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OSTEOPOROSIS IN MENOPAUSE

मेनोपॉज के दौरान क्यों बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा?

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। हल्की सी चोट पर भी फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है। आखिर ऐसा क्यों होता है आइए एक्सपर्ट से जानते हैं। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-10-19, 17:13 IST

Osteopoprosis: मेनोपॉज एक नेचुरल प्रोसेस है जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है। इस दौरान कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा हड्डियों से जुड़ी परेशानी होती है। अक्सर सुना जाता है कि मेनोपॉज के दौरान शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती है। जोड़ों में दर्द रहने लगता है। मेनोपॉज के दौरान अधिकतर महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार हो जाती हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जो बोन डेंसिटी कम होने और हड्डियों के टिश्यू के बिगड़ने के कारण होती है। इस वजह से हर वक्त जोड़ों में दर्द, जकड़न और फ्रैक्चर होने का खतरा बना रहता है। सवाल है कि मेनोपॉज के दौरान ऐसा क्यों होता है?  आइए इस बारे में जानते हैं Dr. Aashish Chaudhry, Managing Director, Senior Consultant & Head, Department of Orthopaedics & Joint Replacement, Aakash Healthcare

मेनोपॉज के दौरान क्यों बढ़ जाता है ऑस्टियोपोरोसिस  का खतरा? (Risk of osteopoprosis increase during menopause)

What hormone increases the risk for osteoporosis

एक्सपर्ट कहते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस के लिए एक हार्मोन जिम्मेदार होता है। महिलाएं जैसे मेनोपॉज के चरण में प्रवेश करती हैं उनके शरीर में एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का स्तर ड्रॉप हो जाता है। ये हार्मोन पहले बोन डैमेज करने वाले सेल्स को कंट्रोल में रखता है, लेकिन जैसे ही ये हार्मोन ड्रॉप होता है बोन लॉस होने लगता है। ये हार्मोन महिला के शरीर में हड्डियों की मजबूती के कवच के रूप में काम करता है। इस वजह से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

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कैसे करें एस्ट्रोजन के लेवल को मेंटेन ?

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एक्सपर्ट कहते हैं कि पहले एस्ट्रोजन के लेवल को मेंटेन करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी आती थी, जो कि बोन को प्रोटेक्ट तो करती थी, लेकिन इससे शरीर में साइड इफेक्ट्स ज्यादा होने लगे, जिस वजह से अब इस थेरेपी पर रोक लगा दी गई है। हालांकि कैल्शियम, विटामिन सहित कुछ ऐसी दवाइयां हैं जो बोन डैमेज करने वाले सेल्स को न्यूट्रल करते हैं और बोन बनाने वाले सेल्स को बढ़ाती हैं।

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दवाइयों और इंजेक्शन का सहारा लेकर एस्ट्रोजन के लेवल को रिवर्स किया जा सकता है। इसके अलावा सही लाइफस्टाइल और सही खानपान फॉलो करना जरूरी है। जैसे, डेयरी प्रोडक्ट और संतुलित आहार का सेवन, ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन, वेट बियरिंग एक्सरसाइज करके एस्ट्रोजन के लेवल को मेंटेन किया जा सकता है।

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Image Credit: Freepik

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