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बेटे की चाहत में जन्म के 45 मिनट बाद नवजात बेटी की छत से फेंककर ले ली जान! लड़का चाहिए...पर किस कीमत पर?

गाजियाबाद में एक महिला ने अपनी नवजात बच्ची को जन्म के 1 घंटे के अंदर ही छत से फेंककर मार डाला और इसकी वजह थी कि महिला को बेटे की चाहत थी और वो बेटी को नहीं पालना चाहती थी। बेटा वंश चलाएगा, आखिर इस सोच से कब आजाद होंगे हम? आखिर इसके लिए और कितनी बेटियों की बलि चढ़ेगी?
Editorial
Updated:- 2025-12-11, 10:44 IST

बेटा कुल का दीपक है...बेटा वंश चलाता है....ऐसी बातें हम सिर्फ कहते-सुनते नहीं हैं, बल्कि ये कहीं न कहीं हमारी सोच का एक ऐसा हिस्सा बन चुकी हैं कि हम इन्हें बदलना ही नहीं चाहते हैं। आए दिन आपको बेटे और बेटी में फर्क करने वाली खबरें सुनाई देती होंगी। किसी घर में बेटे की पढ़ाई के लिए बेटी की पढ़ाई छुड़वा दी जाती है तो कहीं बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी को बोझ और बेटे को राजदुलारा मानने की ये सोच न जाने कब खत्म होगी। आज भी न जाने कितने घरों में महिलाएं सिर्फ इसलिए ताने और घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं क्योंकि उन्होंने बेटे नहीं बल्कि बेटी को जन्म दिया है। हाल ही में एक ऐसा ही दिल दहला लेने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने अपनी नवजात बेटी को जन्म के कुछ देर बाद छत से फेंककर मार डाला क्योंकि उसे बेटी नहीं, बल्कि बेटा चाहिए था। इस तरह की घटनाएं सवाल खड़े करती हैं कि आखिर बेटे की चाहत में हम कितनी बेटियों की बलि चढ़ाएंगे?

गाजियाबाद में बेटे की चाहत में ले ली बेटी की जान

woman killed her newborn baby in ghaziabad

गाजियाबाद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 22 साल की महिला ने अपनी नवजात बेटी को जन्म के 45 मिनट बाद छत से फेंककर मार डाला। महिला ने पहले दावा किया कि वे लोग इतने गरीब थे कि अस्पताल नहीं जा सकते थे और इसलिए उन्होंने बच्चे को घर पर जन्म दिया और नवजात सांस नहीं ले पा रहा था, जिसके बाद उसकी बहन ने शिशु को मृत समझकर पास के एक खाली प्लॉट में फेंकने की कोशिश की, लेकिन गलती से शव पड़ोसी की छत पर गिर गया हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी यह कहानी झूठी साबित हुई। रिपोर्ट में सामने आया कि बच्ची को जानलेवा चोटें लगी थीं और उसकी खोपड़ी टूटी हुई थी। बाद में पूछताछ के दौरान महिला ने अपना जुर्म कुबूल किया और बताया कि वह बेटा चाहती थी और इसलिए उसने बेटी को जिंदा ही फेंक दिया था। वह पति को यह बताने से भी डर रही थी कि उसकी बेटी हुई है।

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बेटा वंश चलाएगा, आखिर इस सोच से कब आजाद होंगे हम?

woman killed her newborn baby in ghaziabad as she wanted a son

यह सुनने और पढ़ने में ही कितना दर्दनाक लग रहा है, लेकिन जरा सोचिए एक मां ने ही अपनी बेटी की जान ले ली। मां जिसके बारे में ये कहा जाता है कि उसकी जान अपने बच्चों में बसती है, उसी ने अपनी नवजात बेटी को छत से फेंककर मार डाला और वजह बेटे की चाहत। असल में हमारी सोच में बेटे और बेटी में अंतर करना और बेटे को कुलदीपक मानना इस कदर बसा हुआ है कि हम इससे बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं या शायद निकलना ही नहीं चाहते हैं। आज के वक्त में बेटियां न केवल अपने बूढे माता-पिता का सहारा बनती हैं, उनका नाम रोशन करती हैं, बल्कि उन्हें वो सारी खुशियां देने की कोशिश करती हैं जिसके वो हकदार हैं, लेकिन फिर भी समाज का एक बड़ा हिस्सा उन्हें बराबरी का हक देने को तैयार नहीं है। बेटा होने पर बधाई देना और बेटी होने पर सांत्वना देना आज भी लोगों को सही लगता है और मेरे मन में फिर यही सवाल उठता है कि बेटा वंश चलाएगा, आखिर इस सोच से कब आजाद होंगे हम?


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यूं तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और पढ़े-लिखे समाज का हिस्सा होने का दावा करते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं हमें आईना दिखाती हैं कि हमारी सोच वास्तव में कितनी पिछड़ी हुई है।

Image Courtesy: Shutterstock

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