मुगल साम्राज्य की बात करते हैं, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में मुगल बादशाहों के नाम आते हैं। मगर प्राचीन काल से लेकर अब तक भारत में मुगलों द्वारा बनाए गए मकबरे, भवन और किले आज भी मौजूद हैं, जो बेहद खास और खूबसूरत हैं।
न सिर्फ इमारत बल्कि व्यंजन भी फेमस है, जिन्हें किसी जमाने में बादशाह बड़ी शौक के खाया करते थे। आज भी कई ऐसे मशहूर मुगलई व्यंजन हैं, जिन्हें लोग बेहद शौक से खाते हैं। तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे शाही व्यंजनों के बारे में, जो मुगल साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में आए।
मगर आज हम आपको मुगलों से ऐसे व्यंजन के बारे में बताएंगे, जिसे न सिर्फ शौक से खाया जाता है बल्कि इससे जुड़ा किस्सा कहावत के तौर पर भी कहा जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बीरबल की खिचड़ी के बारे में। क्या आपको पता है कि खिचड़ी से बीरबल का नाम क्यों जोड़ा जाता है। अगर नहीं पता तो आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
खिचड़ी का इतिहास
खिचड़ी चावल और दाल से बनाई जाती है, लेकिन इसकी कुछ अन्य क्षेत्रीय विविधताएं हैं जैसे बाजरा खिचड़ी और मूंग खिचड़ी। खिचड़ी शब्द संस्कृत भाषा के शब्द 'खिच्छा' से आया है, जिसका अर्थ है चावल और फलियों से बनाया गया व्यंजन। हिंदू संस्कृति में इसे बच्चों द्वारा खाए जाने वाले सबसे पहले ठोस खाद्य पदार्थों में से एक के रूप में जाना जाता है।
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मुगलों के समय से जुड़ा खिचड़ी का इतिहास
हमारे देश भारत में खिचड़ी का चलन बहुत पुराना है। मुख्य रूप से मकर संक्रांति के पर्व पर खिचड़ी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जब हम इसके इतिहास की बात करते हैं तो इस व्यंजन का इतिहास करीब 2500 साल पुराना है।
ऐसा माना जाता है कि भारत में खिचड़ी पिछले करीब 2500 साल से खाई जाती रही है। यह मुगलों के अधीन था कि उपमहाद्वीप में खिचड़ी प्रमुखता से बढ़ी। प्राचीन कथाओं में ऐसा जिक्र मिलता है कि अकबर को खिचड़ी बहुत पसंद थी क्योंकि वह कम खर्चे पसंद व्यक्ति थे।
वह अपना भोजन अकेले करना पसंद करते थे। अकबर-बीरबल की एक प्रचलित कहानी में भी खिचड़ी का जिक्र किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अकबर के दरवार में अबुल फजल प्रतिदिन 30 मन खिचड़ी पकाता था और उसके घर से गुजरने वाला कोई भी व्यक्ति 24 घंटे खिचड़ी का स्वाद ले सकता था।
कौन थे महेश दास उर्फ बीरबल?
बीरबल का असली नाम महेश दास था, जो एक हिन्दू वंश से ताल्लुक रखते थे। बीरबल का जन्म महर्षि कवि के वंशज जिझौतिया भट्ट ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इतिहास के अनुसार बीरबल तेज दिमाग और बेहद चतुर इंसान थे।
उनका जन्म स्थान मध्य प्रदेश के सीधी जिले के घोघरा में हुआ था। इतिहास के अनुसार बीरबल पेशे से एक पान बेचने वाले थे, लेकिन कहा जाता है कि बीरबल फारसी और संस्कृत के विद्वान भी थे। उन्होंने इसी भाषा में कई कविताएं भी लिखी हैं।
क्या है बीरबल की खिचड़ी के पीछे की कहानी?
एक बार बादशाह अकबर ने घोषणा की, कि जो आदमी सर्दी के मौसम में नदी के ठंडे पानी में रात भर खड़ा रहेगा, उसे भारी भरकम तोहफे से पुरस्कृत किया जाएगा। एक गरीब धोबी ने अपनी गरीबी दूर करने की खातिर नदी में घुटने तक डूबे रहकर पानी में ठिठुरते हुए सारी रात बिता दी। बाद में वह बादशाह के दरबार में अपना इनाम लेने पहुंचा। बादशाह अकबर ने उससे पूछा तुमने कैसे सारी रात बिना सोए, खड़े-खड़े ही नदी में रात बिताई?
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बीरबल भी दरबार में था। उसे यह देख बुरा लगा कि बादशाह नाहक ही उस गरीब पर जुल्म कर रहे हैं। बीरबल दूसरे दिन दरबार में नहीं आए, जबकि उस दिन दरबार की एक आवश्यक बैठक थी। बादशाह ने एक खादिम को बीरबल को बुलाने भेजा। खादिम ने लौटकर जवाब दिया, बीरबल खिचड़ी पका रहे हैं और वह खिचड़ी पकते ही उसे खाकर आएंगे।
जब बीरबल बहुत देर बाद भी नहीं आए, तो बादशाह को कुछ संदेह हुआ। वो खुद तफ्तीश करने पहुंचे। बादशाह ने देखा कि एक बहुत लंबे से डंडे पर एक घड़ा बांध कर उसे बहुत ऊंचा लटका दिया गया है और नीचे जरा-सी आग जल रही है। पास में बीरबल आराम से खटिए पर लेटे हुए हैं।
बादशाह ने पूछा कि यह क्या तमाशा है? क्या ऐसी भी खिचड़ी पकती है? बीरबल ने कहा कि माफ करें, जहांपनाह, जरूर पकेगी। वैसी ही पकेगी जैसी कि धोबी को महल के दीये की गर्मी मिली थी। बादशाह को बात समझ में आ गई। उन्होंने बीरबल को गले लगाया और धोबी को रिहा करने और उसे इनाम देने का हुक्म दिया।
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