गर्मी की छुट्टियां बच्चों के लिए मस्ती, खेल और बेफिक्री का दूसरा नाम मानी जाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि कुछ बच्चे छुट्टियों के दौरान चुप, चिड़चिड़े और बेचैन से रहने लगते हैं?अगर आपके बच्चे की भी मुस्कान छुट्टियों के साथ कहीं खो गई है, तो ज़रूरी है कि आप इसकी जड़ तक जाएं हो सकता है वो समर वेकेशन एंग्जायटी से जूझ रहा हो। Dr Shorouq Motwani Consultant Child & Adolescent Psychiatry,Narayana Health SRCC Children’s Hospital, Mumbai से जानते हैं विस्तार से इस बारे में
छुट्टियों में एंग्जायटी? कैसे और क्यों?
हम भले ही आप सोचते हों कि स्कूल से छुट्टी मिलते ही बच्चे खुश हो जाएंगे, लेकिन हकीकत ये है कि कई बच्चों को बिना रूटीन और सोशल एक्टिविटी के ये समय तनाव और असुरक्षा से भर देता है।
बच्चे एक तय दिनचर्या में जीते हैं, स्कूल, होमवर्क, खेल, खाना, सोना। जब छुट्टियों में ये सब हट जाता है, तो एक खालीपन और बेचैनी घर कर जाती है।
स्कूल के दोस्त, टीचर्स और ग्रुप एक्टिविटीज़ से दूरी बच्चे को अकेलापन महसूस करवा सकती है।
कुछ बच्चे अगले क्लास या स्कूल परफॉर्मेंस को लेकर भी छुट्टियों में सोचते रहते हैं, जिससे अनजाना तनाव बढ़ता है।
ज्यादा मोबाइल, टीवी और गेम्स न सिर्फ फिजिकल हेल्थ पर असर डालते हैं बल्कि दिमाग को भी थका देते हैं, जिससे मूड खराब और नींद प्रभावित होती है।
अगर पेरेंट्स ऑफिस या घर के कामों में व्यस्त रहते हैं, तो बच्चों को गाइड करने वाला कोई नहीं होता—इससे वे और ज्यादा खोए-खोए या अनसेफ फील करते हैं।
बच्चे खुलकर नहीं कह पाते कि वे घबराए हुए हैं, लेकिन ये लक्षण ध्यान देने लायक हैं:
- दोस्तों या परिवार से दूरी बनाना
- हर बात पर गुस्सा करना या चिड़चिड़ापन
- सिरदर्द, पेटदर्द लेकिन बिना मेडिकल कारण के
- नींद में दिक्कत या डरावने सपने
- खेलने, पेंटिंग, गाने जैसी चीजों में रुचि खत्म होना
- बार-बार सवाल करना या चिंता करना
समर वेकेशन एंग्जायटी को कैसे करें हैंडल?
हल्का-फुल्का डेली रूटीन बनाएं
पूरी तरह टाइट शेड्यूल न हो, लेकिन एक फिक्स टाइमटेबल—जैसे सोने-जगने, खाने, खेलने और स्क्रीन टाइम—बच्चों को स्थिरता का अहसास कराता है।
क्रिएटिविटी को बढ़ावा दें
पेंटिंग, क्ले मॉडलिंग, म्यूजिक, डांस या स्टोरीटेलिंग जैसे एक्टिविटीज़ बच्चों को अपनी भावना व्यक्त करने में मदद करती हैं।
सोशल टाइम दें
कजिन्स से मिलने जाना, पड़ोसियों से खेलना या ऑनलाइन प्लेडेट भी बच्चों की खुशी बढ़ा सकती है।
यह भी पढ़ें-सेक्शुअल रिलेशन के अलावा इन 5 कारणों से बन सकती है वजाइना में गैस, क्या आप इस बारे में जानती हैं?
फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है
बच्चों को सुबह की वॉक, घर पर डांस या योग, बगीचे में दौड़ने जैसी चीजों में शामिल करें। मूड बेहतर होगा।
स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करें
डेली लिमिट तय करें और स्क्रीन का विकल्प दें—जैसे बोर्ड गेम्स, ऑडियोबुक, कहानी समय या पजल्स।
छोटे-छोटे ज़िम्मेदार काम दें
पौधों को पानी देना, खिलौने सजाना, या मम्मी को खाना बनाने में मदद—इनसे बच्चा खुद को “काम का” महसूस करता है।
रोज़ बात करें
हर दिन 10–15 मिनट बच्चों से बात करने का वक्त निकालें। पूछें, "कैसा लग रहा है आज?" या "कुछ शेयर करना चाहोगे?"
उनकी बातों को जज किए बिना सुनना बहुत बड़ी मदद करता है।
यह भी पढ़ें-क्या आपकी पॉटी से बहुत खराब बदबू आती है! कहीं ये वजह तो नहीं?
अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit:Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों