
एक कहावत है कि जब आप किसी चीज के बारे में पूरे दिल से चाहते हैं तो वो आपको हासिल हो ही जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी है लोक गायिका मैथिली ठाकुर की। बिहार के एक छोटे से शहर मधुबनी में जन्मीं मैथिली बहुत छोटी सी उम्र से ही लोगों के दिलों में बस गईं और संगीत ही नहीं बल्कि राजनीति में भी अपना परचम लहरा दिया। 4 साल की उम्र से गायकी की शुरुआत करने के बाद ऐसे आगे बढ़ीं कि रुकने का नाम ही नहीं लिया। आज वो संगीत के साथ-साथ राजनीति में भी शामिल हो गई हैं और बिहार इलेक्शन में भी बढ़चढ़कर आगे बढ़ रही हैं। बिहार चुनाव 2025 में अलीनगर सीट की बीजेपी उम्मीदवार के रूप में मैथिली ठाकुर काफी चर्चा में हैं। मैथिली ठाकुर ने लोक गीतों से लाखों दिलों में राज किया और अब वो पूरी दुनिया के लिए एक ग्लोबल सेंसेशन के रूप में सामने आई हैं। मैथिली उन लोगों में से हैं जो आगे बढ़ीं तो पीछे मुड़कर ही नहीं देखा। आइए आपको बताते हैं मैथिली की शिक्षा से लेकर उनके संगीत और राजनीति के करियर तक की पूरी कहानी।
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी ब्लॉक के उरेन गांव में हुआ। मैथिली ठाकुर का जन्म संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ और उनके पिता श्री रमेश ठाकुर भी एक प्रशिक्षित संगीतकार हैं और शुरूआती दौर में पिता ने ही मैथिली को संगीत शिक्षा दी। वो उनके पिता और गुरु भी थे।

मैथिली के दो भाई ऋषभ ठाकुर और अयाची ठाकुर भी मैथिली के साथ ही संगीत में उनका साथ देते हैं। मैथिली ठाकुर के बचपन में ही घर का माहौल संगीत से भरा हुआ था, जिससे उनकी गायकी दिन प्रतिदिन निखरती गई। परिवार के सपोर्ट से उनके संगीत को एक अलग पहचान मिली, लेकिन इतना आसान भी नहीं था मैथिली का सफर। उनका बचपन एक दूरदराज के गांव में बीता, जहां न बिजली थी और न ही स्कूल। गांव के ज्यादातर लोग खेती करते थे और मवेशी पालते थे। मैथिली के पिता ज्यादातर दिल्ली में रहते थे, जहां वे घर-घर जाकर संगीत सिखाते थे। उन्हें कभी पैसों के लिए तो कभी अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। यही नहीं संगीत के करियर की शुरुआत में ही उन्हें जगराते में भी गाना तक गाना पड़ा।
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मैथिली शुरुआत से बिहार के एक छोटे से गांव में पली बढ़ीं और उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। शुरूआती समय में मैथिली के पिता संगीत में उनका साथ देते थे, लेकिन बाद में उन्हें रोजगार के लिए दिल्ली आना पड़ा। सही तौर पर मैथिली की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में ही शुरू हुई और उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू की। मैथिली संगीत में तो अव्वल थीं ही और उन्हें पढ़ाई में भी आगे होने की वजह से बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में उन्हें स्कॉलरशिप मिल गई जिससे 12 वीं तक की पढ़ाई उसी स्कूल में हुई।

संगीत की शुरुआत तो चार साल की उम्र में ही हो गई थी, लेकिन संगीत का सफर इतना भी आसान नहीं था। मैथिली की संगीत यात्रा साल 2011 में शुरू हुई, जब वह लिटिल चैंप्स रियलिटी शो में उन्हें पहली बार देखा गया। मैथिली पहले भी कई स्थानीय कार्यक्रमों में दिखाई दी थीं, लेकिन इस रियलिटी शो ने उन्हें एक अलग पहचान दी। उसके कुछ सालों बाद मैथिली ने एक और रियलिटी शो, इंडियन आइडल जूनियर का हिस्सा बनीं, लेकिन उनमें आगे नहीं बढ़ पाईं और वह शो से बाहर हो गईं। मैथिली को एक अलग पहचान रियलिटी शो राइजिंग स्टार के माध्यम से मिली और वो एक ग्लोबल सेंसेशन बन गईं। आज भी उनके यूट्यूब पर कई फॉलोवर्स हैं और वो दिन प्रतिदिन आगे बढ़ती जा रही हैं। मैथिली ने मिथिला, भोजपुरी, हिंदी और अवधी जैसे कई भाषाओं में लोकगीतों को नए रूप में दुनिया के सामने रखा। आज भी उनकी आवाज में भारतीय संस्कृति की गहराई सुनाई देती है। रामायण की चौपाई, लोकगीत श्रृंखला और भक्ति गीतों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
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हाल ही में मैथिली संगीत के साथ-साथ राजनीति में शामिल हो गई हैं। उन्हें दरभंगा की अलीनगर सीट से बिहार विधानसभा चुनाव में शामिल होने का मौका मिला है। हमेशा से ही उनके राजनीतिक अभियान में पूरा परिवार साथ दिखा। संगीत में भी उनके बड़े भाई ऋषव ठाकुर तबला बजाते हैं, जबकि सबसे छोटे भाई आयाची ठाकुर लोकगीतों में उनका साथ देते हैं। साल 2024 में बिहार सरकार ने उन्हें राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का ब्रांड एंबेसडर बनाया। राजनीति में का कदम रखने का उद्देश्य राजनीति में जनता की सेवा करना है। बिहार की जनता उन्हें जल्द ही विजेता के रूप में देखना चाहते हैं।
मैथिली ठाकुर वास्तव में आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा की स्रोत हैं, जिन्होंने 25 साल की छोटी सी उम्र में न सिर्फ संगीत बलि राजनीति में भी अपनी एक अलग पहचान बना ली है।
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