आज भी कई ऐसे लोग हैं जिन्हें प्राचीन इतिहास को जानना और समझना अच्छा लगता है। कई लोग तो ऐसे होते हैं जो सिर्फ भारतीय राज वंशज पर लिखी किताबों को पढ़ना पसंद करते हैं जैसे- मौर्य साम्राज्य, मुगल साम्राज्य आदि। मुझे तो मुगल साम्राज्य के बारे में पढ़ना काफी अच्छा लगता है।
हालांकि, मुगल साम्राज्य इतना बड़ा है, जिसके बारे में तमाम चीजें पढ़ पाना काफी मुश्किल है, लेकिन इसके बावजूद आए दिन हम आपके लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं और मुगल साम्राज्य से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं। आज इसी कड़ी में हम आपको नादिर शाह के बारे में बताएंगे, जिसने मुगलों का हीरा चुराने का काम किया था।
यह इतिहास का बहुत ही दिलचस्प कहानी है और आपको जानकर हैरानी होगी की नादिर शाह भारतीय नहीं बल्कि एक ईरानी शख्स था....आइए जानते हैं नादिर शाह और उसकी कहानी के बारे में।
कौन था नादिर शाह?
नादिर शाह फारस का शाह था, जिसने अफशरीद राजवंश की संस्थापक भी की थी। कहा जाता है कि उत्तरी भारत पर आक्रमण किया था और अपने बहादुरी मिसाल कायम की थी। दरअसल बात मार्च 1739 की जब नादिर की सेना ने करनाल पर हमला कर मुगलों को हरा दिया था और भारत का बेहद खूबसूरत हीरा चुराने का काम किया था। (अकबर की बेगमों के बारे में)
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नादिर शाह ने कौन-सा हीरा चुराया था?
बात 1739 है...जब नादिर शाह ने मुगलों को हरा दिया था... और मुगल सल्तनत का पतन हो गया था। मुगलों को हराने के बाद नादिर शाह अपने साथ तख्त-ए-ताउस और कोहिनूर हीरे को फारस ले गया था। फिर इस हीरे का नाम नादिर शाह ने 'कोह-इ-नूर' रख दिया था जिसका अर्थ होता है 'रोशनी का पहाड़'।
नादिर शाह के समय मुगल बादशाह कौन था?
नादिर शाह ने 1737 में भारत पर आक्रमण किया। वो तब के सौ करोड़ रुपये की संपत्ति लेकर चला गया। उस समय मुहम्मद शाह रंगीला मुगलों का राजा था। इसके बाद मुगल सल्तनत काफी कमजोर हो गई थी और धीरे-धीरे इसका नाम ही खत्म हो गया था।
मुगल साम्राज्य का संक्षिप्त इतिहास
मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1857 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था, जिन्होंने अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया था।
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हालांकि, कई इतिहासकारों का मानना है कि सन 1707 से लेकर सन 1857 तक मुगल साम्राज्य के पतन यानि विघटन दौर से गुजर रहा था। इसके अलावा, कुछ महिलाएं भी थीं, जिन्होंने अपना योगदान नीति-निर्माण में दिया था।
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