शकुनि की मृत्यु के बाद उसके पासों का क्या हुआ?

महाभारत में जब भी शकुनी का नाम आता है तो उसके साथ ही उसके पासों की चर्चा भी होती है। कहा जाता है कि शकुनी के पासे मायावी थे, ऐसे में आइये जानते हैं कि शकुनी की मृत्यु के बाद उसके पासों का क्या हुआ। 
image

महाभारत से जुड़े ऐसे कई किस्से या पात्र हैं जो किसी रहस्य से कम नहीं। यूं तो महाभारत में कई ऐसे पात्र रहे हैं जिन्होंने कुरुक्षेत्र के इस महा विनाशी युद्ध में मुख्य भूमिका निभाई थी, लेकिन इन सजीव यानी कि मनुष्य रूपी पात्रों के बीच एक ऐसा निर्जीव पात्र भी था जो आधार बना महाभारत युद्ध का और वो निर्जीव पात्र थे शकुनि के मायावी पासे।

शकुनि के पासों में छिपा षड्यंत्र ही था जिसने पांडवों को चौसर के खेल में हराया था, शकुनि के पासों में छिपा षड्यंत्र ही था जिसके कारण द्रौपदी दांव पर लगी, शकुनि के पासों का षड्यंत्र के कारण ही पांचाली का मान भंग हुआ और शकुनि के पासों में छिपा षड्यंत्र ही था जिसने पांडवों को 13 साल तक वन-वन भटकने के लिए मजबूर किया। आखिर क्या था शकुनि के मायावी पासों का रहस्य, कैसे बने थे वो पासे और शकुनि की मृत्यु के बाद उन पासों का क्या हुआ, आइए जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

शकुनि के पासे कैसे बने थे?

mahabharat ke bad kaha gaye shakuni ke pase

महाभारत में इस बात का उल्लेख नहीं है कि शकुनि के पासों का निर्माण कैसे हुआ था, लेकिन कई अन्य ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि शकुनि के पासे मायावी इसलिए थे क्योंकि उन्हें शकुनि ने तंत्र विद्या से तैयार किया था। जब शकुनि की बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था, तब एक अंधे से बहन का विवाह देख शकुनि के मन में असीमित क्रोध और घृणा जाग उठी।

यह भी पढ़ें:श्री कृष्ण ने पांचों पांडवों में से अर्जुन का सारथी बनना ही क्यों चुना था?

शकुनि ने इसी घृणा के चलते पहले तो कौरव वंश का विनाश करने की योजना बनाई मगर बहन के कारण शकुनि ने कौरवों को पांडवों से अलग करने एवं कौरव ज्येष्ठ पुत्र को राजा बनाने का षड्यंत्र रचना शुरू किया। इसी षड्यंत्र के चलते जब शकुनि के माता और पिता का निधन हुआ था, तब शकुनि ने अपने पिता और माता की हड्डियों से इन मायावी पासों का तंत्र-मंत्र के सहारे निर्माण किया।

शकुनि के पासों की क्या विशेषता थी?

शकुनि के पासों की विशेषता यह थी कि शकुनि ने उन्हें ऐसे तैयार किया था कि वे हमेशा शकुनि की आंख के इशारों के अनुसार चलते था और शकुनि की वाणी अनुसार परिणाम दिखाते थे। चौसर का खेल जब खेला गया तब शकुनि के अनुसार ही पासों पर अंक आते थे, इसी कारण से पांडव खेल में अपना सारा राजपाट हार गए थे। शकुनि के पासे मायावी हैं, यह सिर्फ श्री कृष्ण को पता था।

shakuni ki mrityu ke bad uske paso ka kya hua

शकुनि की मृत्यु के बाद उसके पासों का क्या हुआ?

शकुनि की मृत्यु के बाद उसके मायावी पासे अर्जुन ने ले लिए थे। असल में हुआ ये थे कि जब शकुनि का वध पांडु पुत्र सहदेव ने किया तब उसके बाद पांडव शकुनि के शिविर में पहुंचे। वहां, कौरवों ने शकुनि के पासों को बहुत ढूंढा ताकि उन्हें नष्ट किया जा सके, लेकिन पासे नहीं मिले क्योंकि श्री कृष्ण ने उन पासों को पहले ही अपने हाथों से मसल कर राख कर दिया। मगर ये अंत नहीं था।

यह भी पढ़ें:Mahabharat Rahasya: द्रौपदी ने अपने किस बेटे को दिया था मृत्यु का श्राप?

शकुनि ने अपने पासों को कुछ ऐसे बनाया था कि पासों पर जल पड़ते ही वह पुनः सक्रिय होकर अपने रूप में आ जाएं। यही हुआ भी, जब अर्जुन की पासों के चूरे यानी कि राख पर नजर पड़ी तो उन्होंने उसे समुद्र में बहा दिया। जल के स्पर्श से पासे अपने रूप में दोबारा आ गए और कलयुग के आगमन पर पहले कलयुगी व्यक्ति को मिले जिसके बाद जूए का खेल फिर से शुरू हुआ और आज भी कलयुग में इसे खेला जाता है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP

FAQ

  • शकुनि को स्वर्ग क्यों मिला था?

    शकुनि को स्वर्ग इसलिए मिला था क्योंकि उसने महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ते हुए अपने कर्तव्य का पालन किया था।