
धर्मेंद्र, जिन्हें दुनिया 'ही-मैन' के नाम से जानती थी, अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। धर्मेंद्र को लोग कई नामों से भी जानते हैं। आज भले ही वो हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन वो अपनी दमदार एक्टिंग से अभी भी करोड़ों दिलों पर राज कर रहे हैं। पर्दे पर वो जब भी बंदूक उठाते थे, तो सिनेमा हॉल तालियों से गूंज उठता था। इतना ही नहीं, जब वो प्यार में पड़ते थे, तो हर कोई उनका दीवाना हो जाता था।
हालांकि, इस चकाचौंध से भरी दुनिया के पीछे एक शख्स ऐसा भी था, जिसे न तो शोहरत की परवाह थी और न ही करोड़ों की फीस की। वो खुद को एक सुपरस्टार से ज्यादा किसान कहलाना भी पसंद करते थे। उन्होंने भले ही बहुत नाम और शोहरत कमाया था, लेकिन वो जमीन से जुड़े आदमी थे। आइए इसके बारे में जानते हैं विस्तार से -
आपको बता दें कि जिस दौर में धर्मेंद्र फिल्मों के लिए लाखों रुपये (जो आज के करोड़ों के बराबर हैं) चार्ज करते थे, वो अक्सर एक बात कहते थे कि मैं भले ही फिल्मों में हूं, लेकिन असल में तो मैं किसान हूं। ये बात सिर्फ कहने के लिए नहीं थी, बल्कि उनकी जिंदगी का सच थी।
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पंजाब के साहनेवाल गांव से निकले धर्मेंद्र हमेशा मिट्टी से जुड़े रहे। मुंबई की भागदौड़ और फिल्मी पार्टियों से दूर, उन्हें सुकून केवल अपने फार्महाउस पर ही मिलता था। उनका मानना था कि मिट्टी और किसानी में जो सच्चाई है, वाे इस शोबिज की दुनिया में नहीं है।
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धर्मेंद्र का फार्महाउस मुंबई से थोड़ी दूर, लोनावाला के पास स्थित है। ये जगह उनके लिए किसी जन्नत से कम नहीं थी। अपनी जिंदगी के आखिरी सालों में उन्होंने अपना ज्यादातर समय यहीं बिताया। फार्महाउस में कोई बड़ी फिल्मी पार्टी नहीं होती थी। वहां बस सादगी की बात होती थी। वो खुद अपने हाथों से सब्जियां उगाते थे।
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उनके इंस्टाग्राम पर ऐसे कई वीडियोज हैं, जो उनकी ये सादगी दिखाती थी कि भले ही उन्होंने करोड़ों की कमाई की, लेकिन उनका दिल हमेशा गांव की कच्ची मिट्टी में ही रहा। कहीं वो चारपाई पर आराम करते हुए नजर आते, तो कभी सब्जियां तोड़ते। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि वो यहां पर ऑर्गेनिक खेती करते थे। पशुपालन और नेचर को एंजॉय करते थे।
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धर्मेंद्र का ये देसी प्यार सिर्फ फार्महाउस तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने अपने इसी अंदाज को एक बिजनेस का भी रूप दिया। इसे गरम धरम (Garam Dharam) ढाबा कहते हैं। ये ढाबा उनके फिल्मी करियर और उनके देसीपन का परफेक्ट कॉम्बिनेशन है। गरम धरम ढाबे की शुरुआत साल 2015 में उन्होंने की थी। इसके लिए उन्होंने दो लाेगों से पार्टनरशिप की थी, उमंग तिवारी और मिकी मेहता।
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रेस्टोरेंट को एक मॉडर्न ढाबे की थीम पर बनाया गया है। इसका इंटीरियर उनकी फिल्मों और मशहूर डायलॉग से इंस्पायर्ड है, जैसे- 'वीरू की गड्डी'। यहां बेहद स्वादिष्ट पंजाबी खाना मिलता है। ये ढाबा इस बात का सबूत है कि धर्मेंद्र ने कभी भी अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा। गरम धरम चेन के पूरे भारत में कई आउटलेट हैं। दिल्ली NCR के अलावा आपको नोएडा, चंडीगढ़ जैसे कई शहरों में गरम धरम ढाबा के आउटलेट मिल जाएंगे।
आज जब वो हमें छोड़कर चले गए हैं, तो उनकी फिल्में तो याद आएंगी ही, लेकिन उससे ज्यादा उनकी वो सादगी याद आएगी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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