महिलाएं अक्सर अपना आपा खो बैठती हैं। कभी उदास हो जाती हैं, कभी इमोशनल तो कभी उनका पारा चढ़ जाता है। दरअसल ऐसा उनके जरूरत से ज्यादा सोचने की वजह से होता है। 45,000 अध्ययनों के एक हालिया सर्वेक्षण के आधार पर अमेरिका के केलिफोर्निया में शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा सोचती हैं। इस बात का वैज्ञानिक आधार भी है। महिलाओं के शरीर के कुछ हिस्सों में खून का प्रवाह ज्यादा होता है जिससे वे ज्यादा समय तक ध्यान केंद्रित रखने, स्वनियंत्रण और पुरुषों के मुकाबले स्थितियों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने में सक्षम होती हैं। लेकिन इसी योग्यता के होने से महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील भी हो जाती हैं।
अगर आपको लगता है कि इमोशन्स पर काबू नहीं रख पाने के कारण सिर्फ आप ही परेशान होती हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कई जानी-मानी एक्ट्रेसेस पब्लिकली अपसेट होते हुए या गुस्सा करते हुए नजर आती हैं फिर चाहे वह आलिया भट्ट हों या रवीना टंडन, परिणीति चोपड़ा हों या मल्लिका सेहरावत हों, दीपिका पादुकोण हों या फिर सोनम कपूर आहूजा। आपको याद होगी बिग बॉस में डॉली बिंद्रा किस तरह से दूसरे घरवालों को हड़काया करती थीं, शायद वैलेंटाइन्स के मौके पर राखी सावंत का अपने बॉयफ्रेंड को मारा गया चांटा भी आपको याद हो। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि महिलाओं के एक्ट्स पर इमोशन्स हावी हो जाते हैं।
किसी भी तरह का धोखा मिलने, काम खराब हो जाने, किसी से टेंशन हो जाने या बड़ी प्रॉब्लम हो जाने पर महिलाओं के इमोशन्स खतरनाक स्तर तक भी पहुंच जाते हैं। गुस्सा, बदला, कड़वाहट जैसी भावनाएं आने पर आप आपा खोने लगती हैं। इसका अर्थ ये नहीं कि आप इसे लेकर टेंशन में जीने लगे। बेहतर होगा कि आप अपसेट करने वाले इमोशन्स से बेहतर तरीके से डील करना सीख लें। आइए जानें ऐसे ही कुछ तरीके-
तुरंत रिएक्ट ना करें
अगर आप अपसेट हो जाएं, आपको गुस्सा आने लगे या किसी बात से हर्ट हो जाएं तो नेगेटिव रिएक्शन देने से बचें क्योंकि इस समय में आप अगर कुछ कहेंगी तो बाद में पछताएंगी ही। थोड़ी देर शांत रहें, पांच मिनट तक डीप ब्रीदिंग करें। इससे आपकी मसल्स रिलैक्स हो जाएंगी और दिल की धड़कन भी नॉर्मल हो जाएगी। जब आप शांत हो जाएं तो खुद को यकीन दिलाएं कि ये इमोशन्स क्षणिक होते हैं।
तलाशें हेल्दी आउटलेट
जब आप अपना इमोशन मैनेज कर लें तो पॉजिटिव तरीके से अपने इमोशन्स को रिलीज कर दें। याद रखें कि नेगेटिव इमोशन्स से कभी खुद को प्रभावित नहीं होने दें। इसके लिए आप एक्सरसाइज कर सकती हैं, स्वीमिंग के लिए जा सकती हैं, नेचुरल एंबियंस में जा सकती हैं या मेडिटेट कर सकती हैं। आप एक पेपर पर अपने नेगेटिव थॉट्स लिख सकती हैं। आप दूसरे लोगों से बात कर सकती हैं इससे आपकी खुद को लेकर अवेयरनेस बढ़ेगी।
बड़ी तस्वीर देखने की कोशिश करें
हमारी जिंदगी में घटने वाली हर छोटी-बड़ी चीज का एक बड़ा मकसद होता है। आप जिस मोमेंट में जी रही हैं, उससे ऊपर उठकर उसमें आपके लिए क्या लर्निंग हैं, इस बात पर फोकस करें। शुरुआत में शायद ये चीजें आपको समझ ना आएं लेकिन वक्त बीतने के साथ आप अपनी जिंदगी से जुड़ी बड़ी चीजें देख पाएंगी। अगर आप इमोशनल अपसेट भी हैं तो वह क्षण भी आपको बहुत कुछ सिखाएगा।
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खुद को दें ब्रेक
नेगेटिव इमोशन्स आने पर हम बहुत देर तक उनके प्रभाव में रहते हैं। अपना मूड ठीक करने के लिए आपको उस पैटर्न को तोड़ना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप खुद से जुड़ा कोई हैप्पी या फनी मोमेंट सोचने की कोशिश करें या फिर इस बात पर विचार करें कि आपकी समस्या का अल्टीमेट सॉल्यूशन क्या हो सकता है।
माफ करें और आगे बढ़ें
इस बात पर ध्यान दें कि किस चीजों से आप अपसेट हो जाती हैं यानी आपके इमोशनल ट्रिगर कौन से हैं। हो सकता है कि कुछ पर्टिकुलर बातों को सोचने, घरवालों के किसी कमेंट या दोस्तों के किसी व्यवहार से आप अपसेट होती हों। अगर आप इनकी पहचान कर लें तो इन्हें आसानी से मैनेज कर सकती हैं। चाहें किसी से किसी भी तरह की कड़वाहट क्यों ना हो, अगर आप दूसरों के गलत व्यवहार के लिए उन्हें माफ कर देते हैं तो आप खुद से उनको डीटेच कर लेते हैं, इसके बाद नेगेटिव फीलिंग्स आपको प्रभावित नहीं कर पातीं। इससे आपको खुद को रिलैक्स करने में आसानी होती है।
क्या बताते हैं एक्सपर्ट
इमेज कंसल्टेंट नेंसी कात्याल का सुझाव है, 'इमोशन्स हावी होने लगें तो रेसपॉन्ड करें पर रिएक्ट ना करें। अक्सर ऐसा होता है कि किसी पर गुस्सा आने पर हम उसे दबाते रहते हैं, फिर अचानक बुरा-भला बोल देने पर हमारे लिए और परेशानिया खड़ी हो जाती हैं। अगर आपको गुस्सा आए तो सामने वाले से वक्त मांगे। आप कह सकती हैं कि आप थोड़ी देर में बात करेंगी, अभी आपका फ्रेम ऑफ माइंड सही नहीं है। गुस्से में जो बातें आपके मुंह से निकलती हैं वे आपके लिए सही नहीं है, इसलिए देरी से रिएक्ट करना आपके लिए बेहतर होगा। इससे आप उसके साथ बेहतर तरीके से डील कर पाएंगी। ऐसा भी नहीं है कि आपको गुस्सा बिल्कुल नहीं आना चाहिए। जब तक हम नेगेटिव इमोशन्स को एक्सपीरियंस नहीं करेंगे, तो पॉजिटिव इमोशन्स की कद्र करना कैसे सीखेंगे। इमोशनल ट्रिगर होने पर खुद को रिलैक्स करने के लिए गैप लेना जरूरी है। आप अपने किसी नजदीकी से पूछ सकती हैं कि बहुत गुस्सा आने पर आप किस तरह से रिएक्ट करती हैं, आपके फेशियल एक्सप्रेशन कैसे होते हैं, इससे आप इफेक्टिव तरीके से अपने इमोशन्स मैनेज कर सकती हैं। यह भी बहुत जरूरी है कि आप नेगेटिव लोगों से दूर रहें और अपने आसपास का माहौल पॉजिटिव रखें।'
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