
Women Expectations Bihar Election: बिहार चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। देश-दुनिया के सभी लोगों की नजरें बिहार चुनाव पर है। इस महीने 6 और 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 तारीख को परिणाम घोषित किए जाएंगे। इस बार के चुनाव में महिलाओं की आवाज पहले से कहीं ज्यादा है। ऐसा इसलिए क्योंकि समझ आ गया है न केवल वोट देना बल्कि अपने हक, अधिकार और दी जाने वाली व्यवस्था को देखकर उस पर प्रश्न करने का भी अधिकार है। इससे वह आने वाली पीढ़ी और भविष्य की दिशा को बेहतर बनाने में योगदान दे सकें।
बिहार में सुरक्षा, हेल्थ, एजूकेशन और नौकरी मुद्दा ऊपर है। इलेक्शन और सत्ता में उतरने वाले प्रतिनिधि से महिलाओं को किस चीज की उम्मीदें और वह वर्तमान में दी जाने वाली सुविधा से कितना संतुष्ट हैं। इन सभी प्रश्नों के बारे में मैंने पटना की रहने वाली 49 साल की सोमा सान्याल से बात की।
इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हकीकत में बिहार को बहुत बदलने की जरूरत है। कहने को तो सरकार द्वारा लोगों के लिए तमाम तरह की योजनाएं और सुविधाओं के लिए घोषणा हो जाती है, लेकिन वास्तव में उन्हें जमीनी स्तर पर नजर नहीं आते हैं। चलिए नीचे जानिए साल 2025 के इलेक्शन को लेकर महिलाएं क्या सोच रही हैं और वह वास्तव में वह क्या चाहती हैं

साल 2025 में होने वाले चुनाव से सोमा से इंफ्रास्ट्राक्चर में बदलाव, एजूकेशन सिस्टम, जॉब सेक्टर में बदलाव की उम्मीद करती हैं।
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सोमा ने इस प्रश्न पर जवाब देते हुए कहा कि सरकार से पेंशन योजना चाहती हैं। इसके अलावा हॉस्पिटल फीस में छूट चाहती हैं। कई बार ऐसा होता है कि फीस के पैसे न होने के कारण उनका ट्रीटमेंट अच्छे से नहीं होती है। यहां तक कि उनकी डेथ हो जाती है।
इस प्रश्न के बारे में जब मैंने सोमा सान्याल से पूछा, तो उन्होंने बताया कि वह अपने क्षेत्र में सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं से खुश नहीं है। हेल्थ और सेफ्टी में बहुत बदलाव की जरूरत है। आज भी शाम 7 बजे के बाद घर से बाहर निकलने में 100 बार सोचना पड़ता है। अब ऐसे में सुरक्षा में खास बदलाव की जरूरत है। इसके अलावा अगर बात करें हेल्थ सुविधाओं की तो वर्तमान में अगर किसी को कोई इमरजेंसी या बड़ी बीमारी हो जाती है, तो उन्हें सिटी से दूर या दूसरे शहर जाना पड़ता है।
साथ ही नशा मुक्ति केंद्र पर भी काम करने की जरूरत है।

महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी के लिए उन्हें एजूकेशन में बढ़ाने के साथ-साथ प्रोत्साहित करने की भी जरूरत है। साथ ही वे महिला जो स्वंय राजनीतिक में हिस्सेदारी निभा रही हैं, वह उन्हें आगे बढ़ाएं।
आने वाले बिहार चुनाव में मैं सबसे ज्यादा एजूकेशन सिस्टम और जॉब को लेकर बात करना चाहूंगी। आज अगर किसी को 10 हजार की नौकरी भी करना है, तो वह दूसरे शहर की ओर पलायन करते हैं। अगर सरकार बीपीओ सेंटर खुलवाती हैं, तो लोगों को इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

नहीं, वास्तव में पूरी तरह चीजें जमीनी स्तर पर नजर नहीं आया है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑन पेपर बहुत सारी चीजें आती हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर आने में बहुत समय लगता है, जब तक दूसरी चुनाव होने की तैयारी होने लगती है।
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Images: Herzindagi, Freepik
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