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    क्या होता है महिलाओं का खतना? ये रिवाज है या फिर बेरहमी का एक तरीका?

    आज भी कई जगह महिलाओं का खतना होता है और इसे एक सदियों पुराना रिवाज माना जाता है। पर क्या आप जानती हैं कि ये होता क्या है और क्यों है? 
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    Updated at - 2023-02-03,21:37 IST
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    International day for female genital mutilation

    जब भी बात होती है महिला सशक्तिकरण की तो हमें कई तरह की बातें कही जाती हैं उदाहरण के तौर पर महिलाओं को समान अधिकार मिलने चाहिए, महिलाओं के लिए सही तरह की व्यवस्थाएं होनी चाहिए आदि, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसे कई अत्याचार होते हैं जिन्हें रिवाज का नाम दे दिया जाता है? आज हम महिला खतना या फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन की बात करते हैं। अगर आपको इसके बारे में नहीं पता तो मैं बता दूं कि ये एक ऐसी सच्चाई है जो बहुत सारी छोटी लड़कियों के साथ होती है। 

    हर साल 6 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ जीरो टॉलरेंस फॉर फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (International day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation) मनाया जाता है। 

    क्या है महिलाओं का खतना?

    ये ठीक उसी तरह से होता है जिस तरह से पुरुषों का खतना होता है। छोटी लड़कियों के प्राइवेट पार्ट को ब्लेड या फिर उस्तरे से थोड़ा सा काटा जाता है। इसे रिवाज का नाम दिया जाता है और भारत सहित दुनिया के कई देशों के कई धर्मों में इस रिवाज को आज भी फॉलो किया जाता है। दरअसल, फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन एक बहुत ही दर्दनाक प्रोसेस है जिससे लड़कियों को गुजरना पड़ता है। 

    indian society and genital mutilation

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    क्या होता है इस प्रोसेस में?

    यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक ये चार तरह से किया जाता है। या तो लड़कियों की क्लिटोरिस को पूरा काट दिया जाता है, या तो क्लिटोरिस का ऊपरी हिस्सा काटा जाता है, या तो वेजाइना को थोड़ा सिल दिया जाता है या फिर इसमें छेद किया जाता है। (महिलाओं की क्लिटोरिस के बारे में फैक्ट्स)

    female genital mutilation in india

    हो सकता है कि आप में से कई लोगों को इसके बारे में सुनकर ही अजीब लग रहा हो। ये वाकई बहुत क्रूर और अमानवीय प्रक्रिया होती है जिसमें बहुत कुछ किया जाता है। 

    आखिर क्यों किया जाता है खतना?

    इसे कई कल्चर में रिवाज का नाम दिया जाता है। अफ्रीका के कई देशों में तो ये काफी ज्यादा प्रचलित है। कई इस्लामिक देशों में भी इसे फॉलो किया जाता है। ऐसा समझा जाता है कि इससे लड़कियों की सेक्सुअल इच्छाएं खत्म हो जाती हैं।  

    female genital mutilation

    वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट की मानें तो अफ्रीका और एशिया ही नहीं बल्कि यूरोप के भी ऐसे 30 देश हैं जहां अभी भी इस तरह की प्रैक्टिस होती है।  

    दुनिया भर में लगभग 20 करोड़ महिलाएं और लड़कियां ऐसी हैं जिन्हें ये झेलना पड़ता है। ये अधिकतर कम उम्र में किया जाता है, लेकिन कई बार लड़की के वयस्क होने के बाद भी ये होता है। हालांकि, गार्डियन की एक रिपोर्ट मानती है कि इस आंकड़े से लगभग 7 करोड़ ज्यादा लड़कियां इसका शिकार होती हैं। 

    क्या ये सुरक्षित है? 

    नहीं महिला खतना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है और इससे ना सिर्फ इन्फेक्शन का खतरा होता है बल्कि कई गंभीर मामलों में ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। ये इतना खतरनाक है कि डब्लू एच ओ ने इसके खिलाफ मुहिम चलाई है और यही नहीं यूएन के एक इनीशिएटिव में ये माना गया है कि 2030 तक दुनिया को इस गंभीर समस्या से निजात दिला देंगे।  

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    भारत में भी जारी है ये कुप्रथा 

    2017 में बोहरा मुस्लिम समुदाय की कुछ महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस प्रथा के बारे में जानकारी दी थी और इसे रोकने के लिए मुहिम चलाई थी। ये कुप्रथा भारत में भी जारी है और ये बहुत ही ज्यादा खराब है। जिस तरह के दर्द से लड़कियां गुजरती हैं उसका अंदाजा आप लगा भी नहीं सकती हैं।  

    ये बात सोचने वाली है कि दुनिया भर में इसे लेकर मुहिम चलाई जा रही है और फिर भी इस प्रथा को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है। 6 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर बैठकें होती हैं पर आज भी दूर दराज के इलाकों में कहीं ये चल रहा है। इसके बारे में जानकारी बांटने से ही इस प्रथा के खिलाफ मुक्ति पाई जा सकती है।  

    क्या है इस प्रथा को लेकर मेरी राय?

    मेरी राय में ये प्रथा अमानवीय है और इसे बंद कर देना चाहिए। एक रिपोर्ट मानती है कि अफ्रीका में 4 में से 1 लड़की जो इस फीमेल म्यूटिलेशन का शिकार होती है वो किसी ना किसी तरह की जेनिटल परेशानी से गुजरती है। ये हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स द्वारा नहीं करवाया जाता है बल्कि इसे तो बहुत से लोग किसी नीम-हकीम से करवाते हैं। लड़कियों के लिए सही तरह से स्टेरलाइजेशन का साधन भी नहीं होता है और साथ ही साथ उनके जेनिटल एरिया को रिकवर होने में बहुत समय लग जाता है।

    इस तरह की प्रथा के बीच अगर ये कहा जाए कि महिला सशक्तिकरण के लिए काम हो रहा है तो मैं कहूंगी कि ये काम काफी कम हो रहा है। इस तरह के रिवाज को जड़ से मिटाने के लिए जिस तरह की जागरुकता की जरूरत है वो अभी कई विकसित देशों में भी नहीं आई है।

    क्या आपको पता था इस प्रथा के बारे में? हमें अपने जवाब आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

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