लोगों के पास थोड़ी सेविंग्स थी, वह इन दिनों को आराम से बिता पाए। जबकि अन्य लोगों को पैसे-पैसे के लिए मोहताज होना पड़ा। लॉकडाउन ने लोगों को सिखाया कि बचत वास्तव में बुरे वक्त की कमाई है। लॉकडाउन के बाद लोगों ने बचत के महत्व को अधिक बारीकी से समझा।
इसे जरूर पढ़ें:लॉक डाउन के समय इन स्टेप्स की मदद से करें स्ट्रेस को दूर
अपनों का साथ है जरूरी
आज के समय में हर व्यक्ति एक रेस में लगा है और नंबर वन आने के चक्कर में परिवार, दोस्त व रिश्तेदार कब पीछे छूट जाते हैं, यह पता ही नहीं चलता। लेकिन लॉकडाउन में जब हर व्यक्ति घर के अंदर था और उनके पास वक्त की भी कोई कमी नहीं थी, तब लोगों ने यह समझा कि काम के साथ-साथ परिवार का साथ होना भी कितना जरूरी है। अपनों के साथ वक्त बिताकर लोगों ने ना सिर्फ आपसी बॉन्ड को मजबूत किया, बल्कि यह भी जाना कि इंसान की असली ताकत उसके अपने ही होते हैं।
सेहत है सच्चा साथी
सालों से हम यह कहते आ रहे हैं कि पहला सुख निरोगी काया। धीरे-धीरे लोगों के लिए यह बस एक जुमला मात्र ही बनकर रह गया। लेकिन लॉकडाउन में जब सभी रेस्त्रां व बाजार बंद थे, तो लोगों ने घर का बना हेल्दी खाना ही खाया और उन्हें यह समझ में आया कि वास्तव में उनका सच्चा साथी स्वास्थ्य ही है। इतना ही नहीं, उस मुश्किल दौर में लोगों ने अपने प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए भी अपने आहार पर ध्यान दिया। अब जब लोग बाहर निकलने लगे हैं, लेकिन फिर भी वह अपनी सेहत को लेकर पहले से काफी अधिक सचेत हो गए हैं। खानपान से लेकर व्यायाम तक अब लोगों में अधिक जागरूकता देखी जा रही है।
पर्सनल हाईजीन से समझौता नहीं
जब बच्चा स्कूल जाने लगता है, तभी से उसे पर्सनल हाईजीन व उसके महत्व के बारे में बताया जाता है। लेकिन बड़े होते-होते अक्सर लोग इसे भूल जाते हैं। लेकिन लॉकडाउन और कोरोना ने इसके महत्व को ना सिर्फ दोबारा दिलाया, बल्कि उसे लोगों की जिन्दगी का एक हिस्सा भी बना दिया। बाहर से लौटते ही हाथों को वॉश करने से लेकर हर दिन नहाना, कपड़े बदलना और हर चीज को धोकर खाना जैसी आदतें अब हर व्यक्ति की जिन्दगी का हिस्सा बन चुकी हैं।
इसे जरूर पढ़ें:लॉक डाउन के बाद ट्रेवलिंग में आएंगे अनेक बदलाव
जिन्दगी में कुछ भी निश्चित नहीं
अमूमन हम सोचते हैं कि हमारी जिन्दगी जैसी चल रही है, हमेशा वैसी ही चलती रहेगी। लेकिन लॉकडाउन ने लोगों को यह बात बहुत अच्छी तरह समझा दी कि जिन्दगी में कुछ भी निश्चित नहीं है। जब लॉकडाउन के बाद काम-धंधे बंद हो गए तो लोगों को जॉब से निकाला जाने लगा। बहुत सी कंपनियां घाटे में चली गई। जो लोग काम कर रहे थे, उनकी सैलरी भी कम कर दी गई। ऐसे में लोगों ने यह समझा कि सिर्फ किसी एक चीज के भरोसे बैठे रहना सही नहीं है। आज के समय में लोग जॉब करते हुए भी अपने स्किल्स को निखारने की कोशिश करने लगे हैं। वह अपने काम से जुड़े अन्य फील्ड में भी expertise हासिल करना चाहते हैं ताकि किसी भी बुरे दौर में उन्हें बेकार होकर घर पर ना बैठना पड़े।
Recommended Video
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों