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अभी हाल ही में दिल्ली के कुछ मेट्रो स्टेशन के नाम में बदलाव की घोषणा हुई है। यह घोषणा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा की गई है, जिसमें उन्होंने तीन मेट्रो स्टेशन के नाम बदलने की जानकारी दी है। पीतमपुरा मेट्रो स्टेशन अब मधुबन चौक के नाम से जाना जाएगा। वहीं निर्माणाधीन पीतमपुरा नॉर्थ स्टेशन का नाम हैदरपुर मेट्रो स्टेशन लिखा गया है। यह निर्णय न केवल स्थानीय पहचान को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है बल्कि यात्रियों की सुविधा का भी खास ख्याल रखा गया है। मुख्यमंत्री ने विकसित दिल्ली की नई पहचान हैदरपुर को बताया है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर एक मेट्रो स्टेशन के नाम को बदलने के लिए किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि किन बातों का ध्यान रखकर मेट्रो स्टेशन नाम को बदला जाता है। पढ़ते हैं आगे...
डीएमआरसी की नामकरण नीति यानी नामिंग पॉलिसी बेहद स्पष्ट है। हालांकि, सबसे पहले डीएमआरसी की तरफ से पहल नहीं होती बल्कि दिल्ली सरकार, शहरी विकास मंत्रालय या स्थानीय नागरिक निकाय द्वारा अनुरोध किया जाता है।
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नाम बताने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
यदि स्टेशन किसी प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल पर है या किसी बाजार पर या शिक्षण संस्थान के पास है तो यात्री सुविधा के लिए नाम बदलते हैं और उस ऐतिहासिक जगह का नाम लिखते हैं।
यदि नाम से यात्रियों में भ्रम पैदा हो स्थानीय लोग उस क्षेत्र को किसी अन्य नाम से जानते हों तब भी नाम को बदला जा सकता है।
इससे अलग वेबसाइट ब्रांडिंग के तहत भी नामकरण का अधिकार दिया जा सकता है जब एक मेट्रो स्टेशन का नाम बदल जाता है तो सरकारी निकाय डीएमआरसी से नाम बदलने का अनुरोध और कारण बताती है।
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फिर एक डीएमआरसी के अंदर काम करने वाली पैनल उसकी समीक्षा करती है।
वह जांच करते हैं कि नामकरण ज्यादा लंबा तो नहीं है, इससे कोई विवाद तो नहीं होगा आदि चीजों की जांच होती है और क्या इससे यात्रियों को सही में लाभ होगा या नहीं।
जब समीक्षा हो जाती है तो प्रस्ताव को डीएमआरसी बोर्ड के समक्ष अंतिम मंजूरी के लिए भेज दिया जाता है। जब बोर्ड से हरी झंडी मिल जाती है तो दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग में नाम को मंजूरी के लिए भेज दिया जाता है। दिल्ली सरकार की अंतिम अधिसूचना यानि नोटिफिकेशन जारी होते ही नाम आधिकारिक रूप से मान्य हो जाता है।
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी ट्रेनों के डिस्प्ले सिस्टम, ऑटोमेटिक गेट्स और टोकन वेंडिंग मशीनों के सॉफ्टवेयर को नए नाम के साथ अपडेट करना होता है। स्टेशन के नए नाम की अनाउंसमेंट की रिकॉर्डिंग पेशावर कलाकारों द्वारा करवाई जाती है। साथ ही ट्रेनों तथा स्टेशनों के पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम में इस नाम को लोड किया जाता है। स्टेशन के अंदर व बाहर प्लेटफार्म और रूट मैप पर लगे सभी साइन बोर्ड को बदलते हैं और यह सुनिश्चित किया जाता है कि पुराना नाम ना दिखाई दे रहा।
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