वो कहते हैं ना कि हर कहानी या किस्से का अंत होता है.... यही हाल मुगल सल्तनत का हुआ....। हिंदुस्तान पर कई वर्षों तक राज करने वाली इस सल्तनत का इतिहास काफी रोचक रहा है, जिसे पढ़ने का अपना अलग ही मजा है।
आपने यकीनन कई मुगल बादशाहों के बारे में पढ़ा होगा और कई बादशाहों की प्रेम कहानियां भी सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको बहादुर शाह जफर और उनकी बेगम ज़ीनत महल से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे। बता दें कि ज़ीनत महल ने मुगल सम्राट बहादुर शाह को सलाह दी थी अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण न करें, लड़ाई लड़ें।
पर इसके बावजूद मुगल सल्तनत का तख्त नहीं बचा पाए। हालांकि, इसके बाद भी कई बादशाह रहे हैं, पर वो अपने साहस से मुगलों का नाम आगे नहीं बढ़ा पाए.....खैर। आइए हम ज़ीनत महल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1707 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था।
कहा जाता है कि अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया। इसके अलावा, कुछ महिलाएं भी थीं, जिन्होंने अपना योगदान नीति-निर्माण में भी दिया था।
इसे जरूर पढ़ें- क्या आपको पता है मुगल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह उर्दू के जाने-माने शायर थे?
बहादुर शाह जफर ने भारत पर सन 1775 से लेकर सन 1862 तक शासन किया था। इनका जन्म 24 अक्टूबर, 1775 को हुआ था, उनके माता-पिता का नाम अकबर शाह द्वितीय और लाल बाई था। कहा जाता है कि अकबर शाह की मृत्यु के बाद जफर को 28 सितंबर, 1837 में मुगल बादशाह बनाया गया था। हालांकि, बहादुर शाह जफर के शासन तक आते-आते सल्तनत बहुत कमजोर हो गई थी।
ज़ीनत महल बहादुर शाह जफर की खास बेगम थीं, जिनका जन्म 1823 मे फैजाबाद यानी अवध में हुआ था। इनका पूरा नाम बेगम साहिबा जीनत महल था। ज़ीनत बेगम दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्वतंत्रता योद्धाओं को संगठित किया और देश प्रेम का परिचय दिया था।
अपने पति के बाद बेगम अपनी औलाद मिर्ज़ा जवान बख्त को बादशाह बनते देखना चाहती थी, पर वो कहते हैं ना कि जो मुकद्दर में नहीं होता...तो कितनी भी कोशिश कर लो नहीं मिलता।
ज़ीनत महल अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए लगातार बादशाह को उत्साहित करती रहीं। चारों ओर से घिर जाने पर बेगम ने बहादुर शाह को सलाह दी थी अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण न करें, लड़ाई लड़ें। मगर संसाधन उपलब्ध नहीं होने पर बहादुर शाह ऐसा नहीं कर सके।
बादशाह को डर था कि लड़ाई होगी, तो और अधिक खून-खराबा होगा। जिस पर बहादुर शाह और जीनत महल ने अलग-अलग रास्ते लालकिला छोड़ने का फैसला कर लिया था। जीनत महल को नजर आने लगा था कि देश पर अंग्रेजों का कब्जा हो रहा है। जिस पर एक नाव के माध्यम से यमुना से होते हुए निजामुद्दीन औलिया की दरगाह और फिर हुमायूं के मकबरे में पहुंचे।
हम मुगलों के द्वारा बनवाई गई हर इमारत से परिचित हैं, पर क्या आपको पता है कि ज़ीनत महल के नाम से बनवाई गई हवेली मुगल सल्तनत की आखिरी निशानी है। कहा जाता है कि जफर और जीनत का निकाह 1840 में हुआ था और इसके 4 साल बाद ही महरौली में इस हवेली को बनवा दिया था।
इसे जरूर पढ़ें- मुगल बादशाह अकबर की जिंदगी रही है बहुत रहस्यमयी, रोचक तथ्य जानें
उस वक्त महरौली मुगलों का गढ़ हुआ करता था, जहां कई मुगलकालीन इमारतें हैं, पर यह हवेली बेहद खूबसूरत है। कहा जाता है कि जब जीनत हवेली में एंट्री करती थीं, तब यहां शहनाइयां बजाई जाती थीं और पूरी हवेली मधुर संगीत की धुन में रम जाती थी।
हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको कोई और फैक्ट पता है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Shutterstock and wikipedia)
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।