पीरियड्स के दौरान बहुत सारी समस्याएं होती हैं और कई बार ये समझ नहीं आता है कि क्या किया जाए। अधिकतर महिलाएं पीरियड पेन को लेकर परेशान रहती हैं। पीरियड्स के शुरू होने से पहले से ही ये परेशानी होती रहती है और शुरुआत के दो-तीन दिन तो बहुत ही ज्यादा परेशानी भरे होते हैं। क्रैम्प्स को लेकर कई कारण होते हैं और ये हर इंसान के लिए अलग एक्सपीरियंस लेकर आते हैं। एक तरह से देखा जाए तो ये बहुत ही दर्द भरे अनुभव होते हैं।
पीरियड्स के समय थोड़ा बहुत दर्द तो ठीक होता है क्योंकि इस दौरान एक कंपाउंड prostaglandins ज्यादा हो जाता है। ये कंपाउंड यूटेराइन लाइनिंग को गिरने के लिए प्रेरित करता है जिसकी वजह से ब्लीडिंग होती है। ये प्रोसेस नॉर्मल होता है, लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है तो ये परेशानी का विषय है।
M.B.BS, MD (Obgyn) डॉक्टर अमीना खालिद ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पीरियड पेन से जुड़ी समस्या के बारे में विस्तार से बताया है। उनका मानना है कि थोड़े बहुत मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स तो सभी को होते हैं, लेकिन अगर ये ज्यादा होता है तो परेशानी बढ़ भी सकती है।
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Prostaglandins कंपाउंड यूटेराइन लाइनिंग को तोड़ने में मदद करता है और यही लाइनिंग मेंस्ट्रुअल ब्लड के तौर पर बाहर आती है। इस प्रोसेस के दौरान यूट्रस के अंदर मौजूद ब्लड वेसल्स बहुत ज्यादा कम्प्रेस हो जाती हैं। ऐसे में कुछ समय के लिए यूट्रस को ब्लड और ऑक्सीजन सप्लाई कम हो जाती है।
बिना ऑक्सीजन के यूट्रस के अंदर मौजूद टिशू स्ट्रेस में चले जाते हैं और ये कुछ केमिकल रिलीज करते हैं जिसके कारण दर्द होता है।
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इसके पीछे भी यही हार्मोन जिम्मेदार होता है। Prostaglandins का लेवल पहले कुछ दिनों में बहुत ज्यादा होता है और यही कारण है कि आपको इस दौरान दर्द ज्यादा महसूस होता है। पर जैसे-जैसे यूट्रेस की लाइनिंग गिरती जाती है वैसे-वैसे टिशू कम्प्रेशन और दर्द कम हो जाता है। यही कारण है कि आपको परेशानी नहीं होती है।
कई मामलों में ऐसा होता है कि पीरियड का दर्द बना ही रहता है और इस कारण परेशानी काफी बढ़ जाती है। ये इतना ज्यादा हो सकता है कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर भी असर पड़ने लगे। ये नॉर्मल पेनकिलर से भी कम नहीं होता है और ऐसे समय में आपको डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होती है।
अगर दर्द की बात करें तो ये कुछ खास चीज़ों से कम किया जा सकता है-
अधिकतर महिलाएं इस दौरान दवाएं खाने के बारे में सोचती हैं। पर नॉर्मल केमिस्ट की तरफ से दवाएं खाने की जगह आपके लिए बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से बात करने के बाद ही दवाएं लें।
कई बार पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द के कारण महिलाएं बिल्कुल ही चलना-फिरना बंद कर देती हैं, लेकिन रेगुलर अगर थोड़ा वर्कआउट किया जाए तो ये आपके पीरियड पेन को कम कर सकता है। ये एक तरह का केमिकल रिलीज करता है जिससे दर्द में कमी आती है।
अपने पेल्विक एरिया में हीटिंग पैड या हॉट वाटर बॉटल का इस्तेमाल करने से भी क्रैम्प्स में राहत मिल सकती है।
जिस तरह से हीटिंग पैड्स आपकी मदद करते हैं वैसे ही गुनगुने पानी से नहाना भी आपकी मदद कर सकता है। ये शरीर की थकान दूर करने का एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है।
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अगर आपको पीरियड का पेन इसके बाद भी हो रहा है और ये लगातार बना हुआ है तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ दिन होने वाले दर्द को primary dysmenorrhea कहते हैं जो ऊपर दिए हुए तरीकों से कम हो सकता है। पर जरूरत से ज्यादा दर्द को secondary dysmenorrhea कहते हैं जो नॉर्मल नहीं होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे-
ऐसे समय में हमेशा किसी डॉक्टर से बात कर अपनी केस हिस्ट्री बतानी चाहिए। आप बिना किसी सलाह के अपने मन से कोई भी दवा न खाएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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