आज वर्ल्ड नो टोबाको डे है। यह 31 मई को हर साल मनाया जाता है। इसकी शुरुआत तंबाकु से होने वाली बीमारियों और इसके खतरों से बचने को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए की गई थी। तंबाकु इंसान के शरीर के साथ-साथ उसके दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है। जिसके कारण इसके खिलाफ आज हर देश में जागरुकता फैलाई जा रही है। लोगों को तंबाकू के प्रति सचेत करने के लिए पूरी दुनिया में आज कई अभियान भी चलाये जा रहे हैं। पर यह हैरानी की बात है कि जहां आजकल पुरुषों में इसका चलन कम हो रहा है वहीं महिलाओं में इसका चलन बढ़ रहा है।
DocsApp के ऑपरेशन हेड डॉ. गौवरी कुलकर्णी ने हाल ही में आई डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, "महिलाओं में स्मोकिंग का चलन काफी बढ़ रहा है, खासकर कॉस्मोपोलिटन शहरों की महिलाएं ज्यादा सिगरेट पीती हैँ। इस साल ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के अनुसार इंडियन पुरुषों के बीच में तो स्मोकिंग कम हो रही है लेकिन महिलाओं में यह बढ़ रही है। यह रिपोर्ट 187 देशों की 1980 और 2012 की तुलना कर की गई है। इंडिया में 1980 में 33.8% पुरुष स्मोकिंग करते ते जो 2012 में घटकर 23% हो गई थी। जबकि 1980 में केवल 3% महिलाएं ही स्मोकिंग करती थीं जो कि 2012 में बढ़कर 3.2% हो गई। हालांकि, यह वह प्रवृत्ति है जो कि ध्यान आकर्षित करती है और 12.5 मिलियन महिलाओं का धूम्रपान करना छोटी संख्या नहीं है।"
फेफड़ों का कैंसर
इस बात की पुष्टि अमेरिका में हुए एक शोध में भी हुई है। इस शोध के अनुसार आजकल अमेरिकी औरतों को फेफड़ों के केंसर से ज्यादा जूझते हुए देखा गया है। जबकि कुछ समय पहले तक यह बीमारी केवल पुरूषों में ही अधिक देखी जाती थी। बता दें, यह रिसर्च अमेरिकन कैंसर सोसायटी और राष्ट्रीय कैंसर संस्थान द्वारा की गई थी। जिसे न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया।
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कैसे करता है ये कैंसर
तंबाकू में कैंसर पैदा करने वाले तत्व निकोटीन, नाइट्रोसामाइंस, बंजोपाइरींस, आर्सेनिक और क्रोमियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जिनमें निकोटिन, कैडियम और कार्बनमोनो ऑक्साइड स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। तंबाकू खाने और फूंकने के द्वारा यह हमारे शरीर के अंदर जाते हैं और हमारे शरीर व दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, तंबाकू के इस्तेमाल से हर साल लगभग 6 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। वहीं नॉन-स्मोकर्स भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। 6 लाख नॉन-स्मोकर्स सिगरेट से निकलने वाले धुंए के कारण बीमार पड़ रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि स्मोकिंग केवल सिगरेट पीने वाले लोगों को ही नहीं बल्कि इनके आसापस के लोगों को भी नुकसान पहुंचाती है।
इसलिए हर किसी को वर्ल्ड नो टोबाको डे पर स्मोकिंग और तंबाकु को ना कह देना चाहिए।
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