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    मुगल बादशाह औरंगजेब को हीरा बाई से हो गया था पहली नजर में प्यार, जानिए कैसे

    आपने मुगल बादशाह अकबर और शाहजहां की प्रेम कहानी के बारे में सुना होगा लेकिन आज आप इस लेख में औरंगजेब की प्रेम कहानी के बारे में जानेंगे।
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    Updated at - 2022-02-14,19:04 IST
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    मुगल साम्राज्य के कई ऐसे बादशाह रहे हैं, जिनकी प्रेम कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं और इसमें से कई प्रेम कहानियों की आज भी मिसाल दी जाती है। यकीनन आपने कई मुगल बादशाहों की प्रेम कहानी सुनी भी होगी या फिर पड़ी होगी। आप अकबर और जोधा की प्रेम कहानी से वाकिफ होंगे। साथ ही, आपने शाहजहां और मुमताज की अद्भुत प्रेम कहानी सुनी होगी कैसे उन्होंने अपनी प्रेमिका के लिए ताजमहल बनवाया था। इसके अलावा, आपको सलीम और अनारकली की अधूरी दर्द भरी कहानी भी पता होगी कि कैसे अनारकली को सलीम से दूर करने के लिए जिंदा दीवार में दफन कर दिया गया था। 

    लेकिन क्या आपको मुगल बादशाह औरंगजेब और हीरा बाई की प्रेम कहानी पता है? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि औरंगजेब की भी एक अद्भुत कहानी है, जो पूरी होते होते रह गई। जी हां, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि औरंगजेब को भी हीरा बाई को देखते ही पहली नज़र में प्यार हो गया था। जिसके बाद उन्होंने हीरा बाई का नाम बदलकर उन्हें अपने दरबार में रख लिया था। लेकिन हीरा बाई अधिक समय तक जिंदा नहीं रह पाई और किसी कारणवश इस दुनिया से दूर हो गई थीं। आइए आज इस लेख में जानते हैं कि आखिर हीरा बाई कौन थीं और उनकी मुलाकात औरंगजेब से कैसे हुई। लेकिन इससे पहले हम थोड़ा औरंगजेब के बारे में जान लेते हैं। 

    कौन था बादशाह औरंगजेब? 

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    कहा जाता है कि औरंगजेब मुगल साम्राज्य का सबसे प्रभावशाली बादशाह था। औरंगजेब का पूरा नाम मुहिउद्दीन मुहम्मद था लेकिन उन्हें प्रजा आलमगीर या औरंगजेब के नाम से पुकारते थे। यह मुगल साम्राज्य का छठा और बादशाह अकबर के बाद सबसे शक्तिशाली बादशाह था, जिसने अपने शासनकाल में कई बड़े बदलाव भी किए थे। 

    बादशाह ने साम्राज्य पर शरियत आधारित फतवा-ए-आलमगीरी लागू कर दिया था और फिर कुछ समय के लिए गैर-मुसलमानों पर और ज्यादा कर भी लगा दिया था। बता दें कि बादशाह ने लगभग 1658 से लेकर 1707 तक शासन किया था। इतिहास के अनुसार कहा जाता है कि औरंगजेब के बाद मुगल साम्राज्य सिकुड़ना शुरू हो गया था यानि बिखरने लगा था। 

    कौन थीं हीरा बाई? 

    हीरा बाई एक कश्मीरी हिंदू थीं, जिन्हें बेहद कम उम्र में ही उनके माता-पिता ने छोड़ दिया था और किसी बाजार में बेच दिया था। इसके बाद वह मीर खलील की दासी बन गईं, जिन्हें गाने और नाचने का बहुत शौक था। कहा जाता है कि हीरा बाई की आवाज बहुत सुरीली थी और उनकी खूबसूरती के तो लोग दीवाने थे और यही बादशाह के साथ हुआ। बता दें कि औरंगजेब ने हीरा बाई को मीर खलील के दामाद के साथ देखा था और उन्हें पहली नजर में ही प्यार हो गया था। 

    इसे ज़रूर पढ़ें- मुगल बादशाह अकबर की इन बेगमों के बारे में कितना जानते हैं आप? 

    इस तरह हुई थी मुलाकात 

    औरंगज़ेब और हीरा बाई की मुलाकात को लेकर स्पष्ट साक्ष्य, तो नहीं मिलते हैं लेकिन पुस्तक 'डिड औरंगजेब बैन म्यूजिक’ में इस बात का उल्लेख किया गया है कि औरंगजेब हीरा बाई से पहली बार बुरहानपुर में मिला था। यहां बादशाह अपने साथियों के साथ अपनी मौसी के घर उनसे मिलने जा रहा था। वहां हीरा बाई मीर खलील के दामाद के साथ थी और औरंगजेब हीरा बाई को देखते ही उनसे प्यार कर बैठा और पागलों की तरह चाहने लगा। 

    मिली 'जैनाबादी महल' की उपाधि 

    Hira bai

    इतिहास के मुताबिक औरंगजेब अपने साथ ही हीरा बाई को अपने दरबार में लेकर आ गया था। (मुगल बादशाह अकबर की इन बेगमों के बारे में कितना जानते हैं आप) लेकिन यह बात दरबार के लोगों को पसंद नहीं आई क्योंकि वह एक हिंदू महिला थी। इसलिए औरंगजेब ने अपनी मोहब्बत के खातिर हीरा बाई को 'जैनाबादी महल' की उपाधि दी। इसके बाद लोग उन्हें 'जैनाबादी महल' के नाम से ही पुकारते थे।

    बादशाह का पहला प्यार थीं हीरा बाई 

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    अफसर अहमद की पुस्तक औरंगजेब नायक या खलनायक में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भले ही, औरंगजेब की तीन बेगम थीं (दिलरस बानो, नवाब बाई और औरंगाबादी महल) लेकिन बादशाह हीरा बाई से बेइंतहा मोहब्बत करते थे और उनके दीवाने थे। हालांकि, यह बात अलग है कि हीरा बाई अधिक समय तक जिंदा नहीं रह पाई थीं और जल्दी इस दुनिया से चली गई थीं। 

    हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में उल्लेख मिलता है कि आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि औरंगजेब शराब नहीं पीता था लेकिन एक रोज हीरा बाई के कहने पर पीने के लिए राजी हो गया था लेकिन बाद में हीरा बाई ने खुद ही बादशाह को शराब पीने से रोक दिया था। 

    इसे ज़रूर पढ़ें- मुगल साम्राज्य की इन शक्तिशाली महिलाओं के बारे में कितना जानते हैं आप? 

    1654 में हुई थी उनकी मृत्यु 

    हीरा बाई की मौत साल 1654 में हुई थी, जिसके बाद उन्हें औरंगाबाद में दफन किया गया था। कहा जाता है कि हीरा बाई की मृत्यु के बाद औरंगजेब बहुत सदमे में आ गया था। इसके बाद, कई सालों तक औरंगजेब सदमे में रहा लेकिन इसके बाद औरंगजेब को गाने से नफरत हो गई थी। 

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