इनफर्टिलिटी का इलाज करने का एक आसान विकल्प आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन है। इस प्रोसेस में पार्टनर या डोनर से इकट्ठा किए गए हेल्दी स्पर्म को यूट्रस में आर्टिफिशियल रूप से डाला जाता है। इस प्रक्रिया से प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन में हेल्दी स्पर्म को फिल्टर और इकट्ठा करके यूट्रस में डाला जाता है। इससे प्रेग्नेंसी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन के प्रोसेस में हेल्दी स्पर्म को फिल्टर कर उसे इकट्ठा किया जाता है, उसे स्टोर कर फिर एग में इंजेक्ट किया जाता है ताकि फर्टिलाइजेशन हो सके। ये एक तरीका है जो प्रेग्नेंसी की गुंजाइश कई गुना बढ़ा देता है।
इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन की प्रक्रिया क्या है?
सीमेन युक्त स्पर्म को पार्टनर या फ्रोजन डोनर से इकट्ठा किया जाता है। सीमेन को स्पर्म से अलग करने के लिए इसे साफ करने के बाद फिल्टर किया जाता है ताकि हेल्दी स्पर्म अलग हो सके। स्पर्म में मौजूद अमीनो एसिड्स जो महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम में एलर्जी का कारण बन सकते हैं उन्हें भी इस प्रोसेस में हटा दिया जाता है।
इसे जरूर पढ़ें- क्या ICSI, IVF से बेहतर है? एक्सपर्ट से विस्तार में जानें
अत्यधिक कॉन्सन्ट्रेटिड हेल्दी स्पर्म को इसके बाद यूट्रस में डाला जाता है। सीमेन को ले जाने वाले उपकरण को वेजाइना और सर्विक्स के जरिए यूट्रस तक पहुंचाया जाता है। स्पर्म को तब यूट्रस में जमा किया जाता है। महिला के ओव्यूलेशन टाइम के अनुसार इस प्रोसेस को प्लान किया जाता है। ओव्यूलेटरी प्रोसेस के अनुसार या तो ओव्यूलेशन को शुरू किया जाता है या नेचुरल ओव्यूलेशन के समय इनसेमिनेशन किया जाता है। हेल्दी स्पर्म फर्टिलाइज होने के लिए एग की ओर तैरते हैं ताकि उनसे जुड़ सकें। फर्टिलाइज्ड एग इसके बाद नेचुरल प्रक्रिया के हिसाब से ही यूट्रस में इम्पांट हो जाता है।
इसके बाद ये टेस्ट करना होता है कि इनसेमिनेशन की प्रक्रिया ठीक से हुई या नहीं। इसके लिए दो हफ्ते बाद टेस्ट किए जाते हैं। अगर यूरिन में HCG मौजूद होता है तो ये मान लिया जाता है कि महिला की प्रेग्नेंसी पॉजिटिव है। अगर नहीं तो इस प्रक्रिया को एक बार और रिपीट किया जाता है। अगर दोबारा भी ये प्रक्रिया फेल होती है तो प्रेग्नेंसी के लिए अन्य तरीकों का सहारा लिया जाता है। आमतौर पर पॉजिटिव रिजल्ट्स पाने के लिए 3-6 महीनों में दो से तीन बार कोशिश करनी होती है।
इसे जरूर पढ़ें- क्या है IVF प्रोसेस का जरूरी हिस्सा Embryo Cryopreservation, ट्रीटमेंट लेने से पहले जान लें ये बातें
इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन की जरूरत किसे होती है?
इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन से पॉजिटिव नतीजे मिल सकते हैं जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या खत्म हो जाए। ऐसे में ये उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो-
- अगर अज्ञात कारण से महिला इन्फर्टाइल है
- अगर महिला को ओव्यूलेशन में समस्या है
- अगर महिला एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित है
- अगर पार्टनर के स्पर्म की क्वालिटी खराब है
- अगर यूट्रस के अंदर स्पर्म के तैरने के लिए सर्वाइकल सीक्रेशन बहुत मोटा है
- अगर सर्विक्स खुद मोटा है जिससे स्पर्म को यूट्रस तक पहुंचने में दिक्कत होती है
- महिला को स्पर्म में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी हो सकती है
सार:
अपनी हेल्थ कंडीशन और इनफर्टिलिटी के इलाज के संभावित विकल्पों के बारे में डॉक्टर से बात करें ताकि आपकी समस्या का हल हो सके। इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन इनफर्टिलिटी के इलाज का एक प्रभावी तरीका है।
डॉक्टर शलाका मामीडवार [एमबीबीएस, एमडी (ओबी-गायनी)] को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए धन्यवाद।
Reference:
https://www.mayoclinic.org/tests-procedures/intrauterine-insemination/about/pac-20384722
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों