हिम्मत और लगन के आगे कुछ भी नहीं। ये बात शायद कई लोगों के लिए सामान्य हो, लेकिन कई इसे वाकई सच भी कर दिखाते हैं। कितनी बार ऐसा सुना और देखा है कि किसी महिला ने कई कठिनाइयों को पार करने के बाद सफलता हासिल की। आज हमारा समाज बहुत आगे बढ़ चूका है और इस बढ़ते समाज में महिलाएं भी किसी से कम नहीं है। घर का काम करने के बाद भी आज ऐसी कई महिलाएं हैं जो देश और राष्ट्र सेवा के लिए दिन-रात काम कर रही हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की है तमिलनाडु की एम वीरलक्ष्मी ने जो देश में पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर बनी हैं। आज हम उन्हीं के बारे बताने जा रहे हैं आपको।
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हाल में ही तमिलनाडु सरकार ने इमरजेंसी सेवा के तौर पर राज्य भर में लगभग 118 एंबुलेंसों को शुरू करने की मंजूरी दी है। इसी सेवा में तमिलनाडु की मूल निवासी और महिला ड्राइवर एम वीरलक्ष्मी की ''डायल 108 एम्बुलेंस सेवा' के लिए नियुक्ति हुई है। राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने आपातकाल के लिए इस एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एम वीरलक्ष्मी देश की ऐसी पहली महिला है जिन्हें ये काम मिला है। वो 30 साल की हैं और वो 2 बच्चों की मां भी हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो पहले कैब ड्राइवर थी। वीरलक्ष्मी कहती हैं कि 'जब मुझे पता चला कि राज्य सरकार को महिला एम्बुलेंस ड्राइवर की ज़रूरत है तो मैंने नौकरी के लिए आवेदन किया और कुछ दिन बाद मालूम चला कि मैं ड्राइवर के लिए सेलेक्ट हो गई हूं'।
I visited the 108 Control Room accompanied by NHM MD @srkias2012 & TNHSP PD Ajay Yadav IAS. Appreciated the first Women Ambulance Driver Mrs.Veeralakshmi & wished her good luck on her new job! As per stats, the 24*7 team attended almost 5 lakh non-covid calls during the pandemic pic.twitter.com/WMszYKBcWX
— Dr C Vijayabaskar (@Vijayabaskarofl) September 2, 2020
एम वीरलक्ष्मी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा भी किया है। एक मीडिया हाउस से बात करते हुए वीरलक्ष्मी कहती है कि 'पैसे कमाने के लिए कोई दूसरा भी काम किया जा सकता था, लेकिन मैंने ये काम दूसरों की सेवा और राष्ट्र की मदद के लिए चुना है'।
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पति का मिला साथ
एम वीरलक्ष्मी कहती है कि 'मेरे पति और मेरे बच्चों ने हमेशा मेरा साथ दिया है। वो कभी नहीं कहते कि कोरोना काल में ऐसी नौकरी करना जान के लिए खतरा है, बल्कि वो हमेशा इस महामारी में भी मेरा सपोर्ट करते हैं। आगे वो कहती है कि मेरी मां भी मेरे लिए प्रेरणा रही है और वो हमेशा मेरा साथ देती आई है।' (9 साल की इस बच्ची ने तैयार किया ऐप)
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