गर्भनिरोधक गोलियों से जुड़े कई गलत धारणाएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। इनमें से एक सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों लेने से भविष्य में प्रेग्नेंसी में मुश्किलें आती हैं? इस बात में कितनी सच्चाई है और कितना झूठ, इसकी पुष्टि आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर चंचल शर्मा करेंगी।
डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, "आजकल बहुत सी महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि उन्हें इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में मालूम हो। इसलिए, आपके लिए जरूरी है कि पहले आप इससे जुड़ी सभी जानकारियों को अच्छी तरह से इकट्ठा कर लें और समझ लें।"
गर्भनिरोधक गोलियां कैसे काम करती हैं?
जिस प्रकार पुरुष कंडोम का प्रयोग करके प्रेग्नेंसी को अवॉयड करते हैं, उसी प्रकार असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग करती हैं। ये गोलियां हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) बेस होती हैं, जो शरीर में ओव्यूलेशन प्रोसेस को कुछ समय के लिए बाधित करती हैं। इसका मतलब है कि ये गोलियां ओवरी से एग्स को निकलने से रोकती हैं, जिससे स्पर्म के साथ फर्टिलाइजेशन नहीं हो पाता है और गर्भावस्था रुक जाती है।
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क्या लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां लेने से प्रेग्नेंसी में मुश्किल आती है?
लोगों के मन में यह आम धारणा होती है कि गर्भनिरोधक गोलियां लेने से बाद में स्थायी रूप से प्रेग्नेंसी में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जबकि सच तो यह है कि यह एक अस्थायी समस्या है। डॉक्टर चंचल शर्मा बताती हैं कि "जब कोई महिला गर्भनिरोधक गोलियां खाना छोड़ देती हैं, तब उसके हार्मोन वापस से संतुलित हो जाते हैं और वह प्रेग्नेंट भी हो सकती है।"
डॉ. चंचल शर्मा आगे बताती हैं कि "अगर आप लंबे समय से गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग कर रही हैं, तो इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है, लेकिन वह कुछ दिनों या हफ्तों तक ही रहती है।" दवाई छोड़ते ही आपके ओव्यूलेशन चक्र फिर से अपनी सामान्य स्थिति में आने लगते हैं। यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसे आप किसी स्विच को ऑन या ऑफ करते हैं। जब तक आप गोली ले रही हैं, ओव्यूलेशन ऑफ है और जब आप लेना बंद कर देती हैं, तो यह फिर से ऑन हो जाता है।
कुछ महिलाओं में, उम्र बढ़ने के कारण भी प्रेग्नेंसी में मुश्किलें आने लगती हैं, जिसे अक्सर गर्भनिरोधक गोलियों से जोड़ दिया जाता है। उदाहरण के लिए, 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी नेचुरली कम होने लगती है, भले ही उन्होंने कभी गर्भनिरोधक गोलियां खाई हो या नहीं।
यह धारणा बिल्कुल गलत है
डॉ. चंचल शर्मा स्पष्ट करती हैं कि "गर्भनिरोधक गोलियों के कारण प्रेग्नेंसी में मुश्किल आती है, यह धारणा बिल्कुल गलत है, क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक कारण या प्रमाण नहीं है।" इन गोलियों की रचना ही इस तरह से की जाती है कि वह अस्थायी रूप से गर्भधारण को प्रभावित कर सके। इसका उद्देश्य फर्टिलिटी को स्थायी रूप से नष्ट करना नहीं होता।
एक बार गोली लेना बंद कर देने के बाद, महिलाओं के पीरियड्स फिर से नॉर्मल हो जाते हैं और अधिकतर महिलाएं सफलतापूर्वक प्रेग्नेंट भी हो जाती हैं। कुछ महिलाओं को अपने पीरियड्स को नॉर्मल होने में कुछ महीने लग सकते हैं, लेकिन यह नॉर्मल बात है और स्थायी समस्या नहीं है।
गर्भनिरोधक गोलियां से जुड़ी खास बातें
- गर्भनिरोधक गोलियां केवल अस्थायी रूप से ओव्यूलेशन को रोकती हैं।
- गोली छोड़ने के बाद शरीर के हार्मोन आमतौर पर नॉर्मल हो जाते हैं।
- अधिकांश महिलाओं को गोली बंद करने के कुछ महीनों के अंदर अपनी फर्टिलिटी वापस मिल जाती है।
- बढ़ती उम्र का फर्टिलिटी पर नेचुरली प्रभाव पड़ता है, जिसे अक्सर गलत तरीके से गोलियों से जोड़ा जाता है।
यदि आपको गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल के बाद गर्भवती होने में परेशानी हो रही है, तो किसी गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेना जरूरी है। वे समस्या का सही कारण पता लगाकर उचित उपचार दे सकती हैं।
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Image Credit: Freepik
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