इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) दोनों रिप्रोडक्टिव तकनीकें हैं, जिसका इस्तेमाल एक महिला के गर्भ में आरोपण से पहले एग्स को फर्टिलाइज करने के लिए किया जाता है।
आईवीएफ और आईसीएसआई के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि स्पर्म एग्स को कैसे फर्टिलाइज करता है:
- आईवीएफ में, कई एग्स और स्पर्म को एक पेट्री डिश में खुद से फर्टिलाइज होने के लिए छोड़ दिया जाता हैं।
- ICSI में, स्पर्म का चयन करके, सीधे एग्स में इंजेक्ट किया जाता है।
आईसीएसआई, आईवीएफ से अलग है, क्योंकि प्रत्येक एग को अकेले स्पर्म के साथ व्यक्तिगत रूप से इंजेक्ट किया जाता है, इसमें उस स्टेज को छोड़ दिया जाता है, जहां स्पर्म स्वाभाविक रूप से एग्स में जाते हैं।
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आईवीएफ और आईसीएसआई कैसे समान है?
आईसीएसआई, आईवीएफ की तरह है, क्योंकि दोनों में ही पाटर्नर या डोनर के एग्स और स्पर्म इकट्ठे किए जाते हैं। एग्स को इकट्ठा करने के दिन, एक एम्ब्रियोलॉजिस्ट एग्स का निरीक्षण करता है, और अगले दिन निषेचित होने वालों का चयन करता है। उन्हें 5 दिनों तक निगरानी के लिए इनक्यूबेटर में रखा जाता है, और सबसे अच्छे एम्ब्रियो को गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है।
हालांकि आईवीएफ को एक तकनीक के रूप में पहले विकसित किया गया था और आईसीएसआई इस तकनीक का रूपांतर है। लेकिन एक रोगी के दृष्टिकोण से, स्कैन, सुपरोव्यूलेशन इंजेक्शन, ब्लड टेस्ट, एग को इकट्ठा और साथ ही वास्तविक भ्रूण स्थानांतरण के संदर्भ में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि वह लैब में होता है।
आईवीएफ या आईसीएसआई, आपके लिए क्या बेहतर है?
आईसीएसआई पुरुष इनफर्टिलिटी के लिए सबसे आम और सफल ट्रीटमेंट है, जिसमें स्वाभाविक रूप से स्पर्म को एग्स में निषेचित करने की संभावना नहीं होती है, इसलिए यह विधि स्पर्म को अतिरिक्त सहायता देती है। इसलिए, डॉक्टर आईसीएसआई की सिफारिश कर सकते हैं अगर पुरुष के पास:
- स्पर्म की संख्या शून्य या कम हो।
- स्पर्म का आकार असामान्य या गतिशीलता खराब हो।
- स्पर्म को शल्यचिकित्सा से इकट्ठा करने की जरूरत हो (जैसे, पुरुष नसबंदी के मामलों में)
- पिछला आईवीएफ प्रयास विफल रहा हो।
- स्पर्म जम गए हैं।
आईसीएसआई या पारंपरिक आईवीएफ की पसंद भी प्रत्येक व्यक्तिगत मामले की बारीकियों पर बहुत ज्यादा निर्भर है। अगर सीमित संख्या में एग्स हैं, तो ICSI को अक्सर पसंद किया जाता है क्योंकि यह बाधाओं का अनुकूलन करता है। इसमें हाई क्वालिटी वाले स्पर्म का चयन किया जाता है। (बांझपन को कैसे रोका जा सकता है)
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सफलता दर
- निषेचन होने के बाद, आईवीएसआई के साथ आईवीएफ का इस्तेमाल करने वाले कपल के लिए सफलता की दर नियमित आईवीएफ उपचार का उपयोग करने वाले कपल के समान होती है।
- प्रत्येक तकनीक की सफलता दर एम्ब्रियोलॉजिस्ट के कौशल पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है।
- एग्स और स्पर्म की क्वालिटी भी महत्वपूर्ण होती है।
- दोनों पार्टनर की हेल्थ और इनफर्टिलिटी के कारणों पर भी निर्भर करती है।
निष्कर्ष
आईवीएफ की तुलना में आईवीएसआई हाल ही में आई तकनीक है और इसे पुरुष कारक इनफर्टिलिटी को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है, जिन पुरुषों में स्पर्म की संख्या बहुत कम होती है, वहां आईवीएफ तकनीक ज्यादा कारगर नहीं होती है। हालांकि, आजकल आईसीएसआई का इस्तेमाल बड़े पैमाने से इनफर्टिलिटी क्लीनिक में किया जाता है और उन मामलों में भी पसंद किया जाता है, जहां पुरुष इनफर्टिलिटी एक कारक नहीं है।
डॉक्टर अर्चना श्रीवास्तव (आईवीएफ स्पेशलिस्ट) को एक्सपर्ट सलाह के लिए विशेष धन्यवाद।
Reference
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4163275/
https://medivizor.com/blog/SampleLibrary/infertility-reproductive-technologies/ivf-vs-icsi-which-is-more-successful-procedure-for-older-women-with-infertility/
https://www.completefertility.co.uk/blog-resources/blog-news/how-does-icsi-differ-to-ivf
Written - Paromita Roy Sarkar
16th May 2020