Ayyappa Temple History: भारती की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अयप्पा मंदिर में दर्शन के बाद एक बार फिर से केरल का यह मंदिर चर्चा में आ गया है। यह वही मंदिर है जिसमें 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री पर पहले रोक थी, लेकिन 14 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यहां हर उम्र की महिलाओं के दर्शन की अनुमति दे दी थी। हालांकि, अनुमति के बाद भी यहां महिलाओं को दर्शन की अनुमति नहीं मिल पाई और आज भी केवल 50 से ऊपर और 10 से कम उम्र की लड़कियां और महिलाएं ही यहां दर्शन करने आ सकती हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी यहां इसलिए दर्शन कर पाईं हैं, क्योंकि उनकी उम्र 50 से साल ज्यादा है।
इस बात को झुटलाया नहीं जा सकता कि आज भी महिलाओं के मासिक धर्म को लोग अशुद्ध मानते हैं। ऐसे में 10 से 50 साल की उम्र वाली महिलाओं को मासिक धर्म होता है, इसलिए उन्हें दर्शन की अनुमति नहीं होती। अगर कोई भी महिला या बच्ची यहां दर्शन के लिए जाना चाहती है, तो उसे अपने साथ आयु प्रमाणपत्र लेकर जाना होता है, जिसमें उनकी उम्र के बारे में लिखा हुआ हो।
इस मंदिर के इतिहास के अनुसार माना जाता है कि भगवान अयप्पन 'चिर ब्रह्मचारी' हैं। भगवान अयप्पा भगवान शिव और भगवान विष्णु के अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। इसलिए, उनके दर्शन के लिए मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाएं नहीं आ सकती। केवल 10 से कम उम्र की बच्चियां और 50 साल की ऊपर की महिलाएं ही यहां आ सकती हैं।
एक किंवदंती के अनुसार माना जाता है कि भगवान अयप्पा से एक राक्षसी प्रेम करती थी, वह उनसे विवाह करना चाहती थी, लेकिन भगवान ने मना कर दिया। उन्होंने, राक्षसी को यह कहते हुए इनकार किया कि उन्हें, जंगल में जाना है, वह अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को उत्तर देने के लिए जा रहे हैं, वह उनसे विवाह नहीं कर सकते। इसके बाद भी राक्षसी मानी नहीं, उसने कहा की ठीक है, तुम जाओ, मैं भी तुम्हारा इंतजार करूंगी। इसके बाद भगवान ने कहा कि ठीक है, जिस दिन भक्त उनका आशीर्वाद लेने आना बंद कर देंगे, उस दिन में तुमसे विवाह कर लूंगा। हालांकि, ऐसा कभी नहीं हुआ। भक्त आते रहे और भगवान ने कभी विवाह नहीं किया।
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केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के दर्शन को लेकर कोर्ट ने कहा था कि मंदिर एक पब्लिक प्लेस है। इसे हम किसी का पर्सनल या प्राइवेट प्लेस नहीं समझ सकते। इस मंदिर में हर किसी के दर्शन करने की अनुमति है। पब्लिक प्लेस में आप किसी को जाने से रोक नहीं सकते। किसी मंदिर को प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं समझा जा सकता। इसलिए यहां हर उम्र की महिला को एंट्री की इजाजत मिलनी चाहिए।
अनुमति के बाद कई महिलाएं यहां दर्शन के लिए गई, लेकिन उन्हें दर्शन के लिए जाने नहीं दिया। स्थानीय लोग और मंदिर के सहयोगियों ने किसी भी मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया। इसके बाद कई आंदोलन भी हुए और महिलाएं धरने पर भी बैठीं, लेकिन फिर भी कोई फैसला नहीं हो सका।
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