कहते हैं कि कोई भी राष्ट्र तब तक विकसित नही हो सकता है, जब तक उस देश की महिलाएं देश के विकास में कंधे से कन्धा मिलाकर नहीं चलती हैं। वर्तमान में, ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहां पर महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई है। लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में उनके लिए जमीन तैयार करने वाली महिला के योगदान को लोग कभी भी नहीं भूल सकते। ऐसी ही एक महिला है किरण बेदी। वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं। पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद वह बतौर सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता के रूप में देश को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
पुलिस सेवा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सुधार करने के प्रयास किए, जिसके लिए सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में उनकी प्रशंसा हुई और कई तरह के सम्मान भी मिले। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के जीवन के बारे में विस्तारपूर्वक बता रही हैं-
कौन है किरण बेदी?
किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं। पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले वह एक टेनिस प्लेयर भी रह चुकी थी। उन्होंने महज नौ साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया और 1966 में राष्ट्रीय जूनियर टेनिस चैंपियन बनीं। 1965 और 1978 के बीच, उन्होंने सिर्फं राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तरीय पर भी चैंपियनशिप जीतीं। 16 जुलाई 1972 कोए बेदी ने मसूरी में राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अपना पुलिस प्रशिक्षण शुरू किया। उनकी की पहली पोस्टिंग 1975 में दिल्ली के चाणक्यपुरी सबडिविजन में हुई थी। उसी वर्षए 1975 में गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली पुलिस के सभी पुरुष दल का नेतृत्व करने वाली वह पहली महिला बनीं।
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किरण बेदी का प्रारंभिक जीवन
किरण पेशावरिया का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर, पूर्वी पंजाब, में एक संपन्न पंजाबी व्यवसायी परिवार में हुआ था। वह प्रकाश लाल पेशावरिया और प्रेम लता की दूसरी संतान हैं। उनकी तीन बहनें हैं- शशि, रीता और अनु। किरण बेदीने अपनी औपचारिक पढ़ाई 1954 में अमृतसर के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल से शुरू की। 1970 में, उन्होंने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की। 1970 से 1972 तक, उन्होंने अमृतसर के खालसा कॉलेज फॉर विमेन में लेक्चरर के रूप में पढ़ाया। वह राजनीति विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ाती थीं।
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विभिन्न पदों पर किया है काम
भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद किरण बेदी कई पदों पर काम कर चुकी हैं। वह दिल्ली ट्रैफिक पुलिस चीफ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, मिज़ोरम, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न, तिहाड़, स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवर्नर, दिल्ली, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, चंडीगढ़, जाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग, स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेन्स, यू.एन. सिविलियन पुलिस एड्वाइजर, महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा, महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो जैसे पदों पर रहकर देश को अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।
किरण बेदी नहीं, क्रेन बेदी कहते हैं लोग
किरण बेदी एक ऐसी महिला है, जिन्होंने हमेशा पद से ऊपर अपने कर्त्तव्य को रखा। दरअसल, जब वह नई दिल्ली की ट्रैफिक कमिश्नर बनी थीं, तो उन्होंनें पार्किंग नियमों का उल्लंघन करने के कारण भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी को क्रेन से उठवा दिया था। उनका मानना था कि कानून सभी नागरिकों के लिए एकसमान है। इतना ही नहीं, उन्होंने किरण बेदी ने उन पर जुर्माना भी लगाया था। इस घटना के बाद से ही लोग किरण बेदी को क्रेन बेदी कहकर पुकारने लगे थे।
किरण बेदी की उपलब्धियां
- 1979 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मिला।
- मई 1993 में तिहाड़ जेल में आईजी के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्होंने वहां कई सुधार किए। जिसके कारण साल 1994 में किरण बेदी को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला।
- 2003 में, बेदी पहली भारतीय महिला बनीं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र में महासचिव के पुलिस सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
- 2004 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा संयुक्त राष्ट्र पदक मिला।
- नशे की रोकथाम के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘सर्ज साटिरोफ मेमोरियल अवार्ड’ दिया जा चुका है।
- उन्होंने दो गैर-सरकारी संगठन नवज्योति इंडिया फाउंडेशन और इंडिया विजन फाउंडेशन की संस्थापक भी हैं। यह एनजीओ पुलिस सुधार, जेल सुधार, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा व नशा मुक्ति के लिए काम कर रहे हैं।
- वह 2011 के अन्ना हजारे के आंदोलन इंडिया अंगेस्ट करप्शन आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थीं, और जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं।
- 22 मई 2016 को, किरण बेदी को पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।
यकीनन किरण बेदी लाखों-करोड़ों महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं और उनके द्वारा किए गए कामों को देशवासी कभी भी नहीं भूल सकते। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकीअपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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