मुगल साम्राज्य से कौन वाकिफ नहीं है भला...क्योंकि आज भी हमें मुगलों की प्राचीन सभ्यता का नमूना देखने को मिलता है। कई ऐसे बादशाह भी रहे हैं जिनका नाम न सिर्फ इतिहास के पन्नों के में दर्ज है बल्कि आज भी हमारे दिमाग में उतना ही ताजा है, जितना प्राचीन समय में था जैसे- अकबर, औरंगजेब, शाहजहां आदि। मगर मुगल बादशाह शाहजहां के शासन काल को भारत के इतिहास का गोल्डन पीरियड कहा जाता है।
यह भी कहा जाता है कि शाहजहां के शासन में प्रजा बहुत खुश थी साथ ही, सबसे ज्यादा विकास और सबसे ज्यादा इमारतों का निर्माण भी इसी काल में हुआ था। शाहजहां ने ही ताजमहल का निर्माण कराया था। क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे 'अमीर' शहजादी एक मुगल बादशाह की बेटी थी?
आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि हमें दुनिया की सबसे अमीर शहजादी शाहजहां की बेटी थी। जी हां, इस अमीर शहजादी का नाम जानने के लिए आपको इस लेख को पूरा पढ़ना होगा। तो देर किस बात की आइए पहले थोड़ा मुगल इतिहास के बारे में जानते हैं और फिर विस्तार से शहजादी के बारे में।
मुगल साम्राज्य का दौर
मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1707 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेबथा।
कहा जाता है कि अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया। इसके अलावा, कुछ महिलाएं भी थीं, जिन्होंने अपना योगदान नीति-निर्माण में भी दिया था।
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कौन हैं अमीर शहजादी?
शहजादी का नाम था जहां आरा, जो मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज महल की बड़ी बेटी थीं। साथ ही, वो छठे मुगल सम्राट औरंगजेब की बड़ी बहन भी थीं। इनका जन्म 1614 में अजमेर में हुआ था।
जहां आरा बहुत कम उम्र में ही मुगल सत्ता में आ गई थीं और अपनी सेवाएं प्रजा तक पहुंचा रही थीं। आज भी जहां आरा के रूप और चरित्र को मुगल इतिहास भुला नहीं सकता।
छह लाख रुपये मिला वार्षिक वजीफा
चलिए अब बात करते हैं कि शहजादी को सबसे अमीर महिला क्यों कहा जाता था। कहा जाता है कि बादशाह शाहजहां ने जहां आरा के लिए छह लाख रुपये का वार्षिक वजीफा तय कर दिया था, जो अब तक किसी भी महिला को नहीं मिला था। अब आप यकीनन सोच रहे होंगे कि यह वजीफा क्या होता है, तो आपको बता दें कि इसका मतलब भरण पोषण लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता से है।
14 साल की थीं जहां आरा बेगम
जब जहां आरा को वजीफा मिला तो वो उस वक्त सिर्फ 14 साल की थीं और दुनिया की भी सबसे अमीर शहजादी बन गई थीं। साथ ही, जहां आरा के पास कई जागीरें भी थीं, जिस दिन उनके पिता की ताजपोशी हुई थी, उस दिन उन्हें एक लाख अशर्फियां और चार लाख रुपये दिए गए थे। इतिहास के अनुसार जहां आरा को अपनी मां की संपत्ति का आधा हिस्सा भी दिया गया था।
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चांदनी चौक को किया था डिजाइन
हालांकि, इस बात को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। मगर कहा जाता है कि दिल्ली का चांदनी चौक का बाजार डिजाइन करने वाली शहजादी जहां आरा ही थीं। इन्होंने सिर्फ चांदनी चौक बल्कि शाहजहांनाबाद में कई इमारतें भी बनवाईं थीं। बता दें कि इस बात का उल्लेख जहां आरा ने फारसी में लिखी किताबों में भी किया है।
इसके अलावा कई और भी बेगमें थीं, जिन्होंने मुगल शासनकाल में अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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