हम सबके सामने यामी गौतम (Yami Gautam) फिर बड़े पर्दे पर एक दमदार कहानी लेकर आई हैं। इस फिल्म में अभिनेत्री ने दर्शकों को एक ऐसे केस के बारे मे बताया है, जिसके लिए एक मुस्लिम महिला ने लगभग 7 साल कानूनी लड़ाई लड़ी। हम बात कर रहे हैं शाह बानो केस की। बता दें कि ये फिल्म साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट में हुए ऐतिहासिक केस पर बनाई गई है, जिसमें शाह बानो बनाम मोहम्मद अहमद के नाम की फाइल दाखिल हुई। इस केस के दौरान पूरे देश में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर एक नई बहस छिड़ गई। फिल्म में अहम लीड यामी गौतम और इमरान हाशमी नजर आ रहे हैं। ऐसे में इस मूवी के ट्रेलर के आने
शाह बानो मध्य प्रदेश के इंदौर में रहा करती थीं। वहीं उनका निकाह मोहम्मद अहमद से हुआ था, जो कि एक वकील थे। उनके पति मोहम्मद ने साल 1978 में 62 वर्ष की उम्र में तलाक दे दिया। तब उन्होंने पति से गुजारा भत्ता के रूप में 500 रुपये की मांग की थी। ऐसे में इनके मामले ने साल 1981 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता(CRPC) की धारा 125 के तहत ये मांग की। इस मांग पर पति मोहम्मद ने भत्ता देने के लिए मना कर दिया और कहा कि भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक, इद्दत की मुद्दत तक ही पत्नी को गुजारा भत्ता पति से मिलता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, इद्दत तीन महीने का अवधि को कहते हैं। ये पति की मौत या तलाक के बाद पत्नी को निभानी पड़ती है। हालांकि, परिस्थिति के अनुसार भी इद्दत की समय सीमा में बदलाव किया जा सकता है।
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लंबी सुनवाई के बाद साल 1985 में सुप्रीम कोर्ट में शाह बानो की जीत हुई। कोर्ट ने कहा कि धारा 125 धर्म को नहीं मानती ये सभी नागरिकों पर लागू होती है।
हालांकि, बाद में मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग ने इस पर आपत्ति जताई, जिसके बाद राजीव गांधी सरकार पर दबाव पड़ा और उन्हें साल 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक पर संरक्षण अधिनियम) को पास करना पड़ा। इसका प्रभाव शाह बानो के मामले पर पड़ा और बाद में इद्दत की अवधि तक ही भत्ता मिला।
बता दें कि इस मूवी के टीजर में यामी गौतम और इमरान हाशमी की जबरदस्त केमिस्ट्री नजर आ रही है। अगर आप इसका ट्रेलर देखना चाहती हैं तो जंगल पिक्चर्स के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जाकर लेटेस्ट टीजर को देख सकती हैं।
ट्रेलर में यामी गौतम बनी साजिया बानो एक कानूनी लड़ाई लड़ रही है, जबकि उनके पति इमरान हाशमी हैं, जिनका पेशा वकील है। हक मूवी में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के अधिकारों को उजागर किया गया है और उनके आत्मसम्मान पर बात की गई है।
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