गणित विषय आप में से बहुत कम लोगों को ही पसंद होगा। इसमें पूछे गए सवाल इंसान को पूरी तरह से उलझा देते हैं, यही वजह है कि अधिकतर लोग इस विषय से बचते फिरते हैं। ज्यादातर पुरुष यही मानते हैं कि महिलाएं गणित में कमजोर होती हैं, लेकिन यह धारणा पूरी तरह से गलत है। भारत में ऐसी कई महिला गणितज्ञ हुई हैं, जिन्हें दुनिया भर में जाना जाता है। शकुंतला देवी भी उन्हीं महिलाओं में से एक हैं। अपनी बेहतरीन मैथ्स स्किल्स के चलते उन्हें ह्यूमन कंप्यूटर कहकर पुकारा जाता था। अपनी इसी स्पीड के साथ शकुंतला ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज किया।
आज शंकुतला दुनिया में नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें उनके हुनर के लिए आज भी सराहा जाता है। आज के इस लेख में हम आपको भारत की पहली प्रसिद्ध महिला गणितज्ञ के बारे में बताएंगे।
कौन हैं शकुंतला देवी?
शंकुतला देवी भारत की फेमस गणितज्ञ हैं, जिन्हें अपनी कैलकुलेशन की काबिलियत के चलते ह्यूमन कंप्यूटर कहकर पुकारा जाता था। खास बात यह कि शकुंतला देवी ने यह कारनामा उस दौर में किया जब दुनिया में कंप्यूटर के बारे में कोई भी नहीं जानते था और न ही कैलकुलेटर तैयार हुए थे। उस दौर में शकुंतला देवी गणित के बड़े-बड़े सवाल मिनटों में जुबानी हल कर देती थीं।
शकुंतला का बचपन
शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर साल 1929 में बेंगलुरु कर्नाटक को एक कन्नड़ परिवार में हुआ। गरीब परिवार में जन्मी शकुंतला का बचपन झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में हुआ। उनके पिता सर्कस में काम करते थे, जहां वो करतब दिखाया करते थे। पिता की आय परिवार को चलाने के लिए काफी नहीं थी। गरीबी के कारण शकुंतला औपचारिक शिक्षा भी नहीं पूरी कर पाईं। इतनी मुश्किलों के बाद भी शकुंतला की प्रतिभा पर कोई असर नहीं पड़ा।
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बेहद कम उम्र में नजर आई प्रतिभा
शकुंतला के अंदर यह प्रतिभा 3 साल की उम्र में ही नजर आने लगी थी। एक बार ताश खेलने के दौरान शकुंतला के पिता ने पहली बार उनका हुनर पहचाना। महज 6 साल की उम्र में शकुंतला ने मैसूर यूनिवर्सिटी और अन्नामलाई यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इसी के साथ शकुंतला को भी उनके गुण का अहसास हो गया। साल 1944 में वो अपने पिता के साथ लंदन चली गईं। धीरे-धीरे विदेशों में भी शकुंतला के इस हुनर की चर्चा होने लगी। उन्हें यूएस की यूनिवर्सिटी में आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने मुश्किल सवालों के जवाब भी चुटकियों में दे दिए।
लेखन की कला में माहिर थीं शकुंतला
गणित के अलावा शकुंतला की लेखन कला भी बेहद उम्दा थी। गणित के अलावा उन्होंने ज्योतिष शास्त्र और पहेलियों से जुड़ी किताबें लिखीं। साल 1977 में शकुंतला ने ‘दी वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्शुअल’ लिखी जो समलैंगिकता पर लिखी हुई पहली किताब थी।
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शकुंतला को मिले पुरस्कार-
साल 1969 में शकुंतला को वुमन ऑफ द इयर के सम्मान से नवाजा गया। शकुंतला को रामानुजन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, साथ उनके नाम गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है।
साल 2013 में शकुंतला देवी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। साल 2020 में विद्या बालन स्टार फिल्म ‘शकुंतला देवी’ उन्हीं के जीवन पर आधारित है। आप चाहें तो यह फिल्म अमेजन प्राइम पर देख सकते हैं।
तो ये थी शकुंतला देवी की कहानी, जो यह बताती है कि महिलाएं महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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