
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक है और इस बार महिलाओं की आवाज पहले से कहीं ज्यादा बुलंद सुनाई दे रही है। अब महिलाएं सिर्फ वोट डालने भर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे बिहार के भविष्य की दिशा तय करने वाली सशक्त ताकत बन चुकी हैं। शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे अब महिलाओं के एजेंडे में सबसे ऊपर हैं।
बेतिया की 29 वर्षीय पूजा कुमारी ऐसी ही एक जागरूक और आत्मनिर्भर महिला मतदाता हैं, जो मानती हैं कि अगर बिहार को आगे बढ़ाना है, तो महिलाओं को बराबरी का हक और सुरक्षित माहौल देना जरूरी है। पूजा खुद युवाओं की शिक्षा और रोजगार से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रहती हैं और मानती हैं कि महिलाओं की भागीदारी से ही राज्य की असली प्रगति संभव है।
हमसे हुई बातचीत में पूजा ने साफ कहा कि बिहार की महिलाएं अब केवल वादों से संतुष्ट नहीं होतीं, वे नतीजे देखना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को अब ऐसी सरकार चाहिए जो सुरक्षा, शिक्षा, सम्मान और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाए।
पूजा जैसी महिलाओं की नजर में बिहार का यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि सोच और प्रणाली में बदलाव का अवसर है। जहां हर महिला अपने हक, सुरक्षा और सपनों के लिए निडर होकर आवाज उठा सके। आइए जानते हैं, महिलाओं की इस नई सोच और उम्मीदों की झलक बिहार चुनाव 2025 में कैसी दिखाई दे रही है।

इस चुनाव से मेरी सबसे बड़ी उम्मीद है कि महिलाओं को रोजगार और नौकरी के क्षेत्र में बराबरी का अवसर मिले। जब महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी, तभी वे अपने परिवार और समाज दोनों को आगे बढ़ा पाएंगी। बिहार की महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की क्षमता रखती हैं, बस उन्हें मौका और सही मंच चाहिए।
सरकार को चाहिए कि महिला उद्यमियों के लिए ज्यादा अवसर और आर्थिक सहायता प्रदान करें। आज कई महिलाएं घर बैठे छोटे बिजनेस शुरू करना चाहती हैं, लेकिन पूंजी और मार्गदर्शन की कमी के कारण पीछे रह जाती हैं। अगर सरकार उन्हें ब्याज-मुक्त लोन, प्रशिक्षण और मार्केटिंग की सुविधाएं दे, तो वे अपने पैरों पर खड़ी होकर दूसरों को भी रोजगार दे सकती हैं।

इस सवाल के जवाब में पूजाा ने बताया, 'सच कहूं तो नहीं। हमारे क्षेत्र में न तो सुरक्षा की स्थिति अच्छी है और न ही स्वास्थ्य सुविधाएं। महिलाएं शाम 6 बजे के बाद घर से बाहर निकलने से डरती हैं। सड़कों पर रोशनी और पुलिस गश्त की भारी कमी है। इसके अलावा, महिला डॉक्टरों की कमी के कारण महिलाएं अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर खुलकर बात नहीं कर पातीं। सरकार को चाहिए कि हर ब्लॉक में महिला स्वास्थ्य केंद्र और 24x7 हेल्पलाइन स्थापित की जाए।'
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अगर सरकार और राजनीतिक पार्टियां वाकई महिलाओं को आगे देखना चाहती हैं, तो उन्हें राजनीति में प्रवेश के लिए विशेष छूट, सुरक्षा की गारंटी और आर्थिक सहायता देनी चाहिए। बड़े नेताओं को महिला उम्मीदवारों को मंच और मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ चुनाव में भाग ले सकें। जब महिलाएं नीति बनाने में शामिल होंगी, तभी असली बदलाव आएगा।
मेरे लिए महिला सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार और महंगाई सबसे बड़े मुद्दे हैं, क्योंकि जब तक महिलाएं सुरक्षित और शिक्षित नहीं होंगी, तब तक राज्य का विकास अधूरा रहेगा। महिलाओं को घर तक सीमित रखने के बजाय उन्हें अपने सपने पूरे करने का मौका मिलना चाहिए।

सरकार ने कोशिशें तो की हैं, लेकिन ये बहुत कम हैं। आज भी महिला उत्पीड़न, शिक्षा में असमानता और रोजगार की कमी जैसी समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। मैं चाहती हूं कि आने वाली सरकार सिर्फ घोषणाएं न करें, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करें, ताकि हर महिला खुद को सुरक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर महसूस कर सके।
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बेतिया की पूजा जैसी महिलाएं इस बार के चुनाव में सिर्फ वोट नहीं डालेंगी, बल्कि अपने सपनों और उम्मीदों की आवाज भी बुलंद करेंगी। उनका मानना है कि जब महिलाएं मजबूत होंगी, तभी बिहार मजबूत होगा।
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