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जानें गौना प्रथा क्या है?

भारतीय शादियों की बात ही कुछ और होती है। यहां निभाए जाने वाली रस्में बेहद अनूठी होती हैं। हर रस्म को निभाने का तरीका भी अलग होता है। 
Editorial
Updated:- 2023-06-16, 18:57 IST

भारत में बड़े धूम धाम से शादियां मनाई जाती हैं। भारत में होने वाली शादियों की खास बात यह है कि इनमें निभाई जाने वाली रस्में बेहद अनूठी होती है। रीति-रिवाज धर्म और शहर के अनुसार होते हैं। बात जब भारतीय शादियों की रस्मों की आती है, तो हर रिवाज का अपना एक अलग महत्व होता है। क्या आपने गौना प्रथा के बारे में सुना है? आज भी भारत के कुछ राज्यों में यह रिवाज निभाया जाता है। चलिए जानते हैं गौना प्रथा से जुड़ी जरूरी बातें। 

क्या होता है गौना?

what is gauna traditionजब छोटी उम्र में लड़की की शादी करवा दी जाए, लेकिन उसकी विदाई न हो। इस रिवाज को गवना कहा जाता है। गवना 6 महीने से लेकर 3 साल तक होता है। समय सीमा पूरी होने के बाद लड़की को धूमधाम से अपने ससुराल भेजा जाता है। 

क्यों किया जाता था गौना?

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पहले के समय में छोटी उम्र में ही लड़कियों की शादी हो जाती थी। वह उस समय इतनी परिपक्व नहीं होती थी, कि वह यह सब समझ सकें। ऐसे में जब लड़की मैच्योर हो जाती है, तब उसे वापस ससुराल भेजा जाता था। 

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इस तरह भी किया जाता है गौना?

ऐसा जरूरी नहीं है कि गौना शादी के लंबे समय बाद ही किया जाए, बल्कि कई जगह पर विदाई के बाद लड़की को कुछ दूरी पर लेकर जाया जाता है और वापस घर लाया जाता है। इसके बाद वापस बारात लड़की के घर जाती है और उसकी दोबारा विदाई की जाती है। (मेहंदी की रस्म का महत्व)

गौना की रस्म में दूल्हे के घरवाले, खासतौर पर बहनें अपनी भाभी को गाड़ी से उतरने ही नहीं देती हैं। अगर दुल्हन जैसी भी करके दरवाजे तक पहुंच जाती है, तो उसे अपनी ननंद को भेंट में कुछ देना पड़ता है।

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पहले के समय में गौना के दौरान दरवाजे पर दो डलिया रखें जाते हैं। जिस पर दोनों दूल्हा-दुल्हन पैर रखकर आगे बढ़ते हैं। डलिया के जरिए ही वर-वधु कमरे तक पहुंचते हैं। 

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यह भी जानें

gauna in hindiऐसा नहीं है कि इस दौरान पति-पत्नी एक-दूसरे से नहीं मिलते हैं। दूल्हा चाहे, तो अपने ससुराल में अपनी इच्छा अनुसार हफ्ता या दस दिन रह सकता है। (चावल फेंकने की रस्म का महत्व)

कहां निभाई जाती है यह प्रभा?

गौना की प्रथा हर राज्य में नहीं निभाई जाती है। उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में आज भी यह प्रथा प्रचलित है। आज भी यहां के लोग विदाई के बाद अपनी बेटी का गौना करते हैं। 

 

 

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