गृह प्रवेश के बाद सबसे पहले जो रस्म निभाई जाती है वह दूध उबालने की है। हम सभी ने जब भी कभी नए घर में प्रवेश किया होगा तो पूजा-पाठ या हवन-अनुष्ठान के बाद पंडित द्वारा बोलने पर सबसे पहले दूध उबाला होगा और फिर थोड़ा सा दूध चूल्हे पर गिराया होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों करते हैं हम या पंडित जी ऐसा करने के लिए क्यों कहते हैं। आइये जानते हैं इस रस्म के पीछे का महत्व एवं लाभ ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
दूध को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब गृह प्रवेश के बाद पहली बार नए चूल्हे पर दूध उबाला जाता है और वह उफनकर थोड़ा बाहर गिरता है, तो यह माना जाता है कि यह घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी का संकेत है, यानी कि जिस प्रकार दूध उफनकर बर्तन से बाहर आता है, उसी प्रकार घर में सुख-समृद्धि भी छलकती हुई बाहर तक फैलती है।
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नया घर कभी-कभी पिछली नकारात्मक ऊर्जाओं या वास्तु दोषों से प्रभावित हो सकता है। दूध को पवित्र और शुद्धिकारक माना जाता है। चूल्हे पर दूध उबालने और उसके उफनने से निकलने वाली भाप और ऊर्जा घर में मौजूद किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और वातावरण को शुद्ध करने में मदद करती है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
रसोईघर को घर का हृदय माना जाता है और मां अन्नपूर्णा को अन्न और धन की देवी माना जाता है। गृह प्रवेश के बाद चूल्हे पर दूध उबालना रसोई के पहले उपयोग का प्रतीक है और मां अन्नपूर्णा का आवाहन करने जैसा है। इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती और रसोई हमेशा भरी रहती है। ऐसा भी माना जाता है कि जहां मां अन्नपूर्णा का वास हो वहीं लक्ष्मी भी रहती हैं।
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ज्योतिष के अनुसार, दूध चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चूल्हा अग्नि एवं मंगल का प्रतीक है। इन दोनों का मिलन शुभ माना जाता है। कहां एक ओर चंद्रमा के शुभ प्रभाव से मानसिक और पारिवारिक शांति बनी रहती है तो वहीं, दूसरी ओर अग्नि देव के शुभ प्रभाव से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मंगल ग्रह की शुभता से सब मंगलमय बना रहता है।
इस अनुष्ठान से घर में सुख, शांति और सामंजस्य का वातावरण बनता है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सहयोग बढ़ता है। दूध का उफनना धन-धान्य की वृद्धि का प्रतीक है, जिससे घर में आर्थिक समृद्धि आती है और धन से जुड़ी परेशानियां कम होती हैं। शुभ ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और वे रोगों से बचे रहते हैं।
इस अनुष्ठान को करने से गृह स्वामी और परिवार के सदस्यों को एक प्रकार की मानसिक संतुष्टि और आत्मविश्वास मिलता है कि उन्होंने अपने नए घर में शुभ शुरुआत की है। यह परंपरा परिवार के सदस्यों को एक साथ लाती है और इस सामूहिक क्रिया से आपसी संबंधों में मधुरता आती है। गृह प्रवेश के बाद चूल्हे पर दूध उबालकर गिराना समृद्धि, पवित्रता और सकारात्मकता को नए घर में आमंत्रित करने का प्रतीक है।
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image credit: herzindagi
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