साल 2012 में हुए निर्भया मामले के बाद देशभर में व्यापक विरोध हुआ, लेकिन रेप के मामलों में कमी नहीं आई, बल्कि पिछले कुछ सालों में ऐसे मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। निर्भया मामले के बाद बहुत से महिला संगठनों ने महिला सुरक्षा को लेकर मुहिम चलाई, सरकार ने भी कुछ सख्त कानूनों की घोषणा की, लेकिन आज भी हालात बेहतर नहीं कहे जा सकते। हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर के साथ रेप को लेकर भी देशवासियों ने मार्च किए, रैलियां निकालीं, लेकिन इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपे जाने के महज कुछ दिनों के भीतर ही पुलिस ने रेपिस्ट्स को एक एनकाउंटर में मार गिराया। ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। इसी के मद्देनजर HerZindagi ने एक नई पहल करते हुए Sayfty, Twitter India, manupatraऔर UN Women के साथ मिलकर महिलाओं के लिए एक Safety Toolkit लॉन्च करने जा रही है।
रेप पीड़िताओं की मेंटल हेल्थ से लेकर उन्हें कानूनी लड़ाई लड़ने में सपोर्ट करने, न्यायिक व्यवस्था से अवगत कराने, कानूनी और अन्य जरूरी चीजों से अवेयर कराने में मदद करेगी। यह टूल किट 9 दिसंबर को लॉन्च की जा रही है। गौरतलब है किmanupatra की वेबसाइट पर लीगल डेटाबेस देखने को मिलता है और यहां कानूनी प्रक्रिया को आसान तरीके से समझा जा सकता है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में महिलाओं के साथ रेप और यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। Sayfty के अनुसार 25 नवंबर 2019 से आगामी दो सालों के लिए UNiTE कैंपेन की शुरुआत हुई, जिसके तहत 16 दिन तक एक्टिविज्म एक्टिविटीज आयोजित की गई थीं।
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लैंगिक समानता है बड़ा मुद्दा
Sayfty की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार साल 2015 में सभी देशों की तरफ से एक नया वैश्विक एजेंडा स्वीकार किया गया। इसमें 17 गोल्स के जरिए साल 2030 के लिए Sustainable Development का एजेंडा सेट किया गया। यह एजेंडा ग्लोबल एक्शन लिए जाने का रास्ता दिखाता है। इसमें आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण से जुड़े लक्ष्य हासिल किए जाने की बात कही गई है। और इस एजेंडे में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को प्रायोरिटी पर रखा गया है। यानी जब तक महिलाओं के साथ रेप और ज्यादतियां खत्म नहीं होंगी, तब तक ये सभी लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते।
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महिला नहीं है भोग की वस्तु
महिलाओं के साथ हिंसा तब तक खत्म नहीं की जा सकती, जब तक पुरुषावादी सोच की जगह सबको साथ लेकर चलने की बात नहीं कही जाती। हम जिस समाज में रहते हैं, उसमें महिलाओं के साथ यौन हिंसा को लोग अपना हक समझ लेते हैं और ऐसे अपराधों को बेहद सामान्य घटना के तौर पर पेश किए जाने के प्रयास किए जाते हैं। ऐसी स्थितियांसेक्शुअल हैरसमेंट जैसी चीजों को और बढ़ावा देती है।
इन कैंपेन्स से महिला सशक्तीकरण को मिला बल
पिछले कुछ सालों में #MeToo, #TimesUp, #Niunamenos, #NotOneMore, #BalanceTonPorc जैसे कैंपेन्स के जरिए महिलाओं के साथ होने वाली ज्यादतियों को प्रमुखता से उठाया गया और इनके बार में लोग काफी जागरूक है। साफ है कि अब महिलाओं को आवाज को दबाया नहीं जा सकता। रेप की शिकार होने वाली महिलाएं दुनियाभर में हैं और उनका दर्द भी एक जैसा है। इसीलिए इस तरह के अपराधों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें सामने आने की जरूरत है। महिलाएं अगर हिम्मत ना हारें तो निश्चित रूप से वे अपने साथ होने वाली ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं और दोषियों को सजा दिला सकती हैं।
रेप विक्टिम्स की स्थिति बेहतर बनाने के लिए चाहिए व्यापक नीति
UNiTE Campaign के तहत महिलाओं को हेल्थ केयर सर्विस दिए जाने की पहल की गई है, जिसमें पीड़ित महिला को पोस्ट रेप केयर, इमरजेंसी गर्भनिरोधक दवाएं, अबॉर्शन कराए जाने की व्यवस्था, पुलिस को जल्द मामले में कार्रवाई करने के लिए कदम उठाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा पीड़िता का मनोबल बढ़ाना, उसकी काउंसिलिंग करना, उसे कानूनी सलाह देना जैसी चीजों को भी वरीयता दी गई है, जिसकी फिलहाल बहुत ज्यादा कमी महसूस की जा रही है।
रेप के खिलाफ मुहिम
यौन हिंसा की शिकार होने वाली महिलाओं और रेप विक्टिम्स के लिए एक व्यापक नीति अपनाए जाने की जरूरत है, ताकि वे जल्द से जल्द सामान्य जीवन की ओर लौट सकें और आत्मविश्वास हासिल कर सकें। इसके लिए रेसपॉन्स सर्वाइवर केंद्रित होने चाहिए। इसी को देखते हुए HerZindagi यौन हिंसा से गुजरने वाली महिलाओं की मदद के लिए Sayfty, UN Women के साथ मिलकर Sayfty Survivor’s Toolkit लॉन्च कर रही है।
Sayfty ने अपनी रिसर्च में पाईं 3 चीजें
- रेप पीड़िताओं को सही information नहीं मिल पातीं। कई बार जानकारी बहुत टेक्निकल होती है या फिर महिलाओं पहुंच के बाहर होती है।
- एशियाई क्षेत्रों में रेप होने के बाद महिलाएं Stigma की शिकार हो जाती हैं, जिसकी वजह से अपनी आपबीती बताने में शर्मिंदगी महसूस करती हैं और खुद को ही परेशानी की जड़ मानने लगती है। कई बार महिलाएं संकोच के चलते भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से मदद नहीं ले पातीं।
- महिलाएं अपनी स्थिति बेहतर बनाने तकनीक का सहारा ले सकती हैं। युवा सपोर्ट पाने के लिए तकनीक पर निर्भर है।
टूल किट में Sayfty की इस रिसर्च को ध्यान में रखते हुए डाटा मुहैया कराया गया है। साथ ही इसमें प्रोफेशनल्स और सर्वाइवर्स से लिए गए इंटरव्यूज से जुड़ी अहम बातें भी शेयर की गई हैं, जिससे रेप विक्टिम्स को कानूनी प्रक्रियाओं और चैलेंजेस का सामना करने के बारे में बेहतर जानकारी मिलती है।
ईवेंट में शामिल होंगे एक्सपर्ट पैनलिस्ट
दो घंटे के इस ईवेंट में टूल किट में दी गई जानकारी के बारे में डीटेल में बताया जाएगा। इस मौके पर हेल्थ एक्सपर्ट्स से लेकर लीगल एक्टपर्ट्स तक, कई विशेषज्ञ मौजूद होंगे, जो रेप सर्वाइवर्स की लीगल, मेंटल और socio-psychological challenges पर चर्चा करेंगे। अगर आप भी सर्वाइवर हैं या फिर यौन हिंसा की शिकार हुई हैं तो HerZindagi के साथ शेयर करें अपनी स्टोरी। खामोशी तोड़ें और ज्यादतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं।
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