भारत में किसी भी चीज को खरीदने के लिए टैक्स देना पड़ता है और अपने देश का टैक्स सिस्टम बाकी देशों से काफी अलग है। जब बात लग्जरी की आती है, तो लग्जरी एक सब्जेक्टिव कॉन्सेप्ट है। कुछ लोग इसे विलासिता मानते हैं, तो कुछ लोग इसे जरूरत मानते हैं। इसलिए, शुरुआत में इंडियन टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के लिए लग्जरी चीजों पर टैक्स लगाना एक चुनौतीपूर्ण काम था।
हालांकि, बदलते समय के साथ सरकार ने लग्जरी चीजों की खरीदारी और लग्जरी सर्विस के इस्तेमाल पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया। लग्जरी टैक्स आपको बिल में ही लगाकर मिलता है, तो आइए जानते हैं कि कैसे इस टैक्स की शुरुआत हुई थी और किन-किन चीजों पर यह लग्जरी टैक्स लगाया जाता है?
लग्जरी टैक्स क्या है?
लग्जरी टैक्स एक ऐसा टैक्स है, जो लग्जरी वस्तुओं और सर्विसेज पर लगाया जाता है। लग्जरी टैक्स रेट प्रोडक्ट के प्रकार और उसके रेट के आधार पर 5% से लेकर 28 % के बीच होते हैं। होटल, रेस्तरां, हेल्थ क्लब, स्पा, ब्यूटी पार्लर और रिसॉर्ट्स द्वारा दी जाने वाली सर्विस पर लगाया जाने वाला एक Statutory Tax है। अगर आप सर्विस से खुश भी नहीं हैं, तो भी आपको एप्लीकेबल लग्जरी टैक्स देना पड़ता है। GST अधिनियम के तहत, वर्तमान में लग्जरी टैक्स का रेट 28 फीसदी है।
लग्जरी टैक्स एक्ट के तहत, लग्जरी का मतलब है कि ऐसी सेवा या सामान, जो किसी इंसान के जीवन को आरामदायक और आनंद प्रदान करने के लिए होता है। आपको बता दें कि होटल, रेस्तरां और दूसरी जगहों पर परोसा जाने वाला खाना और ड्रिंक्स लग्जरी टैक्स की कैटेगरी में नहीं आता है। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आप वीकेंड बिताने के लिए अपनी फैमिली के साथ किसी विशेष रिसॉर्ट में जाते हैं। रिसॉर्ट से जब बाहर निकलते हैं, तो आपको रिसॉर्ट के खाने, स्पा, और लॉन्ज को मिलाकर 50,000 रुपये का बिल दिया जाता है। बिल में खाना 15,000 रुपये का, रहने का बिल 25,000 रुपये और स्पा बिल 10,000 रुपये होता है। इस मामले में आपको केवल इस्तेमाल किए जाने वाले लॉन्ज़ और स्पा सर्विस पर ही लग्जरी टैक्स देना होगा।
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भारत में लग्जरी टैक्स का इतिहास
भारत में लग्जरी टैक्स की शुरुआत 1996 में इंडियन हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से रैवेन्यू जुटाने के लिए की गई थी। यह मुख्य रूप से उन लग्जरी रिसॉर्ट्स और होटलों के लिए था, जो बड़ी हस्तियों को रुकने के लिए सर्विस प्रदान करते थे। शुरू में, लग्जरी टैक्स का कोई फिक्स्ड रेट नहीं था, इसे अलग-अलग राज्यों द्वारा अपने हिसाब से लगाया जाता था। ऐसा करने से लोगों में बहुत कन्फ्यूजन पैदा हो गया और लोगों ने Consistent Tax Structure की मांग की। इसके बाद, साल 2009 में लग्जरी टैक्स को देशभर के सभी होटलों के लिए 12.5 फीसदी की रेट से लगा दिया गया। हालांकि, साल 2016 में सरकार ने जीएसटी एक्ट पेश किया और सभी Indirect Taxes के साथ-साथ लग्जरी टैक्स को भी इसमें शामिल कर दिया गया।
लग्जरी टैक्स रिटर्न कैसे दाखिल करें?
भारत में, लग्जरी टैक्स के कलेक्शन की जिम्मेदारी आमतौर पर प्रत्येक राज्य में वाणिज्यिक कर विभाग(Commercial Taxes Department) या आबकारी विभाग(Excise Department) की होती है। इन विभागों को VAT, सर्विस टैक्स और एंटरटेनमेंट टैक्स जैसे विभिन्न विभागों में विभाजित किया जाता है, ताकि सही तरीके से लग्जरी टैक्स को प्रभावी ढंग से लगाया और इकट्ठा किया जा सके। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए इन विभागों ने प्रत्येक राज्य में वेबसाइट और अन्य चैनल डेवलेप किए हैं।
ये प्लेटफॉर्म होटल बिजनेसमैन, क्लब मालिकों जैसे लग्जरी सर्विस प्रोवाइडर्स को टैक्स पेमेंट रजिस्ट्रेशन के लिए फॉर्म तक आसानी से पहुंच प्रदान करते हैं। वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करके, ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स लग्जरी टैक्स का पेमेंट कर सकते हैं और रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान में रखना होगा कि रिटर्न दाखिल करने का प्रोसेस और रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख सभी के लिए एक ही है। इसलिए, पैनल्टी से बचने के लिए आपको अंतिम तारीख से पहले रिटर्न दाखिल करना चाहिए।
लग्जरी टैक्स रेट क्या है?
यह उन सभी होटलों, लॉन्ज, रिसॉर्ट्स, कॉन्फ्रेंस हॉल और विभिन्न क्लबों पर लगाया जाता है, जो अपने कस्टमर्स को रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। हालांकि, विभिन्न होटलों और रेस्तरां के लिए टैक्स स्लैब रेट अलग-अलग होती है।
अगर किसी रेस्तरां का एनुअल टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से कम है, तो 5% के रेट से लग्जरी टैक्स लगाते हैं।
अगर आप किसी एसी वाले रेस्तरां में जाते हैं, तो वहां लग्जरी टैक्स रेट 18% है, जबकि बिना एसी वाले रेस्तरां में लग्जरी टैक्स 12 फीसदी लगता है।
रूम टैरिफ
विभिन्न कमरों के किराए के लिए टैक्स रेट अलग-अलग हैं-
<₹1000 तक के कमरे में कोई टैक्स नहीं लागू होता है।
>₹1000 से लेकर <₹2500 तक के कमरे पर 12% के रेट से लग्जरी टैक्स देना पड़ता है।
>₹2500 से लेकर <₹7500 तक के कमरे पर 18% के रेट से लग्जरी टैक्स देना पड़ता है।
>₹7500 से ऊपर वाले कमरों पर 28% के रेट से लग्जरी टैक्स देना पड़ता है।
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लग्जरी टैक्स कहां लागू होता है?
- क्लब के सदस्यों को दी जाने वाली सेवाएं, जैसे कि डोनेशन, फीस, डिपोजिट या दूसरे State-Mandated Charges।
- अपने इन-हाउस रेज़िडेंस को दी जाने वाली होटल सर्विस
- स्पा, ब्यूटी पार्लर, स्विमिंग पूल और हेल्थ क्लब सेवाएं।
- हॉस्पिटल सर्विसेज, जो 1000 रुपये या उससे अधिक का अमाउंट लेती हैं, तो रोजाना 8% के रेट से लग्जरी टैक्स।
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