भारत में मुगल साम्राज्य का इतिहास काफी रोचक रहा है इसलिए इसे पढ़ने का अपना अलग ही मजा है। क्योंकि हर कोई राजा और रानियों के बारे में पढ़ना और उनकी जिंदगी के बारे में जानना चाहता है। आपने यकीनन कई मुगल बादशाहों के बारे में पढ़ा होगा और कई बादशाहों की प्रेम कहानियां भी सुनी होंगी। लेकिन आज हम आपको मुगल साम्राज्य की कुछ ऐसी बेगमों या फिर रानियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो न सिर्फ प्रेरणादायक शख्सियत रही हैं बल्कि इन्होंने अपना भाग्य बनाने के लिए कई मानदंडों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और मुगल इतिहास में अपना नाम दर्ज किया।
हालांकि, मुगल इतिहास की तमाम महिलाओं को एक पन्ने में कैद करना संभव तो नहीं है लेकिन फिर भी हमने कुछ ऐसी मुगल बेगम या फिर रानियों को रेखांकित करने की कोशिश की है, जिनके बारे में आपने यकीनन सुना होगा। तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसी महिलाओं, रानियों या फिर बेगमों के बारे में, जिनके नाम मुगल साम्राज्य के इतिहास में दर्ज हैं।
मुगल साम्राज्य का संक्षिप्त इतिहास
मुगल साम्राज्य की शक्तिशाली रानियों या महिलाओं के बारे में जानने से पहले हमें मुगल इतिहास के बारे में जानना बहुत जरूरी है कि भारत में मुगल बादशाहों ने कितने साल शासन किया और इसकी शुरुआत किसने की। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1857 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी।
इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब आदि ने शासन किया। इन राजाओं ने शासन के दौरान समाज का काफी निर्माण किया था। हालांकि, कई इतिहासकारों का मानना है कि सन 1707 से लेकर सन 1857 तक मुगल साम्राज्य पतन यानि विघटन दौर से गुजर रहा था।
गुलबदन बानो बेगम
गुलबदन बानो बेगम ने न सिर्फ मुगल साम्राज्य को विस्तार देने का काम किया बल्कि मुगल इतिहास के कुछ अंशों को अपनी कलम से रेखांकित करने का भी काम किया। क्योंकि यह मुगल साम्राज्य की वह महिला हैं, जिन्होने अपनी खूबसूरत लेखनी से हुमायूंनामा किताब लिखी। आपको बता दें कि गुलबदन का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में साल 1523 में हुआ था और इन्हें मुगल इतिहास की लेखक भी कहा जाता है।
इन्होंने इस किताब में हुमायूंनामा में बादशाह हुमायूं और उनके शासन काल में उनके योगदान को बताया। साथ ही, मुगल परिवार में रोजमर्रा की जिंदगी और एक शाही परिवार की जिंदगी कैसी होती थी इसका भी बखूबी चित्रण किया है। बता दें कि इन्होंने अकबर के सुझाव पर ही हुमायूंनामा किताब लिखी थी।
मासूम सुल्तान बेगम
एक मुगल राजकुमारी और पहले मुगल सम्राट बाबर की बहादुर बेटी थीं। उनका नाम हुमायूंनामा में भी रेखांकित किया गया है। क्योंकि यह गुलबदन बेगम की बहन थीं, जिन्हें 'बड़ी बहन मून' के नाम से भी जाना जाता था। इनका जन्म काबुल में हुआ था। इतिहास के अनुसार मासूम सुल्तान बेगम के जन्म के बाद ही इनकी मां मर गई थीं। साथ ही, यह भी कहा जाता है कि इनका नाम इनकी मा ने ही रखा था। इसके बाद उनकी परवरिश बाबर की पूरी पत्नी ने की थीं।
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नूरजहां
जब बात मुगल साम्राज्य की शक्तिशाली महिलाओं की आती है और उसमें नूरजहां का नाम न लिया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता। क्योंकि यह मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी थी और इन्होंने मुगल शासन में अपनी एक अहम भूमिका अदा की है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नूरजहां एक खूबसूरत और बुद्धिमान महिला थीं, जिन्हें इतिहास पढ़ने जैसे साहित्य, कविता और ललित कलाओं से बेहद प्रेम था। उन्होंने जहांगीर से लगभग 1611 ई में शादी की थी।
शादी के बाद यह मुगल साम्राज्य की रानी और जहांगीर की बेगम बनीं। इस दौरान उन्होंने कई सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य भी करवाए। इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि उस दौरान चलने वाले सिक्कों पर भी उसका नाम खोदा जाने लगा था।
आराम बानो बेगम
आराम बानो बेगम एक. मुगल राजकुमारी थीं, जिनका जन्म 22 दिसंबर 1584 को हुआ था। यह अकबर और बीबी दौलत शाद की सबसे छोटी बेटी थीं। उनकी बड़ी बहन का नाम शकर-उन-निसा बेगम था। आराम बानो बेगम को हरम की तितली भी कहा जाता था क्योंकि यह न सिर्फ खूबसूरत थीं बल्कि अपने पिता के खिलाफ जाने का भी साहस रखती थीं। इसका स्वभाव तेज तर्रार और बातूनी के नाम से मशहूर था। बता दें कि आराम बानो बेगम की मां बीबी दौलत शाद भी अकबर की खास बेगमों में से एक थीं।
रुकैया सुल्तान
रुकैया बेगम न सिर्फ मुगल साम्राज्य की शक्तिशाली महिला थीं बल्कि वह हिन्दुस्तान की सन 1557 से लेकर 1605 तक मालिका भी बनी रहीं। क्योंकि रुकैया सुल्तान मुगल साम्राज्य के तीसरे बादशाह अकबर की पहली बेगम यानि पत्नी थीं। हालांकि, रुकैया बेगम अकबर की चचेरी बहन थीं, जिनसे अकबर से निकाह कर लिया था। रुकैया बेगम अकबर की बेहद खास और पसंदीदा पत्नी थीं।
इनका जन्म 1542 के आसपास हुआ था। उनके पिता का नाम हिंदाल मिर्ज़ा था, जो अकबर के पिता हुमायूं के छोटे भाई थे। रुकैया सुल्तान की परवरिश शुरू से ही एक शाही घराने में हुई थी क्योंकि वे अकबर की चचेरी बहन थीं। उन्होंने अपने शासन काल में कई ऐतिहासिक कार्यों को भी अंजाम दिया था।
मानबाई
मानबाई का नाम मुगल इतिहास की शक्तिशाली महिलाओं में लिया जाता है। इसका मुख्य यह है कि उन्होंने एक मुस्लिम मुगल बादशाह से शादी की थी। आपको बता दें कि मानबाई आमेर के राजा भगवंत दास की पुत्री और राजा बिहारीमल की पुत्री थी, जिनका निकाह बेहद कम उम्र में जहांगीर से करवा दिया गया था। निकाह के बाद इनका नाम बदलकर शाह बेगम रख दिया गया था। यह इतनी बहादुर थीं कि जिन्हें ‘द रॉयल लेडी’ भी कहा जाता था।
आपको बता दें कि सलीम यानि जहांगीर और मानबाई की शादी 13 फरवरी, 1585 शादी को हुई थी। साथ ही, आपको बता दें कि इन्होंने जहांगीर को शासनकाल में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन उन्होंने किसी वजह से आत्महत्या कर ली थी।
सलीमा सुल्तान बेगम
मुगल इतिहास की सबसे लोकप्रिय और पावरफुल रानियों मे सलीमा बेगम का भी नाम आता है। क्योंकि इनका नाम मुगल बादशाह अकबर से जुड़ा हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सलीम बेगम तैमूरी राजवंश से ताल्लुक रखती थीं। इनका जन्म 23 फरवरी 1539 को हुआ था। इनके पिता का नाम नूरुद्दीन था। हालांकि, सलीमा बेगम अकबर की दूसरी पत्नी थीं। इससे पहले उनका निकाह बैरम खां से करवा दिया था।
सलीम बेगम दिल की बेहद साफ और सच्चाई पर चलने वाली इंसान थीं। उन्होंने अकबर को कई बार संभाला है। उनकी मृत्यु 15 दिसम्बर 1612 में हुई थी। कहा जाता है कि उनकी कब्र आगरा में मौजूद है।
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इसके अलावा, अनारकली, जोधा बाई और भी कई महिला रही हैं, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Google, Wikipedia)
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