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Vivah Panchami 2025: कब मनाया जाएगा राम-सीता के विवाह का उत्सव? विवाह पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और इस पर्व से जुड़ी अन्य बातें

Vivah Panchami Date 2025: विवाह पंचमी का दिन मुख्य रूप से प्रभु श्री राम और माता सीता के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर में लोग पूजा-पाठ करते हैं और कई उपाय करते हैं जिससे घर में समृद्धि बनी रहे। आइए जानें इस साल कब मनाया जाएगा यह पर्व और इससे जुड़ी कुछ अन्य बातों के बारे में।
Editorial
Updated:- 2025-11-24, 16:31 IST

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह अत्यंत पावन और शुभ अवसर माना जाता है। मान्यता अनुसार इसी दिन अयोध्या के राजा प्रभु भगवान श्री राम और जनक नंदिनी माता सीता का अलौकिक विवाह सम्पन्न हुआ था। इसलिए आज भी यह तिथि हर साल अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है। विवाह पंचमी के दिन भक्तजन भगवान श्रीराम और माता सीता का पूजन कर दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और प्रेम की कामना करते हैं। यह तिथि विवाह योग्य कन्या और वर के लिए भी अत्यंत अनुकूल और शुभ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आपके विवाह में देरी हो रही हो या फिर वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ रही हों, तो इस दिन पूजन और व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस पर्व को लेकर गूगल ट्रेंड्स में भी कई सवाल पूछे जा रहे हैं। जैसे इस साल विवाह पंचमी कब है? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इस पर्व का महत्व क्या है? आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इन सभी सवालों के सही जवाब।

विवाह पंचमी 2025 कब है? (Vivah Panchami 2025 Kab Hai)

विवाह पंचमी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, इसलिए इस साल विवाह पंचमी 25 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।

  • हिंदू पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि का आरंभ- 24 नवंबर 2025, सोमवार, रात्रि 09:22 बजे
  • पंचमी तिथि का समापन- 25 नवंबर 2025, मंगलवार, रात्रि 10:56 बजे तक
  • चूंकि पंचमी तिथि 25 नवंबर को उदया तिथि में है, इसलिए इस दिन विवाह पंचमी का व्रत करना ज्यादा मान्य होगा।

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विवाह पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त (Vivah Panchami Puja Muhurat 2025)

विवाह पंचमी 25 नवंबर को प्रभु श्री राम और माता सीता की पूजा के लिए श्री राम और माता सीता की पूजा के लिए कई विशेष शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं-

विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त         विवाह पंचमी शुभ समय 
विवाह पंचमी पूजा ब्रह्म मुहूर्त     25 नवंबर, प्रातः 04:20 बजे से प्रातः 04:59 बजे तक
विवाह पंचमी पूजा अभिजीत मुहूर्त  प्रातः 11:47 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा
विवाह पंचमी गोधूलि मुहूर्त  शाम 07.44 बजे से रात्रि 08.44 बजे तक

पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय: प्रातः 04:20 से दोपहर 12:29 तक है।

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विवाह पंचमी पूजा विधि (Vivah Panchami Puja Vidhi 2025)

विवाह पंचमी की पूजा विधि अत्यंत सरल और फलदायी मानी जाती है। इस दिन भक्तों के लिए सबसे फलदायी माना जाता है प्रभु श्री राम और माता सीता का पूजन करना। यदि आप इस दिन उपवास करती हैं तो सही पूजा विधि के साथ ही इस दिन पूजा करनी चाहिए।

  • विवाह पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान आदि से मुक्त होकर व्रत का संकल्प करें। इस दिन व्रत करने से भगवान के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। साथ ही, माता सीता जो लक्ष्मी जी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान राम जो श्री विष्णु जी का अवतार हैं, उनकी पूजा का विशेष फल मिलता है।
  • उनकी पूजा के लिए विवाह पंचमी के दिन लाल रंग का आसान बिछा लें और राम दरबार की तस्वीर रखें। इस दिन राम चंद्र जी की तस्वीर के साथ गणपति की मूर्ति भी रखें।
  • चौकी में घी या तेल का दीपक जलाएं और राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। इसके साथ ही सभी देवी देवताओं को आव्हान करें और उनसे कहें कि हम आपकी पूजा करने वाले हैं तो आप कृपया हमारा पूजन करें।
  • इसके बाद भगवान को टीका लगाएं तो जितने भी देवता है सभी को चंदन या रोली का टीका लगाएं और माता सीता को भी सिंदूर चढ़ाएं। माता गौरा को भी सिंदूर चढ़ाएं और फिर खुद भी सिंदूर लगाएं। इस दिन आप माता सीता को यदि श्रृंगार का सामान चढ़ाएं तो बहुत फलदायी माना जाता है।
  • भगवान को फल, पुष्प, तुलसी दल अर्पित करें और उनकी पसंद का सामान चढ़ाएं।
  • इस दिन यदि आप  विवाह पंचमी की कथा का पाठ करें और श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड और बालकांड का पाठ पढ़ती हैं तो ये भी आपके वैवाहिक जीवन के लिए शुभ माना जाता है।

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विवाह पंचमी का महत्व

विवाह पंचमी का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इसकी आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है। यह एक दिव्य तिथि मानी जाती है जब भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन को आज भी राम-सीता के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में सौहार्द बना रहता है। विवाह पंचमी की पूजा विधि से करने पर वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। इसके साथ ही इस दिन किया गया पूजन कई ग्रह दोषों को दूर करता है। मुख्य रूप से शनि की साढ़े साती के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है।

विवाह पंचमी पर जल्दी शादी के उपाय

अगर आपकी शादी में देरी हो रही है तो आप विवाह पंचमी के दिन तुलसी की पूजा जरूर करें। इस दिन तुलसी को जल दें और उन्हें श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। माता तुलसी से जल्दी विवाह की प्रार्थना करें, इससे आपके विवाह में आने वाली कोई भी बाधा दूर हो सकती है।

एक और उपाय के रूप में आप माता सीता को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। उसी सिंदूर का टीका आप अपने माथे पर भी लगाएं और उनसे शादी की प्रार्थना करें। आपके विवाह में आने वाली कोई भी बाधा जल्द दूर हो सकती है।

विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त होने पर भी क्यों नहीं होती हैं शादियां?

विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता के विवाह उत्सव से जोड़ा जाता है और यह अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है, लेकिन इस दिन शादी नहीं की जाती है क्योंकि मान्यता है कि राम-सीता को इस दिन विवाह करने से वियोग सहना पड़ा था और इनका जीवन संघर्षों से भरा था जिसमें 14 वर्ष का वनवास भी था। इसी वजह से आज भी इस तिथि को शादी के लिए शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन विवाह करने से वैवाहिक जीवन में वही चुनौतियां आ सकती हैं या वियोग का सामना करना पड़ सकता है। इसी वजह से भले ही विवाह पंचमी एक शुभ और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन अवसर क्यों न हो लोग इस दिन शादी नहीं करते हैं। लोग इस दिन भगवान राम-सीता के दांपत्य प्रेम, आदर्श और भक्ति की पूजा तो करते हैं, लेकिन विवाह नहीं करते हैं जिससे उनके जीवन में कोई अनिष्ट या कठिनाई न आए।

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विवाह पंचमी का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है और इस दिन किया गया पूजा-पाठ अत्यंत फलदायी होता है। आप भी इस दिन व्रत उपवास का पालन करने के साथ विधि-विधान से पूजा करें तो समस्त पापों से मुक्ति के द्वार खुल सकते हैं।
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