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Maa Durga: सिर्फ 7 श्लोकों में समाया है दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ, जानें अर्थ और लाभ

दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत शक्तिशाली होता है, लेकिन इसके कुछ विशेष नियम हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। यही कारण है कि बहुत से लोग इस पूरे पाठ को करने में संकोच करते हैं। जो लोग पूरा पाठ नहीं कर पाते, उनके लिए एक सरल तरीका भी है।
Editorial
Updated:- 2025-09-24, 15:30 IST

Durga Saptashati Ka Path: देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत शक्तिशाली होता है, लेकिन इसके कुछ विशेष नियम हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। यही कारण है कि बहुत से लोग इस पूरे पाठ को करने में संकोच करते हैं।

जो लोग पूरा पाठ नहीं कर पाते, उनके लिए एक सरल तरीका भी है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का सार इसके 7 श्लोकों में समाहित है। इन 7 श्लोकों का जाप करने से भी उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना कि पूरे पाठ को करने से। इन श्लोकों को सप्तश्लोकी दुर्गा कहा जाता है। इन श्लोकों के जाप से भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

इन 7 श्लोकों का जाप करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका यह है कि आप सुबह और शाम को देवी दुर्गा के सामने बैठकर इन श्लोकों का पाठ करें। आप चाहें तो किसी भी शुभ मुहूर्त में या नवरात्रि जैसे पवित्र दिनों में इनका जाप कर सकते हैं। इन श्लोकों का जाप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां दुर्गा की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है।

दुर्गा सप्तशती के 7 श्लोक 

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  • ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।1।।
  • दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।2।।
  • सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥3॥
  • शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥4॥

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  • सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥5॥
  • रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति॥6॥
  • सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥7॥

इन सातों श्लोकों में भगवान शिव (भगवान शिव की विशेष स्तुति) ने माता पार्वती के रूप का वर्णन और उनके अवतारों के बारे में बताया है। यह 7 श्लोक दुर्गासप्तश्लोकी के हैं। यानी कि सात श्लोकों से बना दुर्गासप्तशती पाठ का छोटा भाग। इन श्लोकों में मां दुर्गा के दिव्य तेज, उनके सौंदर्य और उनके साहस का संपूर्ण वर्णन मिलता है। 

दुर्गा सप्तशती के 7 श्लोकों के लाभ 

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  • दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों के पाठ से व्यक्ति के कष्ट मिट जाते हैं। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। 
  • दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों के पाठ से व्यक्ति को कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है। 
  • दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों के पाठ से महिलाओं को विशेष लाभ मिलता है। 

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  • दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों के पाठ से महिअलाओं में सुंदरता और वीरता बढ़ती है।
  • दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों के पाठ से महिलाओं को जीवन में सफलता (जीवन में सफलता पाने के वास्तु टिप्स) का उच्च पद मिलता है। 
  • दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों के पाठ से संतान, वैवाहिक सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है। 

 

तो ये थे वो 7 श्लोक, उनका अर्थ और उनसे मिलने वाले लाभ। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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FAQ
दुर्गा सप्तशती का पाठ कब करें?
दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि के पहले दिन शाम के समय से शुरू करना चाहिए और दशमी की शाम तक रोजाना करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती में कितने चरित्र होते हैं?
दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र यानी तीन खंड हैं प्रथम चरित्र, मध्य चरित्र, उत्तम चरित्र।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किस दिशा में मुख होना चाहिए?
दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख होना चाहिए या फिर मां के ठीक सामने मुख होना शुभ होता है।
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