दिल्ली में आगामी दिनों में चुनाव होने वाले हैं। 8 फरवरी को मतदान और 11 फरवरी को रिजल्ट के बाद ये सामने आएगा कि आखिर दिल्ली में अगले पांच साल कौन सी सरकार रहेगी। दिल्ली चुनाव एक तरह से काफी खास रहते हैं, देश की राजधानी में सुविधाओं और लोगों की सुरक्षा से जुड़े कई बड़े मुद्दे इस बार सरकार के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं। खास तौर पर अब तो शाहीन बाग वाला मामला बहुत ज्यादा बढ़ गया है और एंटी CAA प्रोटेस्ट के कारण भी दिल्ली काफी आगे बढ़ गया है। अरविंद केजरीवाल से लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे दिग्गज चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में हमने दिल्ली की कुछ महिलाओं से बात की और ये जानने की कोशिश की कि उन्हें दिल्ली सरकार से क्या चाहिए।
सबसे पहले तो मैं अपना ही बता देती हूं। मैं दिल्ली में पिछले 4 सालों से हूं और हर साल प्रदूषण की स्थिति से मेरा हाल बेहाल हो रखा है। किसी दूसरे शहर से दिल्ली में आने वाली महिलाओं के लिए दिल्ली काफी अलग रहती है। सबसे पहले तो प्रदूषण, दूसरा सुरक्षा की चिंता एक बहुत बड़ा मुद्दा है। पीजी में रह रही लड़कियों और किराए के मकान में रह रही लड़कियों को सुरक्षा की चिंता बहुत ज्यादा सताती है। मैं अपने लिए बोल सकती हूं कि दिल्ली की ये दो बड़ी समस्याएं मुझे बहुत परेशान करती हैं।
पर दिल्ली में सिर्फ मैं ही नहीं रहती। यहां के स्थाई निवासियों से भी मेरी बात हुई और जो मुद्दे निकल कर आए वो दिल्ली में महिलाओं की असली समस्या को बताते हैं।
30 वर्षीय हाउसवाइफ रेखा यादव कहती हैं कि उन्हें मेट्रो से अच्छी खासी परेशानी होती है। ऐसा नहीं कि दिल्ली मेट्रो में कुछ भी सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन तान्या के मुताबिक इनमें भीड़ बढ़ती ही चली जा रही है। राजीव चौक से अगर यलो लाइन की मेट्रो में बैठना हो या फिर ब्लू लाइन तक ही जाना हो तो ये बहुत बड़ी समस्या बन जाती है। इसके अलावा, अगर किसी जगह कोई ट्रैफिक सिग्नल खराब हो गया या कहीं किसी के घर में पानी को लेकर कोई समस्या हो गई तो संबंधित विभाग में फोन करने के बाद भी एक्शन काफी देर से होता है। ये छोटी-छोटी चीज़ें हल की जा सकती हैं।
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सरकारी कर्मचारी प्रिया राय को सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य से जुड़ी लगती है। प्रिया राय का कहना है कि निजी अस्पतालों में फीस बहुत ज्यादा है और सरकारी अस्पतालों में न ही पर्याप्त सेवाएं हैं और न ही वहां पर अच्छा व्यवहार होता है। एम्स आदि में तो समय काफी लगता है, लेकिन अगर किसी को कोई इमर्जेंसी हो तो वो किसी नजदीकी अस्पताल में ही जाएगा। इसके अलावा, अगर बीमारियों की बात करें तो अभी भी डेंगू और अन्य बीमारियों से बचाव के बहुत अच्छे उपाय नहीं किए गए हैं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट का किराया बहुत ज्यादा बढ़ता चला जा रहा है। अगर दिल्ली में ऑड-ईवन लागू होता है तो ओला-ऊबर सर्ज प्राइसिंग हो जाती है। किराया 4-5% तक बढ़ जाता है। इसके अलावा, ऑटो ड्राइवर कभी मीटर के हिसाब से नहीं चलते। दिल्ली में भी मुंबई की तरह ऐसा नियम होना चाहिए जो ऑटो ड्राइवरों को मीटर के हिसाब से चलने को कहे। इसके अलावा, ओला-ऊबर की सर्ज प्राइसिंग पर भी ध्यान रखना चाहिए।
45 वर्षीय शोभना सिंह को सुरक्षा को लेकर काफी चिंता है। वैसे भी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल उठता रहता है। ऐसे में मैं खुद बस में सफर करते हुए सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं। बस में टिकट महिलाओं के लिए तो फ्री कर दिया गया है, लेकिन सुरक्षा के लिए अभी भी चिंता है। बस में जो मार्शल होता है उससे भी ज्यादा सहायता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। शोभना सिंह का कहना है कि वो अक्सर देर रात ट्रैवल करती हैं और उन्हें इसको लेकर काफी चिंता होती है।
मधुमिता शाह 4 साल के बेटे की मां हैं और लगभग रोज़ाना उनका आना-जाना पटपड़गंज इलाके से होता है। इस इलाके में कई जगह स्ट्रीटलाइट नहीं है। आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है। अगर वहां लाइट लगाई जाती है तो कई मनचले उसे फोड़ देते हैं या खराब कर देते हैं। उनपर कोई एक्शन नहीं होता है। ये समस्या काफी लंबे समय से बनी हुई है। ऐसे दिल्ली के कई इलाके हैं जहां ये समस्या बहुत बड़ी है। महिलाओं से छेड़खानी की समस्या भी है। इसका इलाज होना चाहिए।
अभिलाषा वर्मा 22 वर्षीय स्टूडेंट हैं जिनका कहना है कि उन्हें सिर्फ अपनी डिग्री निकलवाने के लिए ही 70 हज़ार रुपए खर्च करने पड़े। बच्चों की हायर एजुकेशन को लेकर बहुत ज्यादा समस्याएं बढ़ रही हैं। इसी के साथ, अभिलाषा का कहना है कि उन्हें सुरक्षा और सफाई से भी समस्या है। ईस्ट और वेस्ट दिल्ली बहुत गंदा है। उसे लेकर उन्हें परेशानियां होती हैं।
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50 वर्षीय रश्मि श्रीवास्तव के हिसाब से दिल्ली का ट्रैफिक जाम बहुत बड़ी समस्या है। उनका कहना है कि दिल्ली में ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। कालिंदी कुंज इलाके में तो लंबे समय से धरना प्रदर्शन हो रहा है। इसके अलावा भी दिल्ली की कई सड़कों पर आए दिन जाम रहता है। जो रास्ता आधे घंटे में तय किया जा सकता है उस रास्ते में दो घंटे भी लग जाते हैं। ऐसे में घर पहुंचने में समस्या होती है।
इसके अलावा, दिल्ली में जो पार्क आदि बनवाए गए हैं जिनमें ओपन जिम लगे हैं वहां मनचले अक्सर रहते हैं। महिलाएं अगर चाहें भी तो भी वो एक्सरसाइज नहीं कर सकती हैं। ऐसे मौके पर गार्ड आदि की व्यवस्था होगी तो न सिर्फ वो जिम बल्कि आस-पास का इलाका भी काफी सुरक्षित रहेगा। ऐसा करना जरूरी है।
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