कहा जाता है कि शराब पीने के बाद लोग सच बोलने लगते हैं। लैटिन में एक कहावत है कि 'In vino veritas' जिसका मतलब है शराब में सच्चाई होती है। ये सब चीजें इस बात पर हमें सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं कि क्या शराब सच में एक 'लाई डिडेक्टर टेस्ट' है। वैसे तो शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है, लेकिन क्या शराब सच में लोगों को ज्यादा ईमानदार बनाती है? आइए आज हम इस आर्टिकल में जानते हैं कि क्या किसी स्टडी में पता लगाया गया है कि शराब पीने के बाद इंसान सच बोलने लगता है?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल एब्यूज एंड अल्कोहलिज्म की महामारी विज्ञान और बायोमेट्री शाखा के लीडर आरोन व्हाइट ने कहा कि शराब आमतौर पर हमारे मन में जो कुछ भी आता है, उसे कहने की संभावना को बढ़ा देती है। कुछ मामलों में, लोग सच बोलते हैं तो कुछ मामलों में नशे की हालत में लोग ऐसी बातें बोल देते हैं, जो उन्हें सच समझ आती हैं। आमतौर पर, शराब पीने के बाद लोग खुलकर अपनी बात को कहने लगते हैं और कई बार नशे में वह कुछ ऐसा भी कह देते हैं, जिससे होश आने पर मुकरना भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर नशे में कई बार लोग कहते हैं कि वह शहर बदल देंगे या नौकरी छोड़ देंगे, लेकिन अगली सुबह ऐसा कुछ नहीं होता है।
इसे भी पढ़ें- ज्यादा शराब पीने से महिलाओं के शरीर में दिखते हैं ये बदलाव
अभी तक कोई ऐसी स्टडी नहीं हुई है, जिसमें यह साफ हुआ हो कि शराब पीने के बाद इंसान ईमानदारी के साथ सच बोलने लगता है। साल 2017 में जर्नल क्लिनिकल साइकोलॉजिकल साइंस में एक स्टडी हुई थी, जिसमें कुछ लोगों को पर्याप्त मात्रा में Vodka Lemonades पिलाया गया था, जिससे उनका ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन 0.09 फीसदी हो गया था। इसके बाद जिन लोगों ने इसे पिया था उनकी पर्सनैलिटी में बदलाव देखने को मिला था। वे बहुत ज्यादा एक्स्ट्रोवर्ट हो चुके थे। हालांकि, स्टडी में यह पता नहीं लगाया गया कि शराब सच्चाई को उजागर करती है या नहीं, लेकिन यह समझ में आया कि जो इंसान सोशलाइज्ड होने में कंफर्ट महसूस नहीं करते हैं, वे शराब पीने के बाद काफी खुलकर लोगों से बातें करने लग जाते हैं।
आमतौर पर, शराब लोगों को अपने दायरे से बाहर आने में मदद करने की क्षमता रखती है और उन्हें अपने मन की बात कहने में भी मदद करती है। लेकिन, कई बार शराब पीने के बाद हमारे इमोशन्स काफी तेज हो जाते हैं। वहीं साइकोलॉजी के मुताबिक, जब लोग शराब पीते हैं, तो वह बातचीत करने में सहज हो जाते हैं। वे अधिक मुस्कुराकर और जोर से बातें करने लगते हैं।हालांकि, जब इंसान दुखी होता है और वह शराब पीता है, तो अक्सर रोने लग जाता है।
आमतौर पर, शराब पीने के बाद इमोशन्स काफी हाई हो जाते हैं और हमारे दिमाग में जो कुछ भी चल रहा है उसे कहने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन, कई बार लोग नशे में कुछ ऐसा भी कह देते हैं जो दिल से वह नहीं कहना चाहते थे। हालांकि, बाद में उन्हें बहुत पछतावा भी होता है। यह ठीक उसी तरह है कि शराब पीने के बाद कुछ लोग वॉयलेंट हो जाते हैं।
इसे भी पढ़ें - अल्कोहल के साथ क्यों जरूरी है चखना? जान लीजिए इसके पीछे का लॉजिक
पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर माइकल सैएट का कहना है कि चूंकि शराब हमारे विचारों और भावनाओं को बदल सकती है, इसलिए यह चौंकाने वाली बात नहीं है कि बिहेवियर भी बदल सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शराब Prefrontal Cortex में संकेतों को कम करती है। यह दिमाग का एक एरिया है, जो हमारे व्यवहार को कंट्रोल करता है और आवेगों को भी। शराब दिमाग में Amygdala को भी दबाती है, जो डर और चिंता की भावनाओं को बढ़ाने के लिए जानी जाती है। आमतौर पर, जब कोई इंसान शांत रहता है, तो Amygdala उसे वार्निंग सिग्नल भेजती है, जो इंसान को ऐसी बातें कहने और करने से रोकती है, जो सोसाइटी के लिए ठीक नहीं हो सकती हैं। हालांकि, शराब पीने के बाद ये सिग्नल्स आने बंद हो जाते हैं।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- freepik
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।