सैलरी नेगोसिएशन के दौरान इन खर्चों को ना करें नजरअंदाज

जब भी सैलरी नेगोसिएशन की बात आती है तो हम सभी अच्छी हाइक चाहते हैं। लेकिन इस दौरान अपने कई खर्चों के बारे में भूल जाते हैं। जिससे हमें बाद में पछताना पड़ सकता है।

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जब भी जॉब की बात होती है तो हम सभी एक अच्छी कंपनी में ही काम नहीं करना चाहते हैं, बल्कि फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की भी चाहत होती है। इसलिए, हम सभी एक अच्छी सैलरी चाहते हैं। अमूमन यह देखने में आता है कि हम जॉब एक्सेप्ट करते समय सिर्फ सैलरी ऑफर पर ही ध्यान देते हैं। जबकि अपने खर्चों का ख्याल नहीं रखते हैं। इतना ही नहीं, पर्सनल खर्चों से अलग भी ऐसे कई खर्चे होते हैं, जिस पर अमूमन हम ध्यान नहीं देते हैं।

ऐसे में जब हम जॉब करते हैं और बाद में जब हमें सैलरी मिलती है तो यह समझ में आता है कि उस सैलरी से हमारे खर्चे ही पूरे नहीं हो रहे हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही खर्चों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें सैलरी नेगोसिएशन के दौरान नजरअंदाज नहीं करना चाहिए-

आने-जाने का खर्च

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कई बार ऐसा होता है कि कंपनी आपको सैलरी तो बहुत अच्छी ऑफर करती है, लेकिन ऑफिस घर से बहुत अधिक दूर होता है। जिसकी वजह से आपको अतिरिक्त समय व पैसे खर्च करने पड़ते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का खर्च या फिर पार्किंग फीस या फिर गैस व पेट्रोल का खर्च आदि आपकी जेब पर काफी भारी पड़ सकता है, इसलिए जब भी सैलरी नेगोसिएशन करें तो अपने दिमाग में इन खर्चों का भी एक खाका जरूर बना लें।

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जीवनयापन का खर्च

कभी-कभी आपको किसी दूसरे शहर में जाकर जॉब करनी पड़ती है। ऐसे में आपको वहां पर रहने व खाने-पीने का खर्च काफी अधिक आ सकता है। इसलिए, अगर कोई कंपनी आपको दूसरी ब्रांच के लिए हायर कर रही है तो आपको उस स्थान के खर्चों को ध्यान में रखते हुए ही सैलरी नेगोसिएशन करनी चाहिए।

इंश्योरेंस कवरेज

आजकल बहुत सी कंपनियां अपने कर्मचारियों का हेल्थ इंश्योरेंस जरूर करवाती हैं। ऐसे में उससे जुड़े खर्चे सैलरी से ही काटे जाते हैं। इसलिए, पहले आपको इंश्योरेंस प्रीमियम, को-पेमेंट या फिर कटौतियों के बारे में अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस के अलावा लाइफ इंश्योरेंस, डिसेबिलिटी इंश्योरेंस आदि भी कंपनी पॉलिसीज में शामिल होने लगा है। इसलिए, बेहतर होगा कि जब आप सैलरी नेगोसिएट करें तो इन खर्चों का भी उतना ही ख्याल रखें।

मोबाइल व टेक्नोलॉजी से जुड़े खर्च

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कुछ कंपनियां काम से जुड़े टेक्नोलॉजी के खर्च जैसे सेल फोन, लैपटॉप और इंटरनेट आदि के खर्च का भार उठाती है। अगर आपका सारा काम टेक्नोलॉजी से ही जुड़ा है और इसके लिए आपको अधिक खर्च करना पड़ेगा तो ऐसे में आप यह स्पष्ट करें कि क्या यह खर्च आपके मुआवज़े पैकेज का हिस्सा है या नहीं।

काम से जुड़े खर्च

कुछ लोगों का काम मार्केटिंग या पब्लिक स्पीकिंग से जुड़ा होता है। ऐसे में उन्हें अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों को ट्रेनिंग देनी होती है। जिसमें बहुत अधिक खर्च आता है। अगर आपका काम भी ऐसा ही है तो सैलरी नेगोसिएशन से दौरान यह अवश्य जान लें कि काम से जुड़े खर्चे कंपनी वहन करेगी या नहीं। साथ ही साथ, उन खर्चों की पेमेंट का तरीका या पैटर्न क्या होगा।

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टैक्स

अपने सैलरी नेगोसिएशन के दौरान टैक्स के बारे में भी जानने का प्रयास करें। जहां आपको कुछ बेनिफिट्स टैक्स फ्री मिल सकते हैं। वहीं, कुछ स्थितियों में आपको टैक्स देना पड़ सकता है। इसलिए, एक बार आप इसे अच्छी तरह समझ लें और उसके बाद ही कोई कदम आगे बढ़ाएं।

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Image Credit- freepik

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