आज पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड के सबसे चर्चित और कामयाब एक्टर्स में शुमार किए जाते हैं। उनके किरदारों में गजब की इंटेंसिटी देखने को मिलती है। 'गैंग ऑफ वासेपुर', 'मसान', 'बरेली की बर्फी', 'लुकाछिपी', 'नील बटे सन्नाटा', 'न्यूटन' जैसी फिल्मों में उनकी एक्टिंग काबिले तारीफ रही है। आज पंकज त्रिपाठी को अपनी फिल्मों और विज्ञापन के लिए मुंहमांगी कीमत मिलती है, लेकिन संघर्ष के दिनों में बस में सफर के लिए 5 रुपये टिकट का किराया देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं होते थे और वह पैदल सफर किया करते थे। पंकज अपनी पत्नी मृदुला त्रिपाठी के साथ फिलहाल मुंबई के Madh Island में आलीशान बंगले में रहते हैं, लेकिन एक दौर वो भी था, जब उनके सिर पर छत नहीं थी। पंकज त्रिपाठी बताते हैं, 'पटना में वह एक कमरे वाला घर मुझे आज भी याद है। एक दिन बहुत आंधी-तूफान आया और टिन शेड उड़ गया और मैं उस खुले आकाश के नीचे खड़ा था।' 11वीं तक अपने पिता के साथ खेती में हाथ बंटाने वाले पंकज त्रिपाठी मनोज बाजपेयी के बड़े फैन रहे हैं। जब वह पटना के होटल 'मौर्या' में काम करते थे, तब मनोज बाजपेयी ने एक दिन के लिए उस होटल में स्टे किया था। मनोज यहां अपनी चप्पलें भूल गए थे, जैसे ही पंकज को पता चला, उन्होंने मनोज की चप्पलें चुरा लीं। दरअसल वह मनोज बाजपेयी के अभिनय के वह कायल थे और उनके दिल में भी एक बड़ा कलाकार बनने का सपना था। लेकिन पंकज त्रिपाठी एक मिडिल क्लास फैमिली से आते थे। ना उनके पास अपना खर्च चलाने के लिए पैसे थे, ना ही किसी तरह की फाइनेंशियल बैकिंग। लेकिन जिंदगी के हर सफर में एक इंसान ने उनका सबसे ज्यादा साथ निभाया और वह थीं उनकी पत्नी मृदुला त्रिपाठी। पंकज त्रिपाठी ने मीडिया को दिए इंटरव्यूज में हर बार अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी पत्नी को दिया है। उन्होंने कहा है, 'अगर आप मेरे संघर्ष के बारे में पूछेंगे तो मेरा ऐसा कोई ऐसा इतिहास नहीं है कि मैं फुटपाथ पर सोया या कई दिनों तक भूखा रहा। यह इसलिए संभव हो सका, क्योंकि मेरी पत्नी मृदुला ने घर की सारी जिम्मेदारियां उठा ली थीं। मैं तो सबसे यही कहता हूं कि वह घर की पुरुष हैं।' मृदुला ने जिस तरह से पंकज त्रिपाठी को अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया, वह आज के समय की महिलाओं के लिए बड़ी इंस्पिरेशन है। हमने मृदुला त्रिपाठी से एक्सक्लूसिव बातचीत की और उनके लाइफ एक्सपीरियंस के बारे में जाना।
शादी के फंक्शन में हुई थी पहली मुलाकात
मृदुला और पंकज त्रिपाठी की पहली मुलाकात 24 मई, 1993 को हुई थी। इस बारे में मृदुला बताती हैं, 'पंकज की बहन की शादी मेरे भाई से हुई है। जब भाई का तिलक था, तब मैंने उन्हें पहली बार देखा था। पूरे फंक्शन में उनकी नजरें मुझ पर ही थीं। बाद में मुझे पता चला कि वह दुल्हन के छोटे भाई हैं।' तब मृदुला नवीं क्लास में थी और पंकज उनसे 2 साल सीनियर हुआ करते थे। पहली ही नजर में दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे, लेकिन इनकी लव स्टोरी काफी डिफरेंट रही। पहले के समय में एक-दूसरे से बात करना बहुत मुश्किल हुआ करता था, क्योंकि उस दौर में स्मार्टफोंस नहीं थे और ना ही इंटरनेट के जरिए मैसेज भेजे जा सकते थे। तब मृदुला के लिए पंकज से बात करना बहुत मुश्किल होता था और वे एक दूसरे को चिट्ठी भी नहीं लिख सकते थे। तब पंकज अपनी बहन के यहां साल में दो बार घूमने आया करते थे और इसी दौरान मृदुला और पंकज, साथ में क्वालिटी टाइम बिताते थे। इस बारे में मृदुला बताती हैं, 'मैं कोलकाता रहती थी और पंकज पटना। वो साल में दो बार दीदी से मिलने के बहाने आया करते थे, लेकिन मिलना मुझसे होता था। हम लोग अकसर लिटरेचर पर ढेर सारी बातें किया करते थे और कई बार बात करते-करते सुबह हो जाती थी। हम उपन्यास, किरदार और लेखकों आदि के बारे में खूब चर्चा किया करते थे। ये सिलसिला चलता रहा। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और पंकज ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया'
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मृदुला ने इस तरह कुबूल किया प्यार
मृदुला और पंकज की पहली मुलाकात को अब 8 साल बीत चुके थे। उधर मृदुला के पेरेंट्स उनके लिए योग्य वर की तलाश कर रहे थे। इस बारे में मृदुला बताती हैं, 'पंकज और मैं अलग-अलग परिवेश से आते हैं। अपने प्यार के बारे में सीधे-सीधे बोल देना उस समय में बहुत अलग बात थी, लेकिन तब भी मैं स्पष्ट थी। मेरे मन में यह बात साफ थी कि मुझे शादी इसी से करनी है। बीच में मेरी शादी तय हो गई थी। पंकज मेरे भैया और भाभी के साथ होने वाले दूल्हे के घर गए और लौटने पर उन्होंने मुझे बताया कि यह जोड़ी मेरे लिए अच्छी रहेगी और मुझे 'भौतिक सुख' मिलेगा। मैं इस बात का अर्थ नहीं समझी तब उन्होंने मुझे समझाया मटीरियलिस्टिक वर्ल्ड में तुम अच्छा जीवन जियोगी, लेकिन मेरे जैसा इंसान नहीं मिलेगा। इसी तरह हमारे बीच में नोंकझोंक चलती रही और फिर हमने बड़े जतन करके वो शादी तुड़वाई। एनएसडी के थर्ड इयर में हमने सोचा कि शादी कर लेते हैं।'
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भा गई पंकज त्रिपाठी की ईमानदारी
मृदुला त्रिपाठी के लिए इंसान का ईमानदार होना बहुत महत्वपूर्ण है और पंकज की ईमानदारी ही दरअसल उन्हें भा गई। मृदुला बताती हैं, 'पंकज देखने में अच्छे हैं, लंबे भी हैं, मैं चाहती थी कि मेरा पति लंबा हो, लेकिन मेरे लिए सबसे अहम थी ईमानदारी। पंकज की ईमानदारी मुझे हमेशा पसंद आई और आज भी मुझे बहुत अपील करती है। ईमानदारी की उन्हें बहुत कद्र है। वह पहले भी बहुत हंसाते थे, आज भी बहुत हंसी-मजाक किया करते हैं।'
हंसते-हंसते बिता दिए संघर्ष के दिन
जब पंकज मुंबई में स्ट्रगल कर रहे थे, तब मृदुला त्रिपाठी ने घर की पूरी जिम्मेदारियां अकेले संभाल लीं और अपने पति को अपने सपने पाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र कर दिया। इस दौरान दोनों ने फाइनेंशियल स्ट्रगल भी झेला, लेकिन ये दौर दोनों ने खुशनुमा तरीके से बिता दिया। इस बारे में मृदुला बताती हैं,
स्टार बनने के बाद सादगी से रहते हैं पंकज त्रिपाठी
'मैं जिन भी रिश्तेदारों से मिलती हूं, सभी की जबान पर एक ही बात होती है कि हमें तो पता था कि पंकज बहुत बड़े स्टार बनेंगे। लेकिन मैंने ना कभी उम्मीद की थी, ना ही मेरी कोई इच्छा की थी। मैंने कामयाब होते हुए इंसान से शादी नहीं की थी। मैंने सिर्फ उस इंसान को चाहा, जो मुझे दिलो-जान से चाहता था। मेरी उतनी ही पूंजी है। मुझे अभी भी महसूस नहीं होता है कि पंकज एक बहुत बड़े सेलेब्रिटी स्टार हैं। उनके एक ट्वीट पर ढेर सारे लाइक्स आते हैं, रेसपॉन्स आते हैं। मेरे पास इतने फ्रेंड रिक्वेस्ट आते हैं। वह अपने करियर में सक्सेसफुल हैं। लेकिन मेरे लिए वह आज भी वैसे ही हैं, जैसे पहले थे। वो अभी भी तामझाम के बाहर नहीं निकलते हैं। आज भी वह सब्जी खरीदने जा सकते हैं। वह बहुत सरल हैं। लेकिन जब लोग उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट देने लगते हैं, तो उन्हें इरिटेशन होती है। पैर छूना, हाथ मिलाना, सेल्फी लेना ये सबकुछ उन्हें अखरता है। वो अक्सर अपने प्रशंसकों से कहते हैं कि मैं भी तो तुम्हारी इंसान हूं।'
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इन बातों पर होती है लड़ाई
हसबैंड-वाइफ में तकरार आम बात है और पंकज-मृदुला के बीच भी कई बातों पर अनबन होती है। मृदुला बताती हैं, 'मैं पंकज से नाराज होती हूं कि तुम बर्थडे पर मेरे लिए एक फूल तो ला ही सकते हो और वो कहते हैं कि सोनू (मृदुला को पंकज प्यार से सोनू बुलाते हैं ) मैं फूल कहां से लाऊं। फ्रिज में पहले का रखा हुआ चावल दिख जाए तो वह गुस्सा हो जाते हैं, कहते हैं कि अनाज बर्बाद हो रहा है। उन्हें किचन जितना पसंद है, मुझे उतना ही नापसंद है। हमारे बीच में इस बात पर झगड़ा होता है कि पूचू (बेटी आशी ) ने कितना ग्लास पानी पिया है, हेल्दी खाना खाया है या नहीं, बादाम खाया है या नहीं, फाइबर ले रही है या नहीं।'
पंकज त्रिपाठी का घर और ऑफिस दोनों संभालती हैं मृदुला
पंकज त्रिपाठी जब शूटिंग में बिजी होते हैं, जब उनकी पत्नी मृदुला उनके लिए आने वाली फिल्मों की स्क्रिप्ट पढ़ रही होती हैं। पंकज की फिल्मों के प्रमोशन से लेकर उनका पूरा शिड्यूल बनाने तक, हर छोटा-बड़ा काम मृदुला खुद हैंडल करती हैं। इस बारे में वह बताती हैं, 'मेरे लिए घर और ऑफिस मैनेज करना मुश्किल होता है। मैं उनकी प्रोफेशनल मैनेजर हूं। मुंबई ज्यादातर मेड्स के भरोसे चलती है और वो कभी भी गायब हो जाती हैं। हमारी बेटी आशी 13 साल की है और हमारे पास दो पेट हैं, कुछ वर्कर्स भी हैं। उस पर पंकज का काम है, उनके एड, शूट, प्रमोशन की व्यस्तता रहती है। मैं पंकज की फिल्मों की स्क्रिप्ट पढ़ती हूं। कई बार बहुत ज्यादा थक जाती हूं, गुस्सा भी हो जाती हूं। उनकी आदत है कि वह सेट पर पहुंचकर फोन करते ही हैं। मैं इस दौरान गुस्सा हो जाती हूं कि मुझसे नहीं हो पा रहा। लेकिन मैंने महसूस किया है कि जब हम अपने काम को बोझ की तरह लेते हैं तो वह बोझिल हो जाता है। इसीलिए मैं आज में जीती हूं। आज के दिन में आज के काम के बारे में सोचती हूं, भविष्य के बारे में नहीं सोचती। पंकज मुझसे हमेशा पूछते हैं कि भविष्य के बारे में तुम क्या सोचती हो। लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं होता। पहले भी मुझसे वो पूछा करते थे कि मेरा कुछ फ्यूचर नहीं था, तुमने मुझे क्या सोचकर पसंद किया। मेरा जवाब यही होता था कि मेरा कोई थॉट प्रोसेस नहीं था। मैं जब जो सोचती हूं, कर लेती हूं।'
'हमारे बीच की मजबूत कड़ी है लिटरेचर'
बचपन में उपन्यास की चर्चाएं आज भी खत्म नहीं हुई हैं। पंकज और मृदुला को जब भी वक्त मिलता है, दोनों किताबों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। मृदुला बताती हैं, 'पहले के समय में 'आई लव यू' बोलने की परंपरा नहीं थी। हमारे पास बात करने का विषय ही किताबें होती थीं। हम एक-दूसरे से पूछते थे-तुमने ये वाली किताब पढ़ी क्या? वो मुझे सजेस्ट करते थे कि मुझे कौन सी किताब पढ़नी चाहिए। मुझे याद है कि मेरा पेपर था जर्नलिज्म था और उन्होंने मुझे रत्नेश्वर की ऑटोग्राफ वाली किताब लाकर दी थी। मैंने ये महसूस किया कि लिटरेचर हमारे बीच की मजबूत कड़ी है और हमें चीजों के बारे में जानना और डिस्कवर करना अच्छा लगता है। और हमें जितना लिटरेचर पढ़ना पसंद है, उससे ज्यादा शौकीन हमारी बिटिया हो गई हैं। वह इस समय रूमी और दांते की किताबें पढ़ रही हैं। मेरा मानना है कि अगर हम पढ़ते हैं, जो हम अपने जीवन की समस्याओं को सुलझा सकते हैं और हमें आज में जीना चाहिए। भविष्य के बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।'
'महिलाएं दें एक-दूसरे का साथ'
मृदुला महिलाओं की तारीफ करते नहीं थकतीं। वह कहती हैं, 'महिलाएं दुनिया की बेस्ट क्रिएशन हैं। वे हर तरह का त्याग करने के लिए तैयार रहती हैं। अगर महिलाएं आगे बढ़ना चाहती हैं तो उनके लिए बहुत जरूरी है कि वे एक-दूसरे का साथ दें। हम औरतें एक-दूसरे की बुराई ना करें और मुश्किल वक्त में एक-दूसरे के लिए खड़े रहें। अगर ऐसा हो जाए तो दुनिया बहुत सुंदर हो जाएगी।'
Image Courtesy: Mridula Tripathi
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